राजस्थान के साथ ही छत्तीसगढ़ में भी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में दोनों राज्यों की सरकारों ने अपने यहां पुरानी पेंशन देनेा का ऐलान किया है। वहीं कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश में भी सरकार ने अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ देने का ऐलान किया है। इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों आमने सामने आ गई है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राजस्थान में कार्यक्रम के दौरान एनपीएस का पैसा राज्य सरकारों को देने से साफ इनकार कर दिया है। निर्मला सीतारमण ने कहा. कोई राज्य अगर किसी कारण से यह डिसीजन लेता है कि एनपीएस का फंड है वो इकट्ठा दे देना चाहिए तो वह नहीं मिलेगा। सीतारमण के इस बयान से राजस्थान सरकार की ओल्ड पेंशन स्कीम को धक्का लगा है। उन्होंने कहा अगर कोई राज्य सरकार यह अपेक्षा कर कर रही है कि एनपीएस के लिए जमा किया गया पैसा उन्हें वापस मिल जाएगा तो यह नामुमकिन है।
बता दें केंद्र सरकार की ओर ये स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में कहा था कि केंद्र ने एनपीएस के तहत जमा पैसा राज्य को नहीं लौटाया तो राज्य सरकार अदालत का दरवाजा खटखाएगी। राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा कि जब मानव अधिकार आयोग इसका विरोध कर चुका है। आयोग इसे मनाने को तैयार नहीं है। ज्यूडिशल सर्विस में ओपीएस रहेगा। आर्मी में ओपीएस रहेगा। बीएसएफ और बाकी सेवाओं में एनपीएस लागू होगा क्यों। जब एक कर्मचारी 35 साल की सेवा के बाद भी सुरक्षित नहीं महसूस करेगा तो फायदा क्या है। कई कर्मचारियों का भविष्य शेयर बाजार के हाथ में छोड़ा जा रहा है।
वाजपेयी की सरकार में किया था लागू
गहलोत ने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में इसको लागू किया गया था और यह देखा गया कि यह काम नहीं कर रहा है तो अब भारत सरकार को इसको लागू करने की कोशिश क्यों करनी है।
अधर में सेवानिवृत्त कर्मचारी
बीजेपी और कांग्रेस की लड़ाई का असर अब सरकारी कर्मचारियों पर पड़ता दिख रहा है। पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने काे लेकर अब केंद्र सरकार की ओर से अड़ंगा डाल दिया गया है। ऐसे में इन राज्यों के सरकारी कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का फायदा मिलेगा या नहीं। इसे लेकर स्थिति साफ नहीं है। वहीं क्या वह नई पेंशन योजना को भी चालू रख पाएंगे या नहीं। इसे लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता।