आज भारत के उस रहस्यवादी दार्शिनक का जन्मदिन है, जिन्होंने अपने क्रांतिकारी विचारों से दुनिया को हिला दिया था। एक समय दुनिया भर के दर्जनों देशों ने उनके घुसने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। वह पहले रजनीश (Rajneesh) के रूप में जाने जाते थे। उनका जन्म का नाम चंद्रमोहन जैन था। वह 11 दिसंबर 1931 को मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में कपड़ा व्यापारी बाबूलाल जैन के यहां जन्मे थे।वह माता-पिता की 11वीं संतान थे।
बचपन के शुरुआती आठ साल उन्होंने अपने नाना के यहां गुजारे थे। शुरुआत से ही वह काफी स्वतंत्र और तार्किक सोच वाले थे और उनका झुकाव दर्शन और आध्यात्म की ओर होने लगा। 21 साल की उम्र में उनको संबोधि हुई। उन्होंने सार्वजनिक भाषण देने शुरू किए और देश भर में घूमते वे रजनीश से आचार्य रजनीश हुए। बाद में उनके अनुयायियों के बीच ओशो कहलाए।
खुद को घोषित किया था भगवान
जब रजनीश पुणे और अमेरिका में अपना आश्रम बना चुके, तो उन्होंने खुद को भगवान घोषित कर दिया। उनके अनुयायी उन्हें भगवान रजनीश बुलाने लगे। फिसॉलिफी में एमए की डिग्री के बाद वे पहले रायपुर और फिर जबलपुर में फिसॉलिफी प्रोफेसर बने और छात्रों के साथ वे अपने साथियों में भी काफी बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में पहचाने जाते थे। नौकरी के साथ उन्होंने भारत भ्रमण जारी रखा और धीरे धीरे उनकी आचर्य रजनीश के रूप में पहचान बनाने लगी।
1966 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और भारत में भ्रमण पर निकल गए। उन्होंने अपने भाषणों में परंपरागत धार्मिकता, समाजवाद, गांधीवाद, प्रमुख राजनैतिक विचारधाराओं, सभी की तार्किक आलोचना की।