जयपुर: राजस्थान साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में अशोक गहलोत सरकार के फैसलों में चुनावी झलक दिखाई देने लगी है। इसी क्रम में सीएम गहलोत ने एक बड़ा चुनावी दांव चला है। शुक्रवार की शाम उन्होंने एक साथ 19 नए जिलों का ऐलान कर सियासत में हलचल मचा दी है। देश में आजादी के बाद संभवत: ये पहला मौका है, जब किसी राज्य में एक साथ 19 नए जिलों की घोषणा की गई हो। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस फैसले को मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है। सीएम अशोक गहलोत ने विधानसभा में 19 नए जिलों की घोषणा की है। उनमें बालोतरा, अनूपगढ़, ब्यावर, दूदू, डीग, जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिण, जोधपुर पूर्व और जोधपुर पश्चिम के साथ केकड़ी, गंगापुर सिटी, कोटपुतली, खैरतल, बहरोड़, नीमकाथाना, फलोदी, सलुंबर और सांचोर शामिल हैं।
सत्ता विरोधी लहर कम करने की कोशिश
राजस्थान में कांग्रेस आलाकमान को विपक्षी भाजपा से ज्यादा पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह की चिंता है। अशोक गहलोत ने कांग्रेस आलाकमान को एक सकारात्मक संदेश दिया है। उन्होंने एक बार फिर बता दिया है कि सबको साथ लेकर चलने की कला क्या होती है। उन्होंने सत्ता विरोधी लहर से लड़ने की भी कोशिश की है। गहलोत ने इस राजनीतिक चाल से न सिर्फ विपक्ष को करारा जवाब दिया है, बल्कि अपनी ही पार्टी में चल रही अंदरूनी कलह पर भी लगाम लगाने की कोशिश की है। वैसे कोई भी दल की सरकार हो नए जिलों की घोषणा करना उसके लिए किसी जोखिम से कम नहीं होता, लेकिन गहलोत सरकार ने यह जोखिम उठाया है। बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस ऐलान से अब राजस्थान में अब 50 जिले और संभागों की संख्या 10 हो गई है। सरकार नए जिलों में विकास के लिए 2 हजार करोड़ दे रही है। इसके राजस्थान चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके चलते कई विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी समीकरण में बदलाव भी देखने को मिल सकता है।
नए जिलों के लिए 2000 करोड़ का प्रावधान
सीएम अशोक गहलोत ने बजट में इसके लिए 2000 करोड़ का प्रावधान किया है। ऐसे में जिलों के गठन की प्रक्रिया शुरू होगी और इसका श्रेय कांग्रेस लेगी, हालांकि प्रशासनिक प्रक्रिया में समय लगता है। नए जिले सुशासन और तेजी से सेवा वितरण की ओर ले जाते हैं। यह केवल छोटे जिलों के साथ ही संभव है। नए जिलों की भी घोषणा की गई है जहां पार्टी कमजोर है। जयपुर को तोड़कर नए जिले बनाने को भी सरकार की चुनावी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। वर्तमान में जयपुर हेरिटेज नगर निगम पर कांग्रेस का कब्जा है, जबकि जयपुर ग्रेटर पर भाजपा का कब्जा है। जयपुर को भी आगामी चुनाव में जयपुर के हेरिटेज एरिया में फिर से कांग्रेस का झंडा फहराने की मंशा से बांट दिया गया है।
बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे की काट
सीएम गहलोत ने आक्रामक चुनावी रणनीति अपनाई है। एक तरफ वो बड़े-बड़े ऐलान कर रहे हैं।लेकिन गहलोत के लिए आगे बड़ी चुनौतियां हैं। बजट पास हो चुका है। सरकार के पास बहुत कम समय बचा है। इस पूरे बजट को धरातल पर उतारना एक बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि जिस तरह की सरकारी व्यवस्था में योजनाओं को धरातल पर आने में समय लगता है। विपक्ष इसे मुद्दा बनाएगा। साथ ही नाराजगी वहां भी देखने को मिलेगी जहां जिले घोषित नहीं किए गए हैं। इसको लेकर कल ही कुछ विधायकों और जनप्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है। ऐसे में देखना होगा कि सरकार इस पर कैसे काबू पाती है?
पायलट को कर दिया था गहलोत ने मना
बता दें राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने नये जिलों को लेकरमुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखी थी। यह चिट्ठी बजट सत्र के प्रारंभ होने से पहले लिखी गई थी। लेकिन उस समय सीएम अशोक गहलोत ने नए जिले बनाने से मना कर दिया था। तब गहलोत ने कहा था कि जिला मनाने के लिए राम लुभाया कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है।