राजस्थान में 1993 से हर चुनाव में राज बदलने का रिवाज बना हुआ है। पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर इस रिवाज को कायम रखा। अब साल के अंत में फिर से विधानसभा चुनाव होना हैं। बीजेपी को रिवाज के चलते राज बदलने की उम्मीद नजर आ रही है।
राज्य में बीजेपी के बड़े नेताओं में मुख्यमंत्री के पद को लेकर अभी से खिंचतान नजर आने लगी है। ऐसे में बीजेपी के सामने भी राजस्थान में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा। यह एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। क्या बीजेपी एक बार फिर से वसुंधरा राजे पर दांव लगाएगी या इस बार सत्ता में आई जो गजेन्द्र सिंह शेखावत को सरकार का मुखिया चुना जाएगा। कह सकते हैं वसुंधरा के अलावा भी कई नाम हैं जो मुख्यमंत्री का चेहरा बनने की दौड़ में हैं। जिनमें वसुंधरा राजे और गजेन्द्र सिंह शेखावत के अलावा ओम प्रकाश माथुर, राजेंद्र राठौड़, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष का जिम्मा संभाल रहे सतीश पूनियां का भी नाम चर्चा में है।
बता दें ओम प्रकाश माथुर फिलहाल छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। तो जोधपुर से सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत की राज्य बीजेपी में अच्छी पकड़ है। वे केंद्र की मोदी सरकार में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री का दायित्व संभााल रहे हैं। उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ बीजेपी वरिष्ठ नेता हैं। 2013 की वसुंधरा सरकार में राजेंद्र राठौड़ ग्रामीण विकास, पंचायती राज्य मंत्री रह चुके हैं। चुरू विधानसभा सीट से पांच बार चुनाव जीत चुके हैं। वहीं सतीश पूनिया मौजूदा दौर में राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
शेखावत के लिए तीसरा गुट सक्रिय
राजस्थान में चुनाव से पहले बीजेपी में अब तीसरा गुट केंद्रीय शेखवात गजेंन्द्र सिंह शेखावत को सीएम बनाने की कवायद में जुटा है। हालांकि अभी भी वसुंधरा राजे के समर्थक ये मानकर चल रहे हैं कि राजे का जनता के बीच जिस तरह से भावनात्मक लगाव है। वैसा सीधा जुड़ाव दूसरा कोई नेता नहीं कर पाया है। इसे भांपते हुए तीन साल तक बीजेपी के अधिकृत पोस्टरों से गायब रहीं वसुंधरा राजे की तस्वीर दिखाई देने लगी है। इतना ही नहीं उनका नाम भी बड़े सम्मान से लिया जाने लगा है।
गहलोत सरकार के खिलाफ दिखाई दे रही प्रो इंकंबेंसी
राजस्थान में साल 1993 से लगातार राजस्थान में ऐसी परम्परा बन गई कि हर बार सरकार बदल जाती है। सरकार के ढाई-तीन साल बाद ही एंटी इंकंबेंसी हावी हो जाती है और सत्ताधारी पार्टी उपचुनावों में हारती है। भाजपा के शासन में वर्ष 2013 से 2018 तक हुए आठ उपचुनावों में से छह में भाजपा हारी थी। इस बार राजस्थान में प्रो इंकंबेंसी साफ दिख रही है। यहां मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर बीजेपी में खींचतान होने के बीच नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया को राज्यपाल बनाया गया, जबकि वे कटारिया भी राज्य के मुख्यमंत्री बनने के सपने देख रहे थे। वहीं वसुंधरा राजे समेत 70 प्लस नेताओं के टिकट खतरे में पड़ते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ ही सतीश पूनियां को अपनी राह आसान दिखाई दे रही है। बताया जाता है कि विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी सीएम फेस को लेकर तस्वीर साफ कर सकती है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी शेखावत पर दांव खेल सकती है।
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