डिमांड के बाद भी सचिन पायलट ने नहीं किया…राजस्थान की इन तीन सीटों पर प्रचार…दूर नहीं हुआ है गहलोत से मनमुटाव

राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम और छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रभारी सचिन पायलट इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में हैं। दरअसल राजस्थान में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के लिए दिग्गज नेता पायलट की काफी डिमांड रही। लोकसभा की कई सीटों पर नेताओं ने प्रयास किया कि सचिन पायलट को अपने क्षेत्र में चुनावी सभा के लिए लाया जाए। इस दौरान सचिन पायलट के चुनावी सभा कुछ जगहों पर हुई भी। वहां के सियासी समीकरण में बदलाव के अब क्या तेज हो गए हैं। आज हम बात कर रहे हैं राजस्थान की नागौर, अजमेर और जालौर लोकसभा सीट की। जहां सचिन पायलट की डिमांड थी, लेकिन वे प्रचार के लिए नहीं पहुंचे। यानी इन तीनों सीट पर सचिन पायलट ने प्रचार नहीं किया। इसके बाद से पायलट के नहीं जाने को लेकर राजस्थान की धरती पर सियासत गर्म हो गई है। इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह के मायने भी निकाले जाने लगे हैं।

जालौर सीट पर नहीं किया प्रचार

दरअसल जालौर से प्रत्याशी वैभव गहलोत पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे हैं। पायलट ने पिछले दिनों मीडिया में बयान दिया था कि उन्होंने अशोक गहलोत को माफ कर दिया है और वह वैभव के प्रचार के लिए जालौर जाएंगे लेकिन पायलट जालौर हीं पहुंचे। इसे लेकर राजस्थान में अब सियासत गरमा गई है कहा जा रहा है कि सचिन पायलट ने पहले जो बात कही थी वह दिल से नहीं कही थी और जालौर में नहीं जाने की का फैसला उन्होंने दिल से लिया है अब इसे लेकर कयास बाजी तेज हो गई है। वहीं चुनाव के दौरान सचिन पायलट को निशाना बनाते हुए भी वैभव भी यह बयान दिया था कि साल 2014 में उनके विरोधियों ने उन्हें टिकट नहीं मिलने दिया माना था। माना जा रहा है कि वैभव के इस बयान के बाद ही पायलट जालौर में प्रचार के लिए नहीं गए।

बेनीवाल से है पायलट की पुरानी अदावत

इंडिया गठबंधन के तहत आरएलपी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल नागौर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस दौरान हनुमान बेनीवाल ने भी एक सभा में बयान दिया कि उनके क्षेत्र में सचिन पायलट की सभा कराए जाने को लेकर बहुत डिमांड हो रही है। बेनीवाल ने कहा इसके लिए उन्होंने सचिन पायलट से समय भी मांगा है। लेकिन सचिन पायलट नागौर की चुनाव प्रचार में भी नहीं गए। माना जा रहा है कि इसके पीछे हनुमान बेनीवाल और सचिन पायलट की पुरानी अदावत एक बड़ी वजह रही है। राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले हनुमान बेनीवाल ने सचिन पायलट के सिया पर जमकर सियासी हमला किया था। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि सचिन पायलट अपने पिता राजेश पायलट की वजह से पहचाने जाते हैं। सचिन पायलट का राजस्थान में कोई वजूद नहीं है। वहीं हनुमान बेनीवाल ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सियासी संकट में उन्हें अपने साथ मिलने का ऑफर भी दिया था। हालांकि सचिन पायलट ने से स्वीकार नहीं किया। इसके बाद हनुमान बेनीवाल ने सचिन से नाराज होकर उन पर कई सियासी हमले बोले। ऐसे में माना जा रहा है कि इन्हीं के इन्हीं सब के चलते सचिन पायलट ने गठबंधन में होने के बाद भी नागौर पहुंचकर हनुमान बेनीवाल का चुनाव प्रचार करना उचित नहीं समझा। वहीं दूसरी बड़ी वजह सचिन पायलट की छत्तीसगढ़ में व्यवस्था और दूसरी सीटों पर चुनाव प्रचार की व्यवस्था को भी माना जा रहा है।

गुर्जर बाहुल्य अजमेर से पायलट की दूरी

अजमेर से कांग्रेस ने रामचंद्र चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है सचिन पायलट का लोकसभा चुनाव में अजमेर की सीट पर भी नहीं जाना ऐसे में सियासत में चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल अजमेर लोकसभा सीट गुर्जर मतदाता वाली सीट मानी जाती है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र चौधरी ने भी कहा कि उन्होंने सचिन पायलट से अजमेर में आने के लिए कई बार आग्रह किया था। वे चार से पांच बार सचिन पायलट के स्टाफ से बात करते थे। लेकिन उनके स्टाफ के लोगों ने व्यस्त होने के चलते समय नहीं दिया। हालांकि रामचंद्र चौधरी ने यह बात भी कहीं की अशोक गहलोत राष्ट्रीय स्तर के स्टार प्रचारक है। उनसे बड़ा प्रचारक और कोई नहीं। ऐसे में अजमेर में अशोक गहलोत के आने से सब खानापूर्ति पूरी हो गई है। लेकिन गुर्जर बाहुल्य अजमेर सीट पर राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का न पहुंचना। अब चर्चा का विषय बना हुआ है।

Exit mobile version