राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने पूर्व की सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए 30 मई तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन इससे पहले ही गहलोत और पायलट कैंप में सुलह हो गई या करा दी गई। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दोनों के बीच सुलह का दावा किया है। हालांकि सचिन पायलट की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया। अब पायलट के बयान का सबको इंतजार है।
- खरगे ने कराई गहलोत और पायलट में सुलह
- राहुल गांधी की मौजूदगी में हुई अहम बैठक
- सुलह से संतुष्ट नहीं हैं क्या पायलट
- कौन सा दबाव है जो सचिन हो गए मौन
दरअसल सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के दिल्ली आवास पर राहुल गांधी की मौजूदगी में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ चार घंटे तक लंबी चर्चा की गई। देर रात तक चली चर्चा के बाद तय किया गया कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव ये दोनों नेता मिलकर लड़ेंगे। मीटिंग के बाद गहलोत और पायलट एक साथ मीडिया के सामने भी आए। लेकिन पायलट की बॉडी लेंग्वेज बता रही थी वे इससे खुश नहीं हैं। जबकि गहलोत खिलखिला रहे थे, मानो वो पायलट की खिल्ली उड़ा रहे हों। राजनीतिक पंडितों की माने तो दिखावे के लिए एक साथ जरुर गहलोत और पायलट दोनों सामने आए। लेकिन सचिन पायलट के मन में कहीं न कहीं अभी टीस बरकरार है।
पहले भी बनी थी कमेटी,कोई हल नहीं निकला
बता दें सचिन पायलट की मांगों को लेकर कांग्रेस ने पहले भी कमेटी बनाई थी। सचिन पायलट ने राजस्थान की राजधानी जयपुर में मीडिया से चर्चा के दौरान कुछ दिनों पहले ही स्पष्ट तौर पर कहा था कि करीब साढ़े चार साल बाद भी उनकी जो मांगें थी उनका समाधान नहीं हो पाया है। यही वजह है कि उन्होंने पहले अनशन और बाद में जन संघर्ष यात्रा की। ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि सचिन पायलट की मांगों को क्या एक बार फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। इतना ही नहीं पायलट और गहलोत के बीच हुए समाधान का फॉर्मूला सामने नहीं लाया गया है जिससे संशय और बढ़ गया है। सवाल ये भी है कि आखिर बीजेपी के शासन में हुए भ्रष्टाचार की जांच करने से कांग्रेस कतरा क्यों रही है। और क्या गहलोत पायलट के बीच सुलह विधानसभा चुनाव तक कायम रहेगी इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच जारी तनातनी के बीच कांग्रेस ने सोमवार 29 मई को सुलह का दावा किया। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के दिल्ली आवास पर करीब चार घंटे तक बैठक चली। इसके बाद रात करीब पौने 12 बजे अशोक गहलोत और सचिन पायलट पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ मीडिया के सामने आए। इस दौरान राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी उनके साथ थे।
किस फॉर्मूले पर सहमति बनी?
इस दौरान अशोक गहलोत और सचिन पायलट को लंबे समय बाद एक साथ देखा गया। कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मीडिया से चर्चा के दौरान बताया कि अशोक गहलोत, सचिन पायलट और राजस्थान कांग्रेस प्रभारी के साथ चार घंटे लंबी चर्चा हुई है। इसी चर्चा में हमने तय किया है कि हम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी निश्चित रूप से चुनाव जीतेगी। केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इससे साफ है कि कांग्रेस के लिए राजस्थान एक मजबूत राज्य है। उन्होंने कहा, “हम जीतने जा रहे हैं। इन मामलों के प्रस्ताव पर दोनों नेताओं अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने सर्वसम्मति से और सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की है।
हाईकमान कब लेगा फैसला?
गहलोत और पायलट की भूमिका को लेकर क्या था आखिरी फैसला? पूछे जाने पर वेणुगोपाल ने कहा दोनों पायलट और गहलोत ने फैसला आलाकमान पर छोड़ दिया है। हाईकमान लेगा फैसला दोनों सहमत हैं। इसके बारे में चिंता मत करो। दोनों नेताओं ने मिलकर काम करने पर सहमति जताई है। बता दें कि सेटलमेंट फॉर्मूले पर पूछे गए सवाल का जवाब न तो वेणुगोपाल ने दिया और न अशोक गहलोत कुछ बोले। सचिन पायलट तो मौन ही साधे रहे। ऐसे में सेटलमेंट फॉर्मूले पर सस्पेंस बना हुआ है। इस बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इन नेताओं की मुलाकात की एक तस्वीर ट्वीट की और कर्नाटक की जीत को राजस्थान में दोहराने की बात कही। जयराम रमेश ने ट्वीट किया ‘कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट से मुलाकात की। कांग्रेस पार्टी राजस्थान भी कर्नाटक का प्रदर्शन दोहराने की तैयारी में है।