पायलट चाहते हैं राजस्थान को लेकर जल्द हो फैसला, विधायक दल की बैठक में शामिल न होने वाले नेताओं पर कार्रवाई में देरी पर उठाए सवाल

ashok gehlot sachin pilot

राजस्थान में पिछले साल कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद पार्टी में उठा सियासी बवंडर अब तक नहीं थमा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच चल रही ये सियासी टसल दूर नहीं हुई तो साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा है कि राजस्थान पर जल्दी फैसला करें। सचिन पायलट ने उन