राजस्थान चुनाव: क्या कांग्रेस बदलेगी राज बदलने का रिवाज! खतरे में कांग्रेस के 50 फीसदी विधायकों के टिकट

Rajasthan Assembly Election

राजस्थान में कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में पिछली गलतियों से सबक लेते हुए टिकट पैटर्न बदलने जा रही है। सत्ता में रहकर हर बार ज्यादातर मंत्री-विधायकों को रिपीट करती आ रही पार्टी इस बार 65 से 70 प्रतिशत तक नए चेहरों को टिकट देने की कोशिश में है। टिकट चयन के मामले में कांग्रेस पहली बार मल्टी लेवल वर्किंग कर रही है।

कांग्रेस पार्टी की ओर से कराए गए कई सर्वे में 50 प्रतिशत मौजूदा मंत्रियों और विधायकों की फील्ड में स्थिति कमजोर मिली है। यानी आधे विधायकों को फिर से टिकट मिलने की गारंटी नहीं है। यही कारण है कि सीएम अशोक गहलोत से लेकर प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट देने की बात कह कर नेताओं को टिकट कटने के लिए पहले से ही तैयार रहने के संकेत दे रहे हैं। ऐसे में एआईसीसी ने तय किया है कि चुनाव में पचास फीसदी चेहरे युवा होंगे और इनमें भी महिलाओं की भागीदारी प्रमुखता से होगी। लोकल स्तर पर पार्टी के खिलाफ एंटी इन्कमबेंसी कम करने के लिहाज से उन सीटों पर इस बार खास बदलाव करने की तैयारी है। जहां लगातार एक ही परिवार को टिकट मिलता आ रहा है। इसके अलावा दो बार चुनाव हारने वाले नेताओं को भी टिकट मिलने की उम्मीद कम है।

रंधावा को दो टूक, पार्टी तय करेगी नेताओं के बेटे-बेटियों के टिकट

राजस्थान में विधानसभा चुनावों की तैयारी के अब टिकट के लेकर पर मंथन शुरु हो गया है। इस बीच कांग्रेस के कई वरिष्ठ विधायकों और मंत्रियों ने इस बार चुनावी जंग के मैदान से स्वयं को दूर रखने का ऐलान किया है। हालांकि कांग्रेस के ये बुजुर्ग विधायक अपनी राजनीति विरासत बेटे बेटियों को सौंपना चाहते हैं। ऐसे में ये नेता चाहते हैं कि उनकी जगह उनके बेटे बेटियों को चुनाव मैदान में उतारा जाए। लेकिन प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का बयान कांग्रेस के इन बुजुर्ग नेताओं की मंशा पर पानी फेरते नजर आ रहा है। दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ विधायकों और नेताओं के बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए खुद रिटायर होकर बेटे-बेटियों को टिकट देने की मांग की है।

पहले देखेंगे नेताओं के बेटे बेटियों की क्षमता

इससे प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने साफ इनकार कर दिया है। कांग्रेस प्रभारी रंधावा का कहना है कि पार्टी यह तय करेगी कि टिकट उन्हें देनी है या उनके बच्चों को देनी है या पार्टी के किसी दूसरे योग्य कार्यकर्ताओं को टिकट देनी है। नेता थोड़े ही अपने बेटे बेटियों का टिकट तय करेंगे। यह यो पार्टी करेगी कि किसे टिकट देना है। उन नेताओं के कहने से अब कांग्रेस में टिकट तय नहीं होंगे। पार्टी के किसी नेता का यह अधिकार नहीं है कि वह तय करे की टिकट उसे मिले अथवा उसके परिवार के किसी सदस्य को मिले। यह अधिकार केवल पार्टी हाईकमान और केंद्रीय चुनाव समिति के पास ही है। टिकट वितरण के दौरान पार्टी पहले यह देखेगी कि नेताओं के बेटे या बेटी चुनाव जीतने लायक हैं भी या नहीं।

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