महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। शरद पवार और अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुटों के बीच मतभेद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचते दिख रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक अजित पवार खेमे की ओर से शरद पवार द्वारा बनाई गई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी-शरद गुट) के कांग्रेस में संभावित विलय पर आपत्ति जताई गई है। अजित पवार गुट ने इसे ‘गुटबंदी और भ्रम’ फैलाने वाला कदम बताया है। बताया जा रहा है कि अजित पवार खेमे के प्रमुख नेता इस प्रस्ताव के विरोध में लामबंद हो गए हैं। उनका कहना है कि विलय से पार्टी की मूल पहचान और जनाधार को नुकसान पहुंचेगा। दूसरी ओर, शरद पवार खेमा कांग्रेस के साथ गठबंधन को रणनीतिक मजबूती मान रहा है और आगामी चुनावों से पहले इस पर विचार कर रहा है। इस घटनाक्रम से साफ है कि एनसीपी के दोनों धड़े विचारधारा और रणनीति को लेकर दो अलग राह पर बढ़ रहे हैं। आने वाले समय में यह टकराव महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव की आहट बन सकता है।
पृष्ठभूमि और ताजा हालात:
महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में एक बार फिर गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। शरद पवार गुट और अजित पवार गुट के बीच खींचतान इस बार NCP के कांग्रेस में संभावित विलय को लेकर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शरद पवार कांग्रेस पार्टी में NCP को विलय करने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं, जबकि अजित पवार गुट इसके सख्त खिलाफ है।
अजित पवार गुट का विरोध:
अजित पवार गुट के प्रमुख नेताओं का मानना है कि NCP को अपनी अलग पहचान और विचारधारा के साथ स्वतंत्र रहना चाहिए। वे विलय को आत्मघाती कदम मानते हैं। पार्टी में इस मुद्दे को लेकर दो फाड़ हो चुकी है – एक तरफ शरद पवार और उनके करीबी, दूसरी तरफ अजित पवार और उनका खेमा।
राजनीतिक असर:
अगर शरद पवार कांग्रेस में विलय की दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो यह न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डालेगा। इससे विपक्षी गठबंधन (INDIA Bloc) के भीतर समीकरण बदल सकते हैं और 2024 के बाद की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।