हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 :जानें सपा ने कांग्रेस के लिए क्यों छोड़ा जाट लैंड हरियाणा में चुनावी मैदान….यूपी-महाराष्ट्र को लेकर क्या है अखिलेश का प्लान…!

Samajwadi Party will not contest assembly elections in Haryana declares Akhilesh Yadav

समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश से बाहर आकर अपने विस्तार की मंशा को छोड़कर हरियाणा विधानसभा चुनाव से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। 

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि बात दरअसल दो-चार सीट पर अपने प्रत्याशी उतारने की नहीं है। बात है जनता के दुख-दर्द को समझने की और इसे समझते हुए जनता को बीजेपी की सियासत से मुक्ति दिलाने की बात है। इसके लिए समाजवादी पार्टी हर तरह के त्याग के लिए तत्पर है। बीजेपी को चुनाव में हराने के लिए ही उसने हरियाणा चुनाव में इंडिया गठबंधन का पूरा साथ देनक का फैसला किया है। ऐसे में अब यह सवाल उठना लाजमी है कि अखिलेश यादव ने जिस तरह से हरियाणा के चुनाव से कदम पीछे खिंचकर बड़ा दिल दिखा दिया है क्या यूपी की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस अपना दिल बड़ा कर पाएगी? क्या नवंबर दिसंबर में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सपा के साथ सीट शेयरिंग करेगी।

लोकसभा चुनाव 2024 में सपा को 37 सीट मिली थीं। इसके बाद से ही अखिलेश यादव राष्ट्रीय राजनीति में सपा को पहचान दिलाने की कवायद में जुटे हैं। इसके लिए सपा ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी की थी। हरियाणा सपा प्रदेश इकाई की ओर से करीब 17 सीटों पर चुनाव के मैदान में उतरने का प्लान बनाया था, हरियाणा सपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेन्द्र भाटी की ओर से पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को इन 17 सीटों का समीकरण भी भेज दिया था। जिसमें चरखी-दादरी, सोहना, बावल, जुलाना, बेरी और बल्लभगढ़ जैसी विधानसभा सीट पर सपा की नजर थी।

समाजवादी पार्टी ने की थी हरियाणा की 17 सीट पर तैयारी

समाजवादी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 37 सीट जीती थी, सपा यूपी में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। ऐसे में सपा प्रमुख अखिलेश यादव पार्टी को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए ही शायद हरियाणा विधानसभा चुनाव में किस्मत को आजमाना चाहते थे। सपा का प्रयास था कि इंडिया गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ें। इस तरह समाजवादी पार्टी हरियाणा में कांग्रेस के सहारे ही जाट लैंड में अपनी जमीन तलाशना चाहती थी। पार्टी की ओर से राज्य की 17 सीटों पर तैयारी भी शुरु कर दी गई थी। हालांकि अब तक दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बनी और सपा ने कदम पीछे खींच लिये। दरअसल हरियाणा में कांग्रेस के स्थानीय नेता इस विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करना चाहते थे।

2019 में सपा की जमानत जब्त हो गई थी

हालांकि पहले समाजवादी पार्टी ने यह भी तय कर रखा था कि कांग्रेस अगर उसे सीट नहीं देती है तो वह हरियाणा की यादव बहुल 17 सीटों पर अकेले अपनी चुनावी किस्मत आजमाएगी, लेकिन उसने बड़ा दिल दिखाया और कदम पीछे खिंच लिये। बता दें 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाई थी। वह चार सीटों पर लड़ी लेकिन सभी में चारों सीट पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी। इसके बाद भी समाजवादी पार्टी ने हरियाणा के 2024 के विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। जिसके लिए यादव और मुस्लिम प्रभाव वाली सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति तेयार की गई थी। सपा के रणनीति यह मान कर चल रहे थे कि भले ही ​हरियाणा में उसे कोई सीट मिले या न मिले, लेकिन पार्टी को इस राज्य में अपनी सियासी जगह बनाने में मदद मिलेगी।

सपा देगी कांग्रेस को पूरा समर्थन

अखिलेश यादव ने हरियाणा विधानसभा चुनाव से पार्टी प्रत्याशी उतारने के अपने कदम को पीछे खींच लिय है। इसके साथ ही कांग्रेस को इस चुनाव लड़ने के लिए पूरा मैदान सौंप दिया है। बता दें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस ने सपा के साथ शेयरिंग से इनकार कर दिया था। दोनों दलों के बीच बात न बनने पर सपा ने एमपी की 71 सीटों पर उम्मीदवार भी उतार दिए थे। लेकिन अब हरियाणा में सपा समझौते से पहले ही विधानसभा चुनाव लड़ने से केवल पीछे ही नहीं हटी बल्कि उसने कांग्रेस को पूरा समर्थन करने का भी ऐलान किया है। ऐसे में सपाल खड़ा होता है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जिस तरह हरियाणा में त्याग किया है, क्या कांग्रेस समय आने पर उत्तरप्रदेश में बड़ा दिल दिखा पाएगी। और क्या नवंबर दिसंबर में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सपा को कांग्रेस सम्मानजनक सीट देगी?

Exit mobile version