राजस्थान कांग्रेस में बगावत के सुऱ अब कुछ कम सुनाई दे रहे है। खबर है कि सचिव पायलट का खेमा इन दिनों की शांत है और अब उनकी तरफ से नेतृत्व परिवर्तन की मांग भी नहीं हो रही।
-पिछले दिनों में किसी पायलट समर्थक ने नहीं कहा नेतृत्व परिवर्तन के लिए
-पायलट ने कई सारे किसान सम्मेलन किए सरकार के खिलाफ बयानबाजी की उसके बाद चुप्पी साध ली
-अब उनके समर्थक भी चुप हैं और अब केवल पायलट कांग्रेस को नसीहत दे रहे हैं
राजस्थान की राजनीति में एक तरफ पायलट के समर्थकों के चुप्पी है तो वहीं दूसरी तरफ गेहलोत समर्थक अब दावे से कह रहे हैं कि प्रदेश में किसी तरह का नेतृत्व परिवर्तन नहीं है अब अशोक गेहलतो पांच साल तक सीएम रहेंगे।
क्या है पायलट खेमे के चुप्पी का राज
पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके खेमे ने जिस तरह से चुप्पी साधी है उसके पीछे कई सियासी मायने निकाले जा रहे है। राजनैतिक पंडित मानते हैं कि पायलट खेमा अब समझ चुका हैन कि अब नेतृत्व परिवर्तन कोई फायदा नहीं। अब चुनावी बिगुल बजने वाला है इसलिए किसी भी तरह के परिवरर्तन की मांग करना मूर्खता होगी।
दूसरा पायलट खेमा जानता है कि राजस्थान के रिवाज के मुताबिक इस बार सरकार बदल सकती है। यही कारण है कि पायलट नेतृत्व का चेहरा बनकर हार का ठप्पा खुद के ऊपर नहीं लेना चाहते हैं। यही कारण है कि उनके समर्थकों और पायलट ने खुद चुप्पी साध ली है।
पहले किसान सम्मेलन के जरिए बनाया दवाब
पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने पिछले दिनों कई सारे किसान सम्मेलन किए । सम्मेलन में सचिन पायलट ने गेहलोत सरकार पर कई सारे सवाल भी खड़े किए।
सचिन ने किसान सम्मेलन के जरिए शक्ति प्रर्दशन किया और सरकार को पेपर लीक मामले में जमकर घेरा। इन शक्ति प्रर्दशन के जरिए कांग्रेस आलाकमान पर भी दबाव बनाने कि कोशिश की लेकिन आलाकमान की तरफ से नेतृत्व परिवर्तन जैसे कोई संकेत नहीं मिले।