बोलीं-प्रेस कॉन्फ्रेंस से नहीं पब्लिक कॉन्फ्रेंस से बदलेगा माहौल
देश में अगले साल 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। यहा सभी दल अभी से ही विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए है। हालांकि 2023 विधानसभा चुनाव से पहले इस साल यानी 2022 के अंत में भी दो राज्यों गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं। लेकिन साल 2023 में होने वाले 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव पर सबकी नजर है। इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम शामिल है। दरअसल इन राज्यों में पार्टियों की जीत हार से 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर जनता के मूड का पता चलेगा। फिलहाल हम बात कर रहे हैं राजस्थान की। जहां मौजूदा दौर में कांग्रेस के अशोक गहलोत की सरकार है। जिन्हें बीजेपी से खासी टक्कर मिल रही है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया फिर से राज्य का मुख्यमंत्री बनना चाहती हैं। हाल ही में राजस्थान के दौरे पर पहुंचे केन्द्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने जोधपुर में वसुंधरा राजे की जमकर तारीफ की है। जिससे वसुंधरा राजे खासी उत्साहित नजर आ रही है। घोषित अघोषित तौर पर वे अपने आप को बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद का दावेदार बता रही है। वसुंधरा का कहना है कि अमित शाह ने उनके कार्यकाल में शुरू की गई योजनाएं गिनाई। जब वे मुख्यमंत्री थीं तब बीजेपी की सरकार ने सर्वोदय से अंत्योदय की विचारधारा और पीएम मोदी की प्रेरणा से चलाई थी। जिनकी सफलता पर उन्हें सदैव गर्व रहेगा। बता दें जोधपुर में अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए वसुंधरा ने इशारों ही इशारों में अपने मन की बात भी कह दी।
20 साल बहुमत से दूर रही कांग्रेस
वसुंधरा राजे का कहना है 2003 में पहली बार उन्हें राजस्थान की जनता ने मुख्यमंत्री बनाया था। इसके बाद 20 साल में राजस्थान में कांग्रेस कभी पूर्ण बहुमत के लाख नहीं समझी गई। वसुंधरा का इशारा साफ था कि पार्टी नेतृत्व सीएम चेहरे को लेकर अपनी स्थिति साफ करें। बता दें राजस्थान में चुनाव के लिए अब तहज सवा साल का समय शेष बचा है। बीजेपी में सीएम के चेहरे को लेकर अंदरूनी खींचतान जारी है। राजनीति के जानकार वसुंधरा राजे के बयान का मतलब सीएम फेस की दावेदारी से लगा रहे हैं। वसुंधरा राजे का कहना है सियासी लड़ाई में सामने वाले को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए। इसलिए यह मानकर घर नहीं बैठ सकते हैं कि बीजेपी प्रचंड बहुमत से सरकार बना लेंगी। इसके लिए सभी का एकजुट होकर मजबूत रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा। वसुंधरा ने कहा प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं पब्लिक कॉन्फ्रेंस से बदलेगा माहौल।
खत्म नहीं हो सका सस्पेंस
बता राजस्थान में कुछ महीने बाद चुनावी मौसम शुरू हो जाएगा। ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का राजस्थान दौरा काफी अहम माना जा रहा है। हालांकि, सीएम का चेहरा बता को लेकर अमित शाह ने भी पूरी तस्वीर साफ नहीं की। यानी उनका दौरा वसुंधरा को संस्पेंस में रखते हुए पूरा हुआ। ऐसे में विधानसभा चुनाव में पार्टी किसी को सीएम फेस घोषित करेगी या नहीं ये समय ही बताएगा या फिर पीएम मोदी के चेहरे के आधार पर ही चुनाव लडे़गी। हालांकि शाह संकेत देकर गए है कि पार्टी विधानसभा चुनाव 2023 में पीएम मोदी के चेहरे को ही जनता के सामने रख सकती है। इससे साफ होता है कि पार्टी सीएम फेस घोषित नहीं करेगी। बता दें भाजपा ने कई राज्यों में सीएम चेहरा घोषित किये बिना चुनाव लड़ा और सरकार बनाई। ऐसे में माना जा सकता है कि राजस्थान में भी भाजपा इस बार यही प्रयोग कर सकती है।
पोस्टर से आया सियासी उबाल
शाह के दौरे ने मरुभूमि राजस्थान में भाजपा में हलचल मचा दी है। यहां सियासी तेजी से समीकरण बदल रहे हैं। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन मेघवाल में अघोषित टसल चल रही है। दोनों के बीच जुगलबंदी से सतीश पूनिया गुट हैरान नजर आ रहा है। पूनिया और शेखावत दोनों पहले वसुंधरा गुट के नेता माने जाते थे। लेकिन चुनाव का समय नजदीक आते ही समीकरण बदलने लगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को घेरने के लिए केंद्रीय मंत्री शेखावत लामबंद नजर आ रहे हैं। शाह ने जोधपुर दौरे के दौरान सभी को साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरने की बात कही तो पोस्टर पॉलिटिक्स ने साफ कर दिस कि पूनिया समर्थक शेखावत के विरोध में खडे़ हैं। पूरे कार्यक्रम के दौरान जहां जहां पोस्टर लगाए गए वहां पूनिया समर्थकों के पोस्टर से शेखावत गायब रहे। शेखावत के पोस्टरों से वसुंधरा और पूनिया दोनों के गायब रहने से सियासी उबाल दिखाई देने लगा है।