राजस्थान में नए सीएम के चयन के बाद अब सबकी नजरें मंत्रिमंडल गठन पर हैं। भले ही मंत्रियों को शपथ दिलाने का अभी कार्यक्रम तय नहीं हुआ है, लेकिन प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है कि कौन मंत्री बनने जा रहा है। मंत्रिमंडल की तस्वीर वरिष्ठता के आधार पर बनेगी या जिले और जातीय संतुलन के आधार पर यह अभी साफ नहीं हुआ।
राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ लगातार संपर्क में सीएम भजनलाल शर्मा
हालांकि बीजेपी ने सभी बिंदुओं पर मंथन कर लिया है और अंदर सब कुछ तय हो चुका है। सीएम भजनलाल शर्मा पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ लगातार संपर्क में हैं,बैठकों का दौर जारी है। भजन लाल दिल्ली में एक बार फिर बीजेपी के शीर्ष नेताओं से मिलेंगे। दरअसल मंत्रियों की संभावित सूची अमित शाह के पास है। ऐसे में चर्चा है कि सीएम भजन लाल के साथ अमित शाह चर्चा करेंगे औऱ सूची को फाइनल टच देंगे। राजस्थान के सियासी गलियारों में चर्चा है कि मंत्रिमंडल गठन में युवाओं को मिलेगा।
वसुंधरा राजे के करीबियों को मौका नहीं मिलेगा। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे के करीबियों को मंत्रिमंडल में एंट्री नहीं मिलती है तो फिर असंतोष से स्वर तेज हो सकते है। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि पहले चरण में 10 कैबिनेट औऱ 5 राज्यमंत्री बनाए जा सकते है। असंतोष की हवा देखकर बाद में मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है। वैसे सीएम भजन लाल ही नहीं दोनों डिप्टी सीएम दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा भी दिल्ली में डेरा डाले हैं। वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे। वहीं पर मंत्रिमंडल को लेकर सूची तैयार होगी। माना जा रहा है कि सीएम भजनलाल शर्मा के दिल्ली से वापस आने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है।
फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं वसुंधरा राजे
राजस्थान के राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि वसुंधरा राजे के करीबियों के भाजपा आलाकमान पहले टिकट काट दिए थे। हालांकि वसुंधरा राजे बड़ी संख्या में अपने समर्थकों को चुनाव में टिकट दिलाने में सफल भी रही थीं। जो विधायक जीतकर आए हैं उन्हें मंत्री नहीं बनाया जाता है तो जाहिर है वसुंधरा कैंप में नाराजगी बढ़ती नजर आएगी। मंत्रिमंडल गठन के बाद बयानबाजी का नया दौर भी शुरू हो सकता है। सियासी जानकारों की माने तो वसुंधरा राजे की भले ही बीजेपी आलाकमान की ओर से अनदेखी कर दी गई हो, लेकिन सियासी तौर पर वसुंधरा राजे अब भी पार्टी की बड़ी नेता हैं।