क्रिकेट के चलते टूट सकता है मुकेश का ये सपना…जानें आखिर क्या है मुकेश अंबानी की परेशानी की वजह…!

Reliance Industries Chairman Mukesh Ambani Entertainment Company Walt Disney Entertainment Assets Merger

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी देश की सबसे बड़ी एंटरटेनमेंट कंपनी बनाने का सपना देख रखे हैं। दरअसल रिलायंस और वॉल्ट डिज्नी ने अपने एंटरटेनमेंट एसेट्स को विलय करने की घोषणा की है। हालांकि इसके बीच में क्रिकेट एक बड़ा कांटा बनकर उभरा है। कंप्टीशन कमीशन ऑफ इंडिया की ओर से एंटरटेनमेंट एसेट्स के मर्जर पर चिंता जताई है।

बता दें भारत और एशिया में सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस और एंटरटेनमेंट कंपनी वॉल्ट डिज्नी की ओर से अपने मीडिया एसेट का विलय करने की घोषणा की गई है। इस विलय के बाद एक बड़ी कंपनी बनाई जाएगी। माना जा रहा है कि यह देश की सबसे बड़ी एंटरटेनमेंट कंपनी होगी। इस कंपनी की वैल्यू करीब करीब 8.5 अरब डॉलर के आसपास होगी। हालांकि कंप्टीशन कमीशन ऑफ इंडिया भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की ओर से अपने शुरुआती आकलन में कहा गया है कि यह विलय देश में
प्रतियोगिता की भावना को नुकसान पहुंचाता है। क्योंकि क्रिकेट ब्रॉडकास्ट राइट्स में इन बड़ी कंपनियों का ही दबदबा है।
सूत्रों की ओर से यह जानकारी दी गई है। इसे इस प्रस्तावित विलय के लिए अब सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। रिलायंस के साथ वॉल्ट डिज्नी की मीडिया और एंटरटेनमेंट कंपनियों के विलय के बाद जो नई कंपनी बनकर सामने आएगी उसके पास करीब 120 टीवी चैनल और दो स्ट्रीमिंग सर्विसेज होंगी।

कंपनी का सीधा मुकाबला जी एंटरटेनमेंट के साथ नेटफ्लिक्स और ऐमजॉन के साथ होगा

सूत्र बताते हैं कि सीसीआई ने निजी तौर पर एक नोटिस जारी कर इसके जरिए डिज्नी और रिलायंस को भी अपनी इस चिंता के बारे में अवगत कराया है। कंप्टीशन कमीशन ऑफ इंडिया ने इन दोनों बड़ी कंपनियों से अगले 30 दिन में यह बताने के निर्देश दिए है कि उनके खिलाफ जांच का क्यों न आदेश के दिये जाना चाहिए। वहीं एक अन्य सूत्र का कहना है कि क्रिकेट CCI के लिए सबसे बड़ी समस्या आ खड़ी है। दोनों कंपियों के विलय के बाद कंपनी में कंट्रोलिंग स्टेक रिलायंस अपने पास रखेगा। उसके पास टीवी ही नहीं स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर क्रिकेट के प्रसारण से जुड़े अरबों डॉलर के अधिकार भी होंगे। इससे उसके पास कीमतें तय करने की शक्ति होगी। इसके साथ ही विज्ञापनदाता भी उस कंपनी की मुट्ठी में ही होंगे। इसी बात को लेकर कंप्टीशन कमीशन ऑफ इंडिया ने अपनी चिंता जाहिर की है।

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