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Sammed Shikharji:श्री सम्मेद शिखरजी को लेकर केन्द्र सरकार से क्यों नाराज है जैन समाज,क्या कांग्रेस उठाना चाहती है मुद्दे का सियासी लाभ?

DigitalDesk by DigitalDesk
December 19, 2022
in दिल्ली, धर्म, मुख्य समाचार
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Sammed Shikharji:श्री सम्मेद शिखरजी को लेकर केन्द्र सरकार से क्यों नाराज है जैन समाज,क्या कांग्रेस उठाना चाहती है मुद्दे का सियासी लाभ?

Sammed Shikharji Central Government Jain Samaj angry Congress political gain

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Sammed Shikharji: केन्द्र सरकार ने झारखंड सरकार की अनुशंसा पर जैन तीर्थ श्रीसम्मेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने की अधिसूचना जारी की है। जिसे लेकर देशभर के जैन समाज में आक्रोश दिखाई दे रहा है। देश भर में समाज के लोग सड़क पर उतर कर अहिंसक तरीके से विरोध जता रहे हैं। मौन रैलियां निकाली जा रही हैं। मुद्दे को सियासी रंग देकर कांग्रेस भी केन्द्र सरकार के फैसले का विरोध कर रही है। मप्र के पूर्व मंत्री दिग्विजय सिंह का कहना है कि शिखरजी आस्था का केन्द्र है। उसका तीर्थ के रुप में इसका विकास किया जाए। केन्द्र सरकार पर्यटन और आस्था स्थल में फर्क समझे।

  • जैन तीर्थ श्री सम्मेद शिखरजी को किया पर्यटन क्षेत्र घोषित
  • तत्कालीन झारखंड की रघुवरदास सरकार ने की थी अनुशंसा
  • केन्द्र सरकार के फैसले से नाराज जैन समाज
  • देश भर में किया जा रहा आंदोलन
  • श्री सम्मेद शिखरजी है जैन समाज का आस्था के केन्द्र
  • कांग्रेस उठाना चाहती है सियासी लाभ

बता दें 2 अगस्त 2019 को झारखंड की तत्कालीन बीजेपी की रघुवरदास सरकार ने अनुसंशा की थी। जिसके आधार पर केन्द्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय ने गिरिडीह जिले के मधुबन में सर्वोच्च जैन शाश्वत तीर्थ श्रीसम्मेद शिखरजी पारसनाथ पर्वतराज को वन्य जीव अभ्यारण का एक भाग घोषित कर इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत पर्यावरण पर्यटन और अन्य गैर धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देने वाली अधिसूचना क्रमांक 2795 जारी की है। जिसे लेकर जैन समाज का आरोप है कि केन्द्र सरकार ने बिना समाज से आपत्ति या सुझाव लिए अधिूसचना जारी की है। अधिसूचना को निरस्त कर श्री सम्मेद शिखरजी की धार्मिकता, पावनता और पवित्रता को बरकरार रखा जाए।

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जैन समाज लड़ रहा है कानूनी लड़ाई

इस मामले में जैन समाज के प्रमुख जस्टिस गोहिल का कहना है कि हम कानूनी लड़ाई तो लड़ ही रहे हैं, लेकिन लोकतंत्र में जनता की आवाज का भी बहुत महत्व है। इसलिए देशभर में जैन समाज को सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने पर विवश होना पड़ रहा है। मध्यप्रदेश में जैन समाज 21 दिसम्बर को आंदोलन करने जा रहा है। उनकी कोशिश है कि आंदोलन में ज्यादा से ज्यादा जैन समाज के बुजुर्ग, नौजवान, महिलाएं शामिल होंगे। तैयारी ये है कि जैन समाज के हर वर्ग की इस आंदोलन में नुमाइंदगी हो। जस्टिस गोहिल का कहना है कि समाज के लिए यह पर्वत सबसे पवित्र तीर्थ है। यहां से 20 तीर्थंकर मोक्ष को गये हैं समाज का कहना है कि यहां पर्यटक की गतिविधियां बढ़ने से पर्वत की पवित्रता को खतरा है।

दिगम्बर और श्वेताम्बर और तारण पंथी होंगे शामिल

खास बात ये है कि इस आंदोलन में समाज के दिगम्बर और श्वेताम्बर ही नहीं तारण पंथी सभी जैन समाज एक साथ एकजुट होंगे। भोपाल में ही 70 हजार से अधिक आबादी जैन समाज की। इसके अलावा दावा किया जा रहा है कि पूरे प्रदेश में जैन समाज का एक- एक सदस्य आंदोलन में शामिल होगा।

23वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ

23वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ ने किया था निर्वाण प्राप्त

