राजस्थान में कांग्रेस की गुटबाजी के बीच सीएम अशोक गहलोत ने केन्द्र सरकार पर कर्ज को लेकर बड़ी बात कही है। सीएम गहलोत ने कहा हमारी राजस्थान की सरकार बहुत सोच-समझकर फैसले लेती है। उन्होंने कर्ज को लेकर कहा देश में हर राज्य की सरकार पर कर्ज है। इतना ही नहीं गहलोत ने यह तक कहा कि भारत सरकार भी तो कर्ज के पैसे से ही चल रही है। कर्ज लेकर राज्य का विकास करना योजनाओं को शुरु करना, आमजन को उन योजनाओं का लाभ देना बुरी बात नहीं है। क्यों कि बिना कर्ज लिए काम नहीं, विकास की योजनाओं के लिए कर्ज लेना ही पड़ता है।
- राजस्थान की फ्री स्कीम्स और गारंटी योजना
- पीएम मोदी ने दिवाला निकालने वाली दिया था करार
- कर्ज को लेकर पीएम मोदी पर सीएम का पलटवार
- बिना केन्द्र की अनुमति नहीं लिया जा सकता कर्ज
- नियंत्रण केन्द्र का तो फिर कैसे निकलेगा दिवाला!
- देश में हर राज्य की सरकार पर कर्ज
सीएम गहलोत ने पीएम मोदी पर पलटवार किया है। दरअसल मोदी ने पिछले दिनों अजमेर की जनसभा में राजस्थान सीएम गहलोत की फ्री स्कीम्स और गारंटी वाली योजनाओं को दिवाला निकालने वाला करार दिया था। इसके बाद जयपुर में सड़कों और आरयूबी के वर्चुअल शिलान्यास लोकार्पण समारोह के दौरान सीएम गहलोत ने कहा केन्द्र सरकार की अनुमति के बिना राज्य सरकारें एक लाख रुपए का भी कर्ज नहीं ले सकती हैं।उन्होंने कहा जब पूरा नियंत्रण केन्द्र सरकार के पास है, तो फिर दिवालिया कैसे हो सकता है। वे पीएम से कहना चाहते हैं कि अजमेर में वे कुछ कह कर गए थे। जो गारंटी दी जा रही है वो दिवालिया कैसे हो सकता है बता दीजिए आप। इतना ही नहीं सीएम गहलोत ने कहा साल 2014 में जब केन्द्र में मोदी की सरकार बनी थी तब 55 लाख करोड़ कर्ज था, लेकि मौजूदा दौर में कर्ज बढ़कर 155 लाख करोड़ का हो गया है। इसे क्या कहेंगे? कर्ज अगर विकास के लिए लिया जाता है, उसके पैरामीटर्स भी हाते हैं। जिसके तहत कर्ज लिया जाता है।
आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया
दरअसल यह एक साधारण सा गणित है कि अगर खर्च ज्यादा और आमदनी कम है, तो आपको कर्ज लेना ही पड़ेगा। चाहे सरकार हो या सामान्य व्यक्ति या कारोबारी। हां लेकिन खर्च और कर्ज का प्रबंधन सही तरह करना होगा, ऐसा नहीं किया तो हालात बिगड़ सकते हैं। ऐसे में हो सकता है कि न तो कमाई का कोई जरिया बचेगा और न ही कर्ज लेने के लायक बचेंगे। बता दें राज्य सरकार हो या केंद्र की सरकार बडी बड़ी परियोजनाओं को लागू करने के लिए हर किसी को कर्ज की जरूरत पड़ती है। दुनियाभर की सरकारें भी कर्ज लेकर ही देश चलातीं हैं। लेकिन ये कर्ज जब बढ़ने लगता है तो फिर दिक्कतें शुरु हो जाती है। हमारे देश में भी राज्य सरकारों का राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ रहा है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार का भी और राज्य सरकार का भी राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है। इस समय एक भी ऐसा राज्य नहीं है जिसका खर्च उसकी आमदनी से कम हो। देश की हर राज्य की सरकार अपनी आमदनी से ज्यादा ही खर्च कर रही है। जिसे पूरा करने के लिए उसे कर्ज लेना पड़ता है। आरबीआई की रिपोर्ट मुताबिक साल 2021 तक देशभर की सभी राज्य सरकारों पर 69.47 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। जिसमें सबसे ज्यादा कर्ज में तमिलनाडु की सरकार डूबी है।तमिलनाडू सरकार पर 6.59 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। इसके बाद नंबर आता है यूपी की योगी सरकार का। उत्तर प्रदेश सरकार पर 6.53 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज लदा हुआ है। बता दें मार्च 2021 तक की रिपोर्ट बताती है कि उस समय देश में 19 राज्य ऐसे थे जिन पर 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज लदा था।
इस तरह कर्ज के जाल में फंस रहे राज्य
रिजर्ब बैंक आफ इंडिया की पिछली एक रिपोर्ट में CAG के डेटा के हवाले से ये बात सार्वजनिक की है कि राज्य सरकारों का सब्सिडी पर खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है। साल 2020-21 में कुल खर्च का 11.2% खर्च सब्सिडी पर किया था। जबकि साल 2021-22 में यह बढ़कर 12.9% खर्च किया था। रिपोर्ट पर गौर करें तो पता चलता है कि सब्सिडी पर सबसे ज्यादा खर्च उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, झारखंड, तेलंगाना में बढ़ा है। वहीं पंजाब,गुजरात और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने अपने रेवेन्यू एक्सपेंडिचर का 10% से ज्यादा खर्च सब्सिडी पर किया है। रिपोर्ट के अनुसार अब राज्य सरकारें सब्सिडी की बजाय मुफ्त ही दे रहीं हैं। सरकारें ऐसी जगह पर पैसा खर्च करने में जुटी हैं जहां से उन्हें कमाई नहीं होने वाली। फ्री बिजली के साथ फ्री पानी और फ्री यात्रा ही नहीं कर्ज माफी, बिजली बिल माफी ये सब ‘freebies’ हैं। जिन पर राज्य सरकार सबसे अधिक खर्च कर रहीं हैं। हालांकि आरबीआई ने उम्मीद जताई है कि साल 2021-22 से 2026-27 के बीच देश के कई राज्यों में कर्ज कम होने की उम्मीद है। यानी राज्यों की ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट GSDP में कर्ज की हिस्सेदारी घटने की उम्मीद है। दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और कर्नाटक की सरकारों का कर्ज घटने का अनुमान है।
राजस्थान में कर्ज GSDP 35 प्रतिशत
आरबीआई की रिपोर्ट से पता चलता है कि कुछ राज्य ऐसे भी जिनका कर्ज साल 2026-27 तक GSDP का 30 प्रतिशत से अधिक हो सकता है। इन राज्यों में पंजाब की हालत सबसे खराब हो सकती है। 2026-27 के समय तक पंजाब सरकार पर GSDP का 45% से ज्यादा कर्ज होने की अनुमान है। तो वहीं केरल, पश्चिम बंगाल और राजस्थान की सरकार का कर्ज GSDP के 35% तक होने की संभावना है।