Rajasthan Congress Crisis:कांग्रेस में फिर उठा बवंडर, माकन छोड़ना चाहते हैं प्रभारी की कुर्सी का भार

राजस्थान में जिस तरह रेत का बवंडर उठता है उसी तरह कांग्रेस में भी जब कभी विरोध और असंतोष की हवा तेज होती है तो रेत का बवंडर उठने लगता है। ऐसा ही एक बवंडर फिर उठा है। अब प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने पद छोड़ने की इच्छा जताकर नया बवंडर खड़ा कर दिया है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा  चुनाव के बीच कांग्रेस में फिर से शुरू हुई कलह उसके लिए घातक साबित हो सकती है। पार्टी संगठन को लेकर चर्चा सह भी है कि पिछले सितंबर को हुए घटनाक्रम में जिन पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुसंशा की गई थी उन पर कार्रवाई न होने से अजय माकन नाराज हैं। इसे लेकर उन्होंने पार्टी अध्यक्ष खड़गे को पत्र भी लिखा है। यह पत्र 8 नवंबर को लिखा गया था। जो अब सुख्रियों में है।

माकन ने बताया पार्टी का हित

राजस्थान कांग्रेस में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि यह पार्टी के हित में है कि राजस्थान के लिए नया प्रभारी नियुक्त किया जाए। कांग्रेस के गलियारों में चर्चा है कि  एक पेज के इस पत्र में माकन ने कहा है कि भारत जोड़ो यात्रा दिसंबर के पहले सप्ताह में राजस्थान में प्रवेश करेगी और चार दिसंबर को उपचुनाव भी हैं। ऐसे में जरूरी है कि जल्द से जल्द नया प्रभारी नियुक्त किया जाए। बता दें राज्य की सरदारशहर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है।

बागी विधायकों पर अब तक नहीं हुई कार्रवाई

दरअसल अजय माकन ने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को पत्र लिखकर प्रभारी पद छोड़ने का आग्रह ऐसे समय किया है जब घोर अनुशासनहीनता के आरोप में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी तीन नेताओं को नोटिस जारी किए हुए करीब 50 दिन का समय हो चुका है लेकिन अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। अनुशासनात्मक समिति के सदस्य सचिव तारिक अनवर का कहना है कि  तीन नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और उनके जवाब भी आए गए हैं।  इस पर अब पार्टी अध्यक्ष को फैसला लेना है कि आगे क्या करना है। महत्वपूर्ण बात यह है कि खरगे को लिखे पत्र में माकन ने 25 सितंबर के जयपुर के राजनीतिक घटनाक्रम को अपने नए कदम का आधार बताया है। उनका कहना है कि राजस्थान के लिए नया प्रभारी नियुक्त करना ही उचित रहेगा।

दिल्ली में ही रहना चाहते हैं माकन

अजय माकन ने खड़गे को भेजे पत्र में कहा है कि वे श्रमिक संगठनों और गैरण्सरकारी संगठनों के माध्यम से दिल्ली पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। जिससे प्रदूषण, झुग्गी बस्तियों, रेहड़ी पटरी वालों और अनाधिकृत कॉलोनियों के निवासियों से जुड़े मुद्दे वे उठा सकें।

खड़गे के लिए चुनौती बना राजस्थान

राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थक लगातार राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की पैरवी करते आ रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के बाद खड़गे के सामने राजस्थान बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। राजस्थान के सियासी संकट का हल निकालना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं। इस दिशा में अब तक उनकी ओर से कोई विशेष पहल भी  नहीं की गई।इसे लेकर स्थानीय कांग्रेसी कहते हैं कि गुजरात में चुनाव के बाद ही आलाकमान शायद कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। आलाकमान यह नहीं चाहेगा कि चुनाव के बीच राजस्थान में कोई सियासी बवाल फिर से खड़ा हो। मुख्यमंत्री गहलोत गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

क्या था पूरा विवाद

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने जब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने की मंशा जताई तब सचिन पायलट गुट को लगा कि अब सीएम की कुर्सी पायलट को मिल सकती है। इसे लेकर जोर आजमाइश भी की गई  लेकिन गहलोत पार्टी अध्यक्ष और सीएम दोनों की जिम्मेदारी अपने पास रखना चाहते थे। जो विवाद की बड़ी वजह बना। हालांकि बाद में गहलोत अध्यक्ष पद के लिए मैदान में नहीं उतरे लेकिन पार्टी हाईकमान की नजरों में वे जरुर आ गए इस बीच 25 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई लेकिन सीएलपी की बैठक नहीं हो सकी थी क्योंकि गहलोत के वफादार विधायकों ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की थी और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष को अपने इस्तीफे सौंप दिये थेण् इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वे पार्टी के 102 विधायकों में से हो। जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान अशोक गहलोत नीत सरकार का समर्थन किया था। बता दें तब सचिन पायलट और 18 विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी। इसके बाद कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति ने मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी के साथ पार्टी नेता धर्मेंद्र राठौड़ को अनुशासनहीनता के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। साथ ही 10 दिन में जवाब मांगा था।

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