जाने सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट के संघर्षों की कहानी

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजस्थान में गुर्जरों को चेहते नेता सचिन पायलट के बारे में तो हम सभी जानते हैं लेकिन हम में से कम ही लोग उनके पिता राजेश पायलट के बारे में जानते हैं। सचिन के पिता राजेश पायलट कांग्रेस के बड़े नेता थे लेकिन उनका स्कूल औऱ कॉलेज का समय बहुत अभावों में बीता। सचिन  पायलट के पिता राजेश पायलट सेना में पायलट थे। इसके पहले तक उनका जीवन संर्घषों में बीता।

राजेश पायलट के संघर्ष की कहानी उनके दोस्तों के मुंह से सुनकर सभी हैरत में पड़ जाते है। आज हम आपको बताते हैं कि सचिन पायलट राजस्थान की राजनीति में जितने लोकप्रिय है उसके पीछ उनको पिता से मिली विरासत है। इसके अलावा सचिन पायलट के पिता का असली नाम क्या था और कैसे वो सेना के पायलट से किसानों के बड़े नेता बने।

बचपन बीता अभावों में

सचिन पायलट के पिता राजेश  पायलट का बचन अभावों में बीता । राजेश पायलट के घर की माली हालत ठीक नहीं थी इसलिए उनको घर चलाने के लिए दूध बेचना पड़ता था। वो जिस कोठी से दूध बेचते थे फिर उसी में मंत्री बनकर रहे।

असली नाम राजेश पायलट नहीं ये था

राजेश पायलट का जन्म 10 फरवरी 1945 को हुआ था। बचपन अभावों में बीता सरकार स्कूल में पढ़ाई करने के बाद राजेश पायलट ने वायुसेना के लिए क्वालीफाई किया और उसके बाद वो पालट बनें। उनका असली नाम राजेश्वर प्रसाद सिंह विधूड़ी था। राजेश पायलट का बचपन इतने अभावों में गुजरा कि लोगो से कपड़े लेकर पहनते थे और एन सी सी ज्वाइन करने के पीछे की वजह ये थी कि वहां यूनिफार्म मिलती थी। राजेश पायलट स्कूली पढ़ाई के साथ साथ दूध बेचने के काम करते थे और जब वो वायुसेना के लिए क्वालीफाई हुए तो उनके जीवन में बदलाव आया। यहीं से उनके जीवन का नया अध्याय शुरू हुआ।

भारत पाकिस्तान युद्द लड़ा थे। उनके दोस्तों के मुताबिक राजेश पायलट के सपने बड़े बड़े थे और जब वो अपने सपनों की बात दोस्तों से करते तो सब हंसते थे। लेकिन फिर वो दिन आया कि राजेश पायलट केंद्रीय मंत्री भी बने।

सेना में रहते हुए राजेश पायलट ने 1971 में भारत पाकिस्तान का युद्द लड़ा था। उसके बाद 1974 में उनकी शादी हुई। राजेश पायलट ने 1980 में राजनीति में आने का फैसला किया। उस वक्त संजय गांधी ने पायलट से कहा कि वो अपना नाम राजेश पायलट रख ले। उसके बाद पायलट ने पहला लोकसभा चुनाव भरतपुर से लड़ा जिसमें उनको जीत मिली।

लगातार बने सांसद

1980 में भरतपुर से सांसद बनने के बाद 1984 राजेश पायलट ने दौसा से चुनाल लड़ा और जीते । 1996 , 1998 और 1999 में भी पायलट ने दौसा से चुनाव लड़ा और जीता। 1991-96 के बीच राजेश पायलट लगातार केंद्रीय मंत्री रहे। सन 2000 में जून में राजेश पायलट की एक सडॉक दुर्घटना में निधन हो गया। उसके बाद उनके बेटे सचिन ने उनकी राजनैतिक विरासत को आगे बढ़ाय़ा। सचिन को राजनीति में कई साल हो गए है। लंबे समय तक यूपीए सरकार में वो मंत्री रहे उसके बाद राजस्थान में उप मुख्यमंत्री बने। सचिन इन दिनों राजनीति में अपने मुकाम की तलाश में है।

सचिन को विरासत में मिले पिता के राजनीति के साथ साथ उनके समर्थक दोनों ही विरासत में मिले हैं। यही वजह है कि सचिन के बगावती तेवरों के बाद भी उनके चाहने वाले और बगावत में भी साथ खड़े रहने वालों की कमी कभी नहीं हुई।

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