देश की राजनीति में सबसे बड़ा मुद्दा लोकतंत्र होता है। भाजपा और उसके तमाम विरोधी दल एक ही रोना रोते नजर आते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है। जब सभी दल लोकतंत्र खतरे में बताते हैं, तो ये खतरा है किससे? दूसरा सवाल ये भी है कि जब सभी राजनैतिक दलों को लोकतंत्र बचाने की चिंता है और उसीे के लिए काम कर रहे हैं तो पश्चिम बंगाल,और मणिपुर जैसे राज्यों की हिंसा में निर्दोष लोग क्यों मारे जाते हैं। क्या उनकी जान की परवाह किसी को नहीं है। आईए देखते हैं कि आखिर ये मामला है क्या?
लोकतंत्र कैसे दम तोड़ रहा: भाजपा
भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के दौरान हुई हिंसा इस बात का साफ करती है कि वहां लोकतंत्र कैसे दम तोड़ रहा है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने नई दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों में लगातार होती रही हिंसा पर ममता बनर्जी सरकार पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आज पश्चिम बंगाल एक तरह से हिंसा का पर्यायवाची शब्द बन चुका है।
52 लोगों की हत्याएं हुई
पात्रा ने कहा कि मीडिया में ये ख़बरें छायी हुई हैं कि जब से पंचायत चुनाव में नामांकन प्रक्रिया शुरु हुई है, तब से लेकर अब तक, मतगणना होने के दौरान तक, 45 हत्याएं हो चुकी हैं। इससे पूर्व, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के दौरान लगभग 52 लोगों की हत्याएं हुई थीं। जबकि 2013 के पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के दौरान 15 और 2018 के पंचायत चुनाव में 23 हत्याएं हुई थीं। पात्रा ने सवाल किया कि कहां है वे सारे नेता?
कहां हैं मोहब्बत की दुकान खोलने वाले
कहां हैं लालू प्रसाद यादव और कहां हैं नीतीश कुमार?नीतीश कुमार? और राहुल गांधी तो पूरे हिन्दुस्तान में मोहब्बत की दुकान खोलना चाहते थे। कहां हैं महा-ठगबंधन के नेता? विपक्षी के ऐसे महा-ठगबंधन के किसी भी एक नेता के मुंह से पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव हिंसा को लेकर एक शब्द तक नहीं निकला है। राहुल गांधी आज मोहब्बत की दुकान के विषय में बात नहीं कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी आकांक्षाओं का मेगामॉल खोल रखा है। उलटे-पुलटे, येन केन प्रकारेण उन्हें सिर्फ देश की सत्ता चाहिए। कांग्रेस नेता पश्चिम बंगाल में खुद कहे कि हमारे कार्यकर्त्ताओं की हत्या हुई है, तब भी राहुल गांधी और कांग्रेस के शीर्ष नेता चुप्पी साधे रहते हैं। ये लोग लोकतंत्र ही हत्या होते देख सकते हैं किन्तु अपनी महात्वाकांक्षा को मिटते नहीं देख सकते।
बंगाल में लोकतंत्र की हत्या
प़ात्रा ने कहा कि दरअसल, ममता बनर्जी की सरकार एक प्रयोजित तरीके से इन हत्याओं को अंजाम दे रही थी। ये सारी हत्याएं कोई अकस्मात होने वाली घटनाएं नहीं हैं, बल्कि ये सारी हत्याएं वास्तव में राज्य प्रायोजित हत्याएं हैं। ये सिर्फ हत्याएं नहीं हैं, बल्कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की हत्या है। पश्चिम बंगाल में सिर्फ राज्य प्रायोजित हत्याएं नहीं हो रही हैं, बल्कि संस्थागत हत्याएं आर्थात वेल आर्गेनाइज्ड क्राइम हो रही है, जो इंस्टीच्यूशनल मर्डर का स्वरुप ले लिया है। इसमें पुलिस प्रशासन से लेकर जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं।
मणिपुर जैसे कई राज्य हिंसा के गढ़
पश्चिम बंगाल,जम्मू एंड कश्मीर,केरल और मणिपुर जैसे कई राज्य हैं जहां से आए दिन हिंसा,आगजनी और मौत की खबरें आतीं है। लेकिन न तो यहां मोहब्बत की दुकान दिखाई देती है और न ही लोकतंत्र को बचाने के गंभीर प्रयास होते हैं। ये उन लोगों का कहना होता है जिन्होंनें हिंसा को या तो बहुत नजदीक से देखा है या फिर खुद उसका शिकार हुए हैं।