मायावती की सक्रियता देख क्या मजबूर हो गए अखिलेश? जानें पीडीए के लिए ‘आरक्षण’ को क्यों बताया प्रायवायु!

अनुसूचित जाति और जनजाति आरक्षण वर्गीकरण के फैसले पर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव अचानक सक्रिय हो गए हैं। इससे दो सवाल खड़े होते हैं। पहला सवाल यह कि क्या अखिलेश ने बसपा प्रमुख मायावती के दबाव के चलते दलित और आदिवासी आरक्षण के वर्गीकरण पर अपनी खामोशी तोड़ी है? वहीं दूसरा सवाल यह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध कर कौन सा सियासी हित साधने में जुटे हैं?

समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने आखिरकार 11 दिन बाद एससी और एसटी आरक्षण के वर्गीकरण पर अपनी खामोशी तोड़ी है। अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया है। इसे बीजेपी की चालबाजी करार दिया है। अखिलेश ने कहा दलित और आदिवासियों के आरक्षण में किसी भी तरह का बदलाव सपा को मंजूर नहीं है।

SC-ST आरक्षण वर्गीकरण —अखिलेश का स्टैंड?

सोशल मीडिया पर लिखी एक पोस्ट में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आरक्षण को प्राणवायु संजीवनी करार दिया और कहा आरक्षण का उद्देश्य उस समाज का विघटन नहीं समाज का सशक्तीकरण होना चाहिए। अखिलेश ने लिखा अनगिनत भेदभाव और मौकों की गैर-बराबरी की खाई पीढ़ियों से चले आ रहे ही चंद पीढ़ियों में आए परिवर्तनों से इसे पाट नहीं सकते।

Exit mobile version