विजयपुर हार….किस पर भार…! ​बीजेपी प्रत्याशी की हार में सिंधिया फैक्टर कितना असरदार

विजयपुर हार….किस पर भार…! ​बीजेपी प्रत्याशी की हार में सिंधिया फैक्टर कितना असरदार

मध्यप्रदेश में ​सीहोर जिले की बुधनी और श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ है। यहां विजयपुर में बीजेपी की ओर से प्रत्याशी बनाए गए राम निवास रावत को उप चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। वन मंत्री रामनिवास रावत को हार के रुप में बड़ा झटका लगा है। उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा ने करीब 7228 वोटों से चुनाव में हराया है। इस हार के बाद रामनिवास रावत ईवीएम पर सवाल उठाते नजर आए। वे बार बार रिकाउंटिंग कराने की मांग करते रहे।

एमपी की विजयपुर सीट हार गई ​बीजेपी जीते मल्होत्रा
बीजेपी सरकार में वन मंत्री रामनिवास रावत को झटका
कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा ने 7228 वोटों से हराया
सिंघिया ने क्यों नहीं किया प्रचार
विजयपुर से रहे सिंधिया बाहर
क्यों नहीं किया रावत का प्रचार ?
क्या आड़े आ रही थी 2020 वाली टीस?
वन मंत्री रामनिवास रावत हार गए चुनाव
अब EVM पर उठा रहे रावत सवाल
रावत कर करते रहे रिकाउंटिंग की मांग

यह मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार नहीं हुआ है, जब मंत्री रहते हुए उप चुनाव में किसी को हार का सामना करना पड़ा हो। इससे पहले 2020 के उपचुनाव में मध्य प्रदेश 2020 में विधानसभा की 28 सीटों पर उपचुनाव कराये गये थे। जिसमें मैदान में उतरे मध्यप्रदेश की तत्कालीन शिवराज कैबिनेट के 12 मंत्रियों में से तीन को हार का सामना करना पड़ा था। दूसरी तरफ कैबिनेट के 9 मंत्री चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। बता दें यह उस समय सभी मंत्री और विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। जिनमें से अधिकांश ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। तब भी सिंधिया सुर्खियों में थे। अब 2024 के उप चुनाव में भी सिंधिया का चर्चा सियासी हल्को में हो रही है। दरअसल सिंधिया के विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रचार न करना एक बड़ा सवाल बन गया है। विजयपुर विधानसभा सीट पर इस उप चुनाव को राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था। इस क्षेत्र में बीजेपी के केंद्र से लेकर राज्य स्तर तक के नेताओं ने प्रचार में पसींना बहाया था। हालांकि इन सब वरिष्ठ नेताओं के बीच केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की चुनाव क्षेत्र में गैर मौजूदगी और अब रावत की हार को लेकर राजनीतिक दृष्टिकोण से कई सवाल खड़े कर रही है।

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