बता दें कि जैन धर्म का मुख्य तीर्थ स्थल शिखरजी भारत के झारखंड के गिरीडाह जिले में एक छोटे से नागपुर पठार में स्थित है।इस तीर्थस्थल का जैन धर्म के अनुयायियों के लिए काफी महत्व है। इस पवित्र तीर्थस्थल में जैन धर्म के 20-24 सर्वोच्च गुरु और तीर्थकरों ने तपस्या करते हुए मोक्ष की प्राप्तिी की थी। सम्मेद शिखर के नाम से प्रसिद्ध इस पवित्र जैन तीर्थधाम में 23वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ ने निर्वाण प्राप्त किया था। इसलिए इस शिखर को उनके नाम पर पार्श्वनाथ शिखर भी कहा जाता है। वहीं यहां पर पार्श्वनाथ पर्वत की वंदना करने का भी जैन धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व है। पार्श्वनाथ तीर्थकर का समय 877 ई.पूर्व से 777 ईसा पूर्व माना जाता है। वहीं सम्पूर्ण तीर्थस्थलों में सर्वप्रमुख होने की वजह से यह तीर्थराज कहलाता है यानी तीर्थों का राजा भी इसे कहा जाता है। जैन धर्म के सभी तीर्थकर परम्परागत रुप से अयोध्या में जन्म लेते रहे हैं और सभी ने सम्मेद शिखरजी पर कठोर तप कर मोक्ष की प्राप्ति की है।

तीन धार्मिक स्थलों के होते हैं दर्शन

सम्मेद शिखर में मुख्य रुप से तीन धार्मिक स्थलों के दर्शन होते हैं। जो कि 13 पंथि कोठी, मझरी कोठी और 20 पंथि कोठी कहलाते हैं। 13 पंथि कोठी में भगवान पदमनाथ की भव्य और विशाल प्रतिमाएं शोभायमान और विराजमान हैं। इसके साथ ही इस कोठी के मुख्य मंदिर में 13 बीथियां हैं। यह सभी स्वतंत्र जैन मंदिर हैं। इन पर सुंदर और आर्कषक शिखर बने हुए हैं। इन मंदिरों में कुल मिलाकर 379 मूर्तियां स्थापित हैं। यहां अलग-अलग अवसरों पर भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति की अतिसुंदर रथ यात्राएं भी निकलती हैं। मझरी कोठी में भी कई मंदिर और सुंदर मूर्तियां हैं। वहीं 20 पंथि कोठी सबसे प्राचीन मानी जाती है। जिसके मुख्य मंदिर में 8 जिनालय बने हुए हैं। जिनके भव्य और आर्कषक शिखर देखते ही बनते हैं। वहीं इस कोठी के सामने एक विशाल मंदिर स्थापित हैं। जिसमें जैन धर्म के 24 तीर्थकरों की मूर्तियां विराजमान हैं। सम्मेद शिखरजी में जगह-जगह तीर्थकरों और जैनमुनियों के स्मृति चिंह भी बने हुए हैं। जिन्हें टोंक कहा जाता है। निर्वाण स्थानों पर बने स्मृति चिंह और मंदिरों के दर्शऩ के लिए काफी संख्या में जैन धर्म के लोग आते हैं। इस पवित्र तीर्थस्थल पार्श्वनाथ पर्वत की सबसे खास बात यह है कि यहां शेर जैसे हिंसक प्राणी भी स्वतंत्र होकर घूमते हैं और किसी को कोई हानि नहीं पहुंचाते हैं, जो कि इस तीर्थराज की महिमा का प्रत्य़क्ष प्रमाण है।

1350 मीटर की ऊंचाई पर​ स्थित है शिखरजी

1350 मीटर की ऊंचाई पर​ स्थित है शिखरजी

जैन धर्म के सर्वोच्च तीर्थस्थलों में से एक शिखरजी सिद्धिक्षेत्र भी कहलाता है। जो झारखंड के सबसे ऊंचे पहाड़ पर स्थित है। जिसकी ऊंचाई करीब 1350 मीटर है। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि जैन धर्म के सर्वोच्च तीर्थस्थल शिखरजी में जैन धर्म के सिद्धान्त के तहत यहां किसी भी तरह की जीव हिंसा वर्जित है। जैन धर्म के लोगों के लिए सम्मेद शिखरजी तीर्थयात्रा का भी विशेष महत्व है। वहीं जब यह तीर्थयात्रा शुरु होती है तो उस समय जैन धर्म के अनुयायी अपार श्रद्धा, भाव और आस्था से यहां दर्शन के लिए आते हैं। यहां मुख्य दर्शनीय स्थलों की संख्या करीब 25 है। मान्यता है कि जैनधर्म को मानने वाला जो भी अनुयायी अपने जीवन में सम्मेद शिखरजी की तीर्थयात्रा पूरी आस्था, निष्ठा और सच्चे भाव से करता है और जैन तीर्थकरों द्धारा बताए गए उपदेशों और सिद्धान्तों का नियमपूर्वक पालन करता है, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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Tags: Government of JharkhandJain TeerthNotification to declare tourism areaOutrage in Jain society across the country
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