शाहिद कपूर और कृति सेनन स्टारर फिल्म ‘तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया’ आज यनी 9 फरवरी को सिनेमा घरो में रिलीज हो गई है। यह एक साइंस फिक्शन मूवी है। इस फिल्म का रन टाइम 2 घंटे 38 मिनट का है। इस फिल्म का लोग बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे।
*क्या है फिल्म की कहानी ?
तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया मुंबई के एक रोबोटिक्स इंजीनियर आर्यन के बारे में एक फिल्म है जो अनुकूलता पर आधारित रिश्ता चाहता है। उसकी चाची उसे काम के लिए न्यूयॉर्क भेजती है, जहां उसकी मुलाकात सिफ्रा से होती है, जो एक रोबोट है जीसे उसकी जरूरतों को पूरी तरह से पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आर्यन सिफरा की बेदाग सुंदरता और घरेलू कामों में निपुणता पर मोहित हो जाता है, यह जानते हुए भी कि वह सिर्फ एक सॉफ्टवेयर का टुकड़ा है।
*फिल्म का कांसेप्ट अच्छा
फिल्म बताती है कि कैसे सिफ्रा, एक रोबोट के रूप में, महिलाओं पर रखी गई सामाजिक अपेक्षाओं को प्रतिबिंबित करती है, बिना किसी सवाल के पारंपरिक भूमिकाएं निभाती है। अपने रोबोटिक स्वभाव के बावजूद, आर्यन खुद को सिफ्रा से भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ पाता है। फिल्म वास्तविक और रोबोटिक के बीच की रेखा को धुंधला कर देती है क्योंकि सिफ्रा का सॉफ्टवेयर खराब होने लगता है, जो पारंपरिक भूमिकाओं में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को दर्शाता है।
*स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी ?
फिल्म के मुख्या कलाकार कृति सेनन और शाहिद कपूर दोनों ने मिलकर फिल्म को अंत तक चलाया है। खास कर कृति सेनन ने काफी अच्छा काम किया है। एक रोबोट के रूप में उनके एक्ट और एक्सप्रेशन कमाल हैं। वो पर्दे पर काफी खूबसूरत भी लगी हैं। शाहिद कपूर का जो कैरेक्टर रखा गया है, उस हिसाब से उन्होंने बढ़िया काम किया है।
सपोर्टिंग एक्टर में शाहिद कपूर के दादा के रोल में धर्मेंद्र का काम सबसे लाजवाब है। उम्र के इस पड़ाव पर भी उनकी कॉमिक टाइमिंग गजब की है। वो जितनी देर स्क्रीन पर दिखे, मजेदार ही लगे हैं। शाहिद कपूर की मौसी और रोबोट बनाने वाली कंपनी की मालकिन के रोल में डिंपल कपाड़िया भी प्रभावशाली लगी हैं।
*म्यूजिक ने डाली फिल्म में जान
फिल्म का संगीत तनिष्क बागची, सचिन-जिगर और मित्राज़ ने तैयार किया है। फिल्म में कुल चार गाने है। “लाल पीली अखियां”, “अखियाँ गुलाब”, “तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया (टाइटल ट्रैक)”, “तुम से”
“अखियाँ गुलाब” और “तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया, ये दोनों गाने लोगो की ज़ुबान पर चढे हुए है। शहीद और कीर्ति के ज़बरदस्त डांस ने भी इन गानो में चार चाँद लगा दिए।
*डायरेक्शन और बेहतर हो सकता था
फिल्म की राइटिंग और डायरेक्शन अमित जोशी और आराधना शाह की जोड़ी ने मिलकर किया है। डायरेक्शन में बहुत जगह खामियां हैं। फिल्म का कॉन्सेप्ट काफी रिफ्रेशिंग है, लेकिन इसे पर्दे पर सही ढंग से दिखा नहीं पाया गया है। स्कीनप्ले भी काफी बिखरा हुआ है। कई सीन में खूब हंसी आती है, तो कई सीन बोरिंग भी लगते हैं। निरंतरता की भारी कमी है। रोबोट शिफ्रा जिस तरह आर्यन की फैमिली में जाती है और वहां का रहन-सहन सीखती है, इस पूरे सीक्वेंस को और मजेदार बनाया जा सकता था। कुछ सीन तो बिना मतलब खींचे गए हैं। फिल्म को 15-20 मिनट और छोटा किया जा सकता था।