राजद में घमासान: अपने ही भिड़ रहे अपनों से,ये रहे विवाद के कारण

बिहार की राजनीति में आए दिन दिख रहे नए नए दांवपेंच

सत्ता के खिलाफ विपक्ष का खड़ा होना और विपक्षी नेताओं द्वारा सरकार पर आरोप लगाना समझ में आता है,लेकिन जब सत्ता पक्ष के नेता ही अपनी सरकार पर सवाल उठाने लगें तो मामला गंभीर हो जाता है। कुछ इसी तरह की स्थिति बिहार में देखने को मिल रही है। राज्य में सत्तारूढ राजद में इन दिनों घमासान मचा हुआ है। पार्टी को अपनों का विरोध झेलना पड़ रहा है। इसके पीछे विधायकों में बढ़ रहे असंतोष को माना जा रहा है। रेत,शराब और माफियों को लेकर राजद के विधायक सरकार पर न केवल निशाना साध रहे हैं बल्कि धरना देने से भी नहीं चूक रहे हैं।

माफिया को लेकर भड़के विधायक

राष्ट्रीय जनता दल के विधायक डॉ मुकेश कुमार रौशन इन दिनों माफिया को लेकर खासे नाराज हैं। उन्होंने सदर थानेदार अश्मित कुमार पर आरोप लगाया और विभागीय कार्रवाई करने की मांग की। हालांकि, इससे पहले विधायक ने वैशाली एसपी से 24 घंटे के अंदर थानेदार को सस्पेंड करने की मांग की थी। लेकिन थानेदार पर कार्रवाई नहीं हुई। इससे नाराज विधायक ने हाजीपुर कचेहरी मैदान में एक दिवसीय धरना दे दिया। डॉ मुकेश का आरोप है कि यहां शराब,रेत और भू माफिया सक्रिय है। जिससे सदर थानेदार की सांठगांठ है। और अवैध रूप से धन अर्जित कर रहे हैं। जब भी कोई पीडित व्यक्ति सदर थाने पर आवेदन लेकर जाता है बिना पैसा लिए प्राथमिकी दर्ज नहीं करते हैं।

अपनी सरकार पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

कुछ ही समय पहले की बात है जब राजद विधायक विभा देवी कई अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उनकी बात नहीं सुनी गई तो अधिकारियों के खिलाफ धरने पर बैठ गईं। दरसअल, यह मामला तब बढ़ गया हुआ जब एससी-एसटी अत्याचार अधिनियम के अनुश्रवण समिति की बैठक के दौरान नवादा की विधायक विभा देवी ने जन वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था। विधायक ने कहा कि गरीबों को 5 किलो की जगह 4 किलो अनाज मिल रहा है। इस मामले की जांच की जाए। उन्होंने आरोप लगाया था कि अधिकारियों ने जांच और कार्रवाई के बजाय विधायक से ही ऐसे डीलरों का नाम पूछ लिया। यह किसी तरह से न्याय संगत नहीं था। सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना कहीं से गलत नहीं है।

इसलिए नाराज हुई थीं विधायक विभा

दरअसल बात ये है कि गरीबों को राशन और तमाम तरह की सुविधाएं नहीं मिल पाने की शिकायतें आ रहीं थीं। जिसके कारण उन्होेने कई बार अधिकारियों से शिकायत की लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं जिसके कारण उनकी नाराजगी बढ़ी और अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना दे दिया। बताया जा रहा है कि कई अधिकारियों पर उन्हें खुलेआम भ्रष्टाचार करने के आरोप भी लगाए;

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