आम आदमी पार्टी के तेजतर्रार सांसद संजय सिंह संसद के मॉनसून सत्र में अब भाग नहीं ले सकेंगे। उन्हें राज्यसभा की कार्यवाही में भाग लेने से निलंबित कर दिया गया। संजय सिंह उच्चसदन के वेल में आकर मणिपुर पर 267 के तहत चर्चा शुरू कराने की मांग कर रहे थे। जिस पर सभापति जगदीप धनखड ने उन्हें पहले समझाया कि वे अपनी सीट पर जाएं। मगर उन्होंने सीट पर जाने से मना कर दिया और वेल में लगातार नारेबाजी करते रहे जिसकी वजह से सदन के नेता केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उन पर चेयर की नाफरमानी का आरोप चस्पां करते हुए सदन से निलंबित करने की मांग उठायी जिसे सभापति ने सहर्ष स्वीकार करते हुए उन्हें मॉनसून सत्र के बाकी समय के लिए निलंबित करने का आदेश सुना दिया।
केंद्र और आप के बीच चल रही तल्खी
केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी के बीच पहले से तल्खी चल रही है। दिल्ली में नौकरशाही कंट्रोल को लेकर लाए गए अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल अदालत गये हैं। उस पर अब विपक्षी गोलबंदी ने आम आदमी पार्टी को नई ताकत दी है। यही वजह है कि मणिपुर मामले में संजय सिंह पूरी धमक के साथ विपक्ष की ओर से राज्यसभा में मुद्दे को रख रहे थे। अन्य विपक्षी दलों के सांसदों के साथ वेल में थे। सभापति के रूल का वे शिकार हो गये। उनके निलंबन से विपक्षी आक्रामकता को निश्चित रूप से नई धार मिलेगी। उसकी झलक राज्यसभा के फ्लोर लीडर्स की मीटिंग में ही दिख गई। राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद दोपहर एक बजे सभापति ने सभी दलों के फ्लोर लीडर्स की बैठक बुलाई। उसमें आप से राघव चड्ढा और तृणमूल से शांतनु सेन पहुंच गये। सभापति ने दोनों नेताओं के फ्लोर लीडर न होने के कारण बैठक में आने पर आपत्ति जताई जिसके विरोध में सभी विपक्षी दलों के फ्लोर लीडर्स बैठक से वॉकआउट कर गये।
साल भर पहले भी हुए थे निलंबित
लगभग साल भर पहले 27 जुलाई 2022 राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने संजय सिंह को सदन से निलंबित किया था। आज, सोमवार को भी उन्होंने उच्चसदन तीन बजे शाम दोबारा शुरू होने के बाद संजय सिंह को सदन से बाहर जाने का निर्देश दिया। तब संजय सिंह गुजरात में जहरीली शराब से मरने वालो के विषय की तख्तियां लेकर वेल में आ गये थे। तब समूचा विपक्ष महंगाई पर चर्चा 267 के तहत चाहता था। जब कि आज विषय मणिपुर है। विपक्ष गोलबंद है। संजय सिंह को उनके गुस्ताखी की सजा फिर मिली है। संजय सिंह 2018 में पहली बार राज्यसभा में आप से चुनकर आये हैं। महज तीन साल के अंतराल में उनके तेवरों के कारण दो बार निलंबन हो चुका है। अब तक 21 सांसदों को उनके अनियंत्रित व्यवहार के कारण सदन से निलंबित किया जा चुका है।