राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की कलह बढ़ती जा रही है। अब हालात यह बन गये है कि सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट खेमे के बीच सुलह की सभी संभावनाएं लगभग खत्म होती जा रहीं हैं। सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। पायलट की पदयात्रा के बाद लोग पूछने लगे हैं कि उनका प्लान क्या है। पायलट की रैली में भाषण सुनने के बाद साफ है कि वो कंफ्यूजन से निकल गए हैं।
- पायलट को लेकर दिल्ली कांग्रेस में भी दो धड़े
- एक धड़ा चाहता है पायलट पर तत्काल हो कार्रवाई
- दूसरा धड़ा कार्रवाई के खिलाफ
- सीएम गहलोत ने पायलट के पीछे लगाए मंत्री और विधायक
- गहलोत समर्थक मंत्री विधायक घेर रहे पायलट को
- पायलट की शर्तों को गहलोत ने किया दरकिनार
- 15 दिन बाद पायलट उठाएंगे कोई बड़ा कदम
हालांकि कहा जा रहा है कि दिल्ली में भी कांग्रेस दो धड़े में बंटी नजर आ रही है। जिसमें से एक गुट चाहता है कि पायलट के खिलाफ बिना देर किये कार्रवाई की जाना चाहिए तो वहीं दूसरा पायलट से सहानुभूति जता रहा है। वहीं सीएम अशोक गहलोत और उनके समर्थक चाहते हैं कि पायलट के खिलाफ अब कार्रवाई का वक्त आ गया है। इसके लिए वे लगातार दबाव बनाए हुए हैं। दरअसल पायलट ने जिस तरह की शर्तें गहलोत सरकार के सामने रखी हैं वो रास्ता उन्हें कांग्रेस से बाहर लेकर ही जाता है। ऐसे में सीएम गहलोत ने अपने तमाम विधायकों और मंत्रियों को पायलट के पीछे लगा दिया है।
पार्टी का कर्नाटक पर फोकस
गहलोत समर्थक ये मंत्री और विधायक लगातार ट्वीट कर पायलट को बीजेपी से मिले होने के आरोप लगा रहे हैं। इस सबके बीच फिलहाल कांग्रेस आलाकमान का फोकस कर्नाटक पर है। वहां नए सीएम का नाम तय करने को लेकर मंथन किया जा रहा है। ऐसे में राजस्थान में सियासी घमासान मचा हुआ है। राजस्थान में गहलोत खेमे की ओर से पायलट समर्थक मंत्री विधायकों पर बीजेपी से करोड़ों रुपए लेकर सरकार गिराने के आरोप लगाए जा रहे हैं। तो पायलट की रैली के बाद उनके समर्थक मंत्रियों और विधायक भी पलटवार कर रहे हैं। पायलट समर्थकों के निशाने पर शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल, खान मंत्री प्रमोद जैन भाया और मंत्री सुभाष गर्ग हैं। जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। एऐसे में हम कह सकते हैं कुल मिलाकर राजस्थान कांग्रेस में रार खत्म होते नहीं दिखाई दे रही है। पायलट और गहलोत दोनों ही खेमा एक-दूसरे को भ्रष्टाचारी बता रहे हैं।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी
बता दें सचिन पायलट ने अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि 15 दिन में उनकी तीन मांगों पर कार्रवाई नहीं की गई तो वे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे और राज्य की जनता को अपने साथ ले जाएंगे। पायलट ने साफ तौर पर कहा था कि बीजेपी की पिछली सरकार, जिसे हम कोस रहे थे और जिसके आधार पर हम सरकार में आए थे। सरकार को आरोपों की जांच करनी है। पायलट ने कहा यह यात्रा उन्होंने 11 मई को शुरू की थी। यह फैसला यात्रा से एक दिन पहले 9 मई को लिया गया। अजमेर को इसलिए चुना गया क्योंकि अजमेर शिक्षा का केंद्र है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और आरपीएससी है। शिक्षा, परीक्षा, नौकरी के केंद्र में है अजमेर। युवाओं में हाहाकार मच गया कि पारदर्शिता काम नहीं कर रही, लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगे, हाल ही में आरपीएससी सदस्य कटारा को भी गिरफ्तार किया गया। लेकिन सबकी जड़ भ्रष्टाचार है और हमने वसुंधरा राजे के कार्यकाल में भ्रष्टाचार की बात की।
यह कहकर पायलट ने निकाली भड़ास
पायलट का कहना है राजनीति, संगठन और पार्टी में हमेशा कुछ न कुछ उथल-पुथल होती रहती है। राजस्थान की जनता से कुछ कह कर सत्ता में आए थे, लेकिन उन बातों को पूरा न करने से सरकार की विश्वसनीयता खत्म हो रही है। जहां तक मंत्री धारीवाल की बात है तो वे अनुभवी हैं। दशकों से राजनीति में हैं। वो नवल जी के क़रीब थे, वो जोशी जी के क़रीब थे, वो मेरे क़रीब काम करते थे। उनके राजनीतिक संकट में जब वो दबाव में थे। तब हमने उनकी मदद की थी। धारीवाल एक अनुभवी नेता हैं। एक अच्छे वक्ता भी हैं, लेकिन जिनके लिए वह 98 की बात कर रहे हैं, ये वो लोग थे जिन्होंने उस समय की नई पीढ़ी को जगह दी। यह उस समय के नेताओं का बड़प्पन था। चाहे वह मिर्धा परिवार फिर मदेरणा परिवार। नवलकिशोर शर्मा हों। जब उन्होंने सोनिया गांधी की सलाह मानकर नई पीढ़ी को रास्ता दिया। 47 वर्षीय अशोक गहलोत, आलाकमान का एक लाइन का प्रस्ताव सभी को पसंद आया। लेकिन इन कहानियों को बताएं। आज के नेता। यही उनका बड़प्पन था, गहलोत डटे रहते तो क्या मुख्यमंत्री बन सकते थे। उस समय उन नेताओं ने जो किया वह पार्टी का अनुशासन था, वैसे भी जो दुनिया में नहीं हैं उनका इस तरह अपमान करना सही नहीं है। उन्होंने अपनी दावेदारी अशोक गहलोत पर छोड़ दी, लेकिन 25 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उसी लाइन को प्रस्तावित करने के लिए बैठक बुलाई और अगर वह बैठक नहीं हुई तो विद्रोह हो गया। कांग्रेस आलाकमान और सोनिया गांधी का अपमान किया है। कांग्रेस के 125 साल के इतिहास में आज तक ऐसा नहीं हुआ है। जो लोग लकीर खींचने की बात करते हैं। गुटबाजी की बात करते हैं। अनुशासन की बात करते हैं। सम्मान की बात करते हैं। उन्हें सोचना चाहिए कि दो मानक नहीं हो सकते। अनुशासनात्मक विचारधारा के लिए दोहरे मापदंड नहीं होते, जब आपको सूट करता है तो आपके मानक ऐसे होते हैं, अन्यथा वे ऐसे होते हैं, यह सोचा जाना चाहिए।