केन्द्र सरकार ने कई साल से अटका रखें हैं इन राज्यों के 158 बिल,मप्र के ये तीन बिल भी 13 साल से अटके

Rajasthan-Chhattisgarh conversion bill

केंद्र सरकार के पास इस समय विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से भेजे गए 158 बिल विचाराधीन हैं। जिनमें 91 बिल तो ऐसे हैं जो एक साल से भी ज्यादा समय से लंबित हैं। इन बिलों में से आधे से ज्यादा विपक्षी दलों की सरकारों वाले राज्यों के हैं। अब कुछ राज्यों में भाजपा की सरकार बनने के बाद जल्द कार्रवाई की संभावना है।

सबसे ज्यादा 19 बिल तमिलनाडु के लंबित हैं। असम के 16 बिल, राजस्थान के 12, केरल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के 11 जबकि आंध्र प्रदेश के 10 बिल केन्द्र के पास लंबित हैं। केंद्र सरकार के पास छत्तीसगढ़ की ओर से 2006 और राजस्थान की ओर से 2008 में धर्मांतरण मंजूरी के लिए भेजा गया था जो अब तक लंबित हैं। इन पर केंद्र सरकार ने बीते सालों में राय भी मांगी थी, हालांकि तब राज्यों ने जवाब नहीं दिया। ये बिल तब भेजे गए थे जब उन राज्यों में भाजपा सरकारें थीं। इस समय एक बार फिर यहां भाजपा की सरकार आई हैं। ऐसे में राजस्थान का सम्मान और परंपरा के नाम पर शादी करने की स्वतंत्रता, ऑनर किलिंग और मॉब लिंचिंग रोकथाम और सजा से जुड़ा लंबित बिल मंजूर होने की उम्मीद है।

गुजरात की बात करें तो गुंडागर्दी पर रोक वाला बिल अब तक केन्द्र सरकार की ओर से पास नहीं किया गया है। दरअसल बीजेपी शासित गुजरात सरकार ने गुंडागर्दी पर रोक के लिए दोषियों की संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान किया है। इससे जुड़ा बिल भी केन्द्र सरकार के पास विचाराधीन है। वहीं हरियाणा की बात करें तो गैंगस्टर रोकथाम और अधिग्रहीत भूमि मुआवजा बिल केन्द्र सरकार को भेजा था जो अब भी पेंडिंग हैं।

मप्र के ये तीन बिल 13 साल से अटके

मध्य प्रदेश के तीन बिल 13 साल से अटके हैं। इनमें मकोका की तर्ज पर बनने वाला बिल ‘मध्य प्रदेश टेररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज एंड कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइजेशन क्राइम’ पिछले 13 सालों से केंद्र के पास फंसा है। यह 2010 में लाया गया था। इसके अलावा क्रिमिनल लॉज बिल 2021 और सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रॉडक्ट्स बिल 2023 भी अटके हैं। दरअसल संविधान के आर्टिकल 200 के तहत राज्य के गवर्नर बिलों को केंद्र के पास भेजते हैं। ये बिल ऐसे होते हैं जिनमें गवर्नर को लगता है कि इन्हें राज्य ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर बनाया है। राज्य भी समवर्ती सूची के बिलों को केंद्र को भेजते हैं।

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