राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है लेकिन चुनाव जीतने के बाद से अब तक मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं हो सका है। सीएम फेस को लेकर राजधानी जयपुर से लेकर दिल्ली तक बैठकों और मुलाकातों का दौर जारी है। दवाब डाला जा रहा है कि दो बार राज्य की मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे सिंधिया भी पुरजोर कोशिश में हैं कि उन्हें फिर से राज्य की सत्ता सौंपी जाए।
- राजे की प्रेशर और रिसॉर्ट पॉलिटिक्स !
- प्रेशर पॉलिटिक्स में रिसॉर्ट पॉलिटिक्स को आजमाया
- बारा के विधायक राधेश्याम बैरवा को लेकर दावा
- बैरवा 6 विधायकों को रिसॉर्ट ले आए थे
- सांसद बेटे दुष्यंत सिंह के कहने पर लाया गया
- विधायकों को संगठन के सदस्य से नहीं मिलने दिया
- नवनिर्वाचित विधायकों को पार्टी दफ्तर जाने से भी रोका
- सीएम पद के लिए राजे क्या बगावत के मूड में हैं
- बीजेपी विधायकों को बेटे के रिसॉर्ट में रुकवाने का आरोप
- रविवार 3 दिसंबर को आये थे परिणाम
राजस्थान में सीएम कौन बनेगा इस सवाल का जवाब नहीं मिला है। 3 दिसंबर को नजीते आए थे चौथे दिन भी इस पर सस्पेंस बरकरार है। सीएम पद के दावेदारों से जुड़ी खबरें दिन भर सियासी आसमान पर हवा में उड़ती रहीं। इस दौरान कभी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव का नाम उछला तो ट्रेंड में कभी बाबा बालकनाथ का नाम चला। इस सबके बीच स्था्ई भाव से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे लगातार केंद्रबिंदु में रहीं हैं। वे दिल्ली में डोरा जमाए हुए हैं। एक तरफ तो पीएम मोदी की तारीफ में वे ट्वीट कर रही हैं तो दूसरी ओर प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल भी राजे चला रही हैं। इसके बीच राजस्थान में बीजेपी के एक विधायक के पिता ने आरोप लगाया है कि वसुंधरा के बेटे सांसद दुष्यंत सिंह ने रिसॉर्ट में उसके विधायक बेटे को पार्टी के कुछ दूसरे विधायकों के साथ जबरन बैठा रखा हुआ है। इससे लगता है आखिर वसुंधरा राजे क्या चाहती हैं? क्या वसुंधरा राजे को इस बात का पता नहीं है कि वे पार्टी आलाकमान से पंगा लेकर क्या हासिल कर लेंगी?
वसुंधर राजे फिलहाल दिल्ली में हैं। गुरुवार शाम को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के लिए उन्हें समय मिला। इसके बीच पार्टी की प्रदेश की सियासत में कद्दावर नेताओं में शुमार वसुंधरा का खेमा लगातार राजस्थान में प्रेशर पॉलिटिक्स का दांव चल रहा है। चर्चा है कि वसुंधरा राजे बहुमत के साथ बीजेपी के अंदर अपने समर्थक विधायकों का बहुमत भी जताने की कोशिश कर रही हैं। क्योंकि दो दिन पहले करीब 40 विधायकों ने वसुंधरा राजे से अलग अलग मुलाकात की थी। विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी में वसुंधरा राजे समर्थक करीब 35 प्रत्याशियों को को टिकट देकर मैदान में उतारा था। राजे ने भी अपने समर्थकों के लिए उनके विधानसभा क्षेत्र में जमकर चुनाव प्रचार किया।अपनी सीट छोड़कर वसुंधरा ने करीब 45 समर्थित विधायकों केे पक्ष में प्रचार किया था। विधानसभा चुनाव के बाद उनके कई समर्थक चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
राजे के नाम पर कितने होंगे राजी
विधानसभा चुनाव के बाद राजस्थान में वसुंधरा राजे समर्थित विधायकों की संख्या और निर्दलीय चुनकर आने वाले विधायकों की संख्या मिलाकर करीब 50 के आस पास जा पहुंची है। इतना ही नहीं चुनाव परिणाम सामने आने के बाद करीब चालिस विधायकों ने वसुंधरा राजे से मिलने उनके बंगले पर भी पहुंचे थे। हालांकि दूसरी ओर वसुंधरा राजे के स्टाफ का दावा है कि राजे से मिलने वाले विधायकों की संख्या आधा सैकड़ा के आस-पास बताई जा रही थी। मिलने वाले विधायकों में विधायक ललित मीणा भी उनमें शामिल थे जो वसुंधरा से मिलने आए। चर्चा यह भी है कि वसुंधरा राजे निरंतर अपने समर्थक सभी विधायकों से फोन पर संपर्क बनाए हुए हैं। ये विधायक भी उनके इशारे के इंतजार में हैं। राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी को 199 सीट में से 115 सीट पर जीत हासिल हुई है। इसमें से वसुंधरा राजे के समर्थक विधायकों की संख्या 35 है। राजे गुट की ओर से यह भी दावा किया जा रहा है कि अब राजे के समर्थकों की संख्या करीब 45 से अधिक हो गई है। इसके अलावा राज्य के 5 निर्दलीय विधायक भी वसुंधरा राजे के संपर्क में बने हुए हैं।