ग्लोबल लॉजिस्टिक्स लीडर बन रहा है भारत…केन्द्रीय बजट के प्रावधान ने रखी भारत की समुद्री ताकत बढ़ाने की नींव

Role of Union Budget in India efforts to become a global logistics leader

भारत के ग्लोबल लॉजिस्टिक्स लीडर बनने के प्रयासों में केंद्रीय बजट 2025-2026 एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। बजट में किये गये प्रावधान बुनियादी ढांचे के विकास, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी पर अधिक ध्यान देने के साथ, इस बार घोषित किया गया केंद्रीय बजट अधिक कुशल, प्रतिस्पधी और टिकाऊ लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम के लिए मंच तैयार करता है।

अर्थशास्त्र के जानकार कहते हैं कि इस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए सरकार की दीर्घकालिक आर्थिक विकास और वैश्विक व्यापार एकीकरण की नीव रखने वाली प्रतिबद्धता पूरी तरह स्पष्ट है। एक मजबूत लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्टक्चर एक बिना किसी रुकावट वाली सप्लाई चेन को बनाये रखने के लिए अहम है। बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 15 ट्रिलियन रुपये आवंटित करने का सरकार का निर्णय सही दिशा में एक कदम है।

आधुनिक परिवहन नेटवर्क और कनेक्टिविटी सिस्टम ट्रॉजिट की देरी को कम करने और व्यवसायों के लिए लागत दक्षता में सुधार करने में एक लंबा रास्ता तय करेंगे। बजट का एक उल्लेखनीय पहलू 25,000 करोड़ रुपये का मेरीटाइम डेवलपमेंट फंड (एमडीएफ) है, जो भारत के जहाज निर्माण उद्योग के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण है। यह पहल विदेशी जहाजों पर निर्भरता कम करने और भारत की समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए बनाई गई है।

साल 2047 तक भारतीय ध्वज वाले जहाजों के माध्यम से ग्लोबल कायों का 20 प्रतिशत संभालने का लक्ष्य महत्वाकांक्षी है, लेकिन अधुनिक बंदरगाह बुनियादी ढांचे और शिपिंग टेक्नोलॉजीस में निरंतर निवेश के साथ प्राप्त किया जा सकता है।

हालांकि, केवल बुनियादी ढांचा ही पर्याप्त नहीं है। वैश्विक मंच पर वास्तव में प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत को उन्नत लॉजिस्टिक्स सल्यूशंस और ऑटोमेशन में निवेश में तेजी लानी चाहिए। उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ संचालन को सुव्यवस्थित करने से यह सुनिश्चित होगा कि भारत अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ तालमेल बनाए रखे और प्रतिस्पर्धी बना रहे। बजट के सबसे आशाजनक पहलुओं में से एक सरकार और प्राइवेट प्लेयर्स के बीच बढ़ता सहयोग है।

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