राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने बड़ा कदम उठाते हुए राजपूत चेहरे राजेन्द्र राठौड को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया है। मौजूदा हालात में बीजेपी ने इस पद पर राठौड़ को नियुक्त कर राजपूत समाज को अपनी ओर करने का मास्टर स्ट्रोक खेला है। इससे पहले ब्राह्मण चेहरे के रुप में वरिष्ठ नेता सीपी जोशी पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई तो जाट समाज से ताल्लुक रखने वाले सतीश पूनियां को विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष बना कर इस समाज को साधने का प्रयास किया है।
- चुनाव से पहले बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग
- जातिगत समीकरणों को साधने में जुटी बीजेपी
- प्रमुख पदों पर जाट, ब्राह्मण और राजपूत समाज के नेता
- करीब 10 फीसदी जाट समाज की जनसंख्या
- राजस्थान में ब्राम्हण समाज की संख्या करीब 85 लाख
- राजपूत समाज की जनसंख्या 55 से 58 लाख
राजनीति के जानकार बताते हैं कि इस तरह बीजेपी ने जातिगत समीकरणों को साधने की पुरजोर कोशिश की है। तीनों पदों पर नियुक्ति चेहरे से साफ हो जाता है कि बीजेपी पूरी तरह से चुनावी मोड पर आ गई है। सीपी जोशी अपनी नई कार्यसमिति बनाने वाले हैं। जिससे ये भी साफ हो जाएगा कि पार्टी किस.किस जाति को प्रतिनिधित्व देकर 2023 के विधानसभा चुनाव और इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम अपने पक्ष में करने में सफल रहती है। बता दें गुलाबचंद कटारिया को पहले ही असम का राज्यपाल बना दिया गया है। इसके बाद से ही उपनेता प्रतिपक्ष का पद खाली था।
ब्राह्मण चेहरा सीपी जोशी, लेकिन माने जाते हैं निर्गुट
चित्तौड़गढ़ से सांसद सीपी जोशी ब्राह्मण चेहरा तो हैं ही उनको निर्गुट भी माना जाता है। यानी वे किसी एक गुट के नहीं हैं। जिसके चलते पार्टी ने उन पर दांव खेलकर ब्राह्मण समाज को साधने की कोशिश की है। बता दें ब्राह्मण समाज के लोग लंबे समय से बीजेपी से सत्ता और संगठन में प्रतिनिधित्व की मांग करते आ रहे थे। हाल ही में जयपुर के विप्र महाकुंभ के बाद सीपी जोशी की नियुक्ति का कदम ब्राह्मणों को खुश करने से जोड़कर देखा जा रहा है। बता दें ब्राह्मण समुदाय की जनसंख्या राजस्थान में करीब 85 लाख से अधिक है। 50 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर सवर्ण वोट बैंक चुनावी नतीजा तय करता है। राज्य के 200 विधायकों में से 18 ब्राह्मण समुदाय से आते हैं।
राजेन्द्र राठौड के सहारे राजपूत समाज पर नजर
नेता प्रतिपक्ष बनाए गए राजेन्द्र राठौड राजपूत समाज से ताल्लुक रखते हैं। राजस्थान में आबादी में करीब 8 प्रतिशत का हिस्सा रखने वाले राजपूतों का 14 प्रतिशत से अधिक सीटों पर सीधा प्रभाव रहता है। राजपूत नेताओं के मुताबिक, राजस्थान में राजपूतों की आबादी करीब 55 से 58 लाख के बीच है। राज्य में राजपूतों की राजनीतिक स्थिति का आकलन इस बात से किया जा सकता है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में करीब 14 प्रतिशत और लोकसभा चुनाव में करीब 15 .20 राजपूत समाज के हिस्से में जाती हैं। राज्य की 120 विधानसभा सीट पर राजपूत समाज के लोग अपना परचम लहरा चुके हैं।
जाट समाज को साधेंगे पूनियां
सतीश पूनियां कभी बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष हुआ करते थे। उन्हें प्रदेशाध्यक्ष पद से हटा कर बीजेपी ने जाट समाज को नाराज कर दिया था। ऐसे में जाट समाज के कई युवाओं ने पार्टी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन भी किया और विरोध जताया था। माना जा रहा है कि जाट समाज का राजस्थान की राजनीति में खासा वर्चस्व है। ऐसे में बीजेपी के सामने दो ही विकल्प थे। पहला पूनियां को नेता प्रतिपक्ष बना दें या उपनेता प्रतिपक्ष बनाकर जाट समाज की नाराजगी दूर की जाए। पार्टी विधायकों के साथ मंथन के बाद पूनियां को आखिर उप नेता प्रतिपक्ष के तौर पर नई जिम्मेदारी दी गई। दरअसल राजस्थान में जाट समाज के लोगों संख्या कुल जनसंख्या के 10 प्रतिशत है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में राजस्थान में करीब डेढ़ से दो करोड़ जाट जाति की जनसंख्या हैं। राज्य के बाड़मेर, सीकर , नागौर , , बीकानेर , गंगानगर, चूरू , जैसलमेर, जोधपुर हनुमानगढ़ जयपुर सहित कई जिले जाट बाहुल्य हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि राजस्थान की सियासत में जाट समाज का काफी दबदबा है। पांच लोकसभा सीटों पर भी जाट वोट बैंक निर्णायक भूमिका में है।