लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में जातियों के समीकरण पर राजनीतिक पार्टियों की पैनी नजर है। ऐसे में आरजेडी और लालू यादव ने एम-वाई यानी मुस्लिम यादव फॉर्मूले से थोड़ा हटकर कुशवाहा वोट बैंक पर भी बड़ा दांव खेला है। इंडिया महागठबंधन में सीट शेयरिंग में आरजेडी ने अपने कोटे की पांच सीटों पर ओबीसी प्रत्याशी उतारे हैं।
- मुस्लिम यादव फॉर्मूले के साथ कुशवाहा पर भी नजर
- बिहार में 13 करोड़ का 4.2 प्रतिशत ओबीसी हिस्सा
- आरजेडी 24 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही
- कई सीटों पर उतारे कुशवाह समाज से प्रत्याशी
- नवादा, औरंगाबाद में कुशवाहों का वर्चस्व
- उत्तर बिहार के कुछ क्षेत्रों में कुशवाह का बड़ा वोट बैंक
- जाति सर्वेक्षण के अनुसार पिछड़ा वर्ग 27.12%
- अत्यंत पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी 36.01% है
- यादवों की संख्या 14.26% है
दरअसल बिहार की जातीय गणना में ओबीसी की आबादी राज्य की 13 करोड़ का 4.2 प्रतिशत है। ऐसे में आरजेडी ने औरंगाबाद और नवादा संसदीय सीट से दो कुशवाह प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। इन दोनों ही सीटों पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा। लालू यादव ने नवादा सीट से श्रवण कुशवाह ने तो वहीं औरंगाबाद सीट से अभय कुशवाह को टिकट दिया है। दोनों ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। हालांकि आरजेडी ने अब तक आधिकारिक रुप से अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं की है। वहीं मुकेश सहनी के अब इंडिया महागठबंधन में शामिल हो चुके हैं। उनके आने से आरजेडी ने अपने कोटे की तीन सीट झंझारपुर, मोतिहारी और गोपालगंज मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को सौंप दी है। बिहार में अब आरजेडी सिर्फ 24 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है।
महागबंधन से जुड़ा कुशवाह उम्मीदवारों का एक बड़ा प्रतिनिधित्व
आरजेडी से जुड़े सूत्रों की माने तो पार्टी उजियारपुर लोकसभा सीट पर कुशवाहा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता को टिकट देकर मैदान में उतारने जा रही है, जबकि सीतामढ़ी सीट से भी आरजेडी कुशवाहा उम्मीदवार देने की तैयारी में है। वहीं पूर्वी चंपारण से एक और कुशवाह उम्मीदवार राजेश कुशवाह के नाम संभावितों की सूची में हैं। इस तरह कुल मिलाकर महागबंधन से कुशवाह उम्मीदवारों का एक बड़ा प्रतिनिधित्व जुड़ गया है। वहीं छह से सात उम्मीदवार इस समुदाय जुड़े से हैं। उधर पटना साहिब सीट से एक कुशवाह उम्मीदवार मिलने की उम्मीद बनी हुई है, जबकि सीपीआई माले का कहना है बिहार की काराकाट सीट से राजाराम सिंह को चुनाव मैदान में उतारा गया है। राजारात सिंह भी कुशवाहा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।
अब तक एम-वाई पर ही दांव लगाते रहे हैं लालू
दरअसल लालू प्रसाद अब तक एम-वाई समीकरण पर ही दांव लगाते रहे हैं। लेकिन इस बार ओबीसी समुदाय को भी लुभाने के लिए यह दांव चला है। इस चुनाव में अधिक से अधिक कुशवाह उम्मीदवारों को मैदान में उतार कर लालू एक नया प्रयोग करते नजर आ रहे हैं। क्योंकि लालू यादव को इस बात का एहसास अच्छी तरह है कि एम-वाई समीकरण के जरिए ओबीसी और ईबीसी के बीच बीजेपी गठबंधन वाले एनडीए की पहुंच पर बड़ी सेंध लगाना संभव नहीं है। ऐसे में लालू यादव ने कुशवाहा को अधिक तरजीह देकर अपने पत्ते बारीकी से खोल रहे हैं।