गहलोत का ‘महाराणा कार्ड’, चुनाव से पहले गहलोत की सोशल इंजीनियरिंग बनी बीजेपी का संकट

Maharana Pratap

राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले सीएम अशोक गहलोत सोशल इंजीनियरिंग में जुटे हैं। इसके साथ ही अपने विरोधियों को हाशिए पर पहुंचाने के लिए लगातार शतरंज की चालें चल रहे हैं। सीएम गहलोत ने अब राजस्थान में बेहद प्रभावशाली माने जाने वाली राजपूत जाति के वोट हासिल करने के लिए ‘महाराणा कार्ड’ खेला है।

सीएम गहलोत ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप बोर्ड गठित करने का एलान किया है। बता दें राजस्थान में ब्राह्मण, गुर्जर, अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति, जनजाति के उत्थान के लिए बोर्ड बने हुए हैं। अब राज्य सरकार ने राजस्थान के वीर योद्धा और राजपूत शासक वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के नाम से बोर्ड के गठन का ऐलान किया है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इस बोर्ड का गठन होने पर राजपूत समाज के प्रतिनिधियों को उपकृत करने का मौका मिलेगा। दरअसल महाराणा प्रताप भले ही इतिहास के पन्नों में दर्ज हों लेकिन 16वीं सदी के योद्धा आज भी सियासत में प्रासंगिक बने हैं। महाराणा प्रताप राजस्थान में आज भी प्रासंगिक है। एक सियासी विषय है। राजस्थान सीएमओ की ओर से जारी स्टेटमेंट में कहा गया कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप बोर्ड युवा पीढ़ी को महाराणा प्रताप की वीरता से रूबरू कराएगा। राजपूतों की एक संस्था मेवाड़ क्षत्रिय महासभा की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम गहलोत ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को विरासत के रूप में वीरता की इस गौरवशाली गाथा को सौंपना वर्तमान पीढ़ी का कर्तव्य है। ऐसे में राजस्थान में कांग्रेस पारंपरिक रूप से बीजेपी का गढ़ रहे मेवाड़ में अपनी उपस्थिति मजबूत करना चाह रही है। क्योंकि गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल नियुक्त करने के बाद राजस्थान की राजनीति में उनके स्थान को भरना बीजेपी के लिए बड़ा चैलेंज होगा। बस कांग्रेस इसी का फायदा उठाना चाहती है। जिसके चलते सीएम अशोक गहलोत ने घोषणा की कि उनकी सरकार राज्य के युवाओं को महाराणा की बहादुरी से अवगत कराने के लिए वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप बोर्ड का गठन करेगी।

भाजपा ने बताया मुगल प्रेमी

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सी पी जोशी ने सीएम गहलोत पर निशाना साधते हुए उनको मुगल प्रेमी सरकार करार दिया और कहा कि कांग्रेस तो अकबर का “महिमामंडन” करती रही है। भाजपा ने कांग्रेस पर इतिहास की किताबों से महाराणा प्रताप को मिटाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया। बता दें मेवाड़ क्षेत्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चित्तौड़ प्रांत के तहत आता है और कई दशकों तक यह भाजपा का गढ़ रहा है। इससे पहले इसके पहले जनसंघ का गढ़ था।

महाराणा प्रताप हैं अभी भी राजनीतिक मुद्दा

रेगिस्तानी राज्य में विधानसभा चुनाव होने से महीनों पहले, कांग्रेस मेवाड़ में अपनी उपस्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है, जो पारंपरिक रूप से भाजपा का गढ़ रहा है। उदयपुर में, ऐतिहासिक मेवाड़ क्षेत्र के केंद्र में, वरिष्ठ नेता गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल नियुक्त करने और राज्य की राजनीति से बाहर स्थानांतरित करने के बाद बनी एक शक्ति निर्वात के कारण भाजपा को छोड़ दिया गया है। महाराणा प्रताप की विरासत पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच खींचतान के केंद्र में रही है।

महाराणा के सहारे राजपूत वोट पर गहलोत की नजर

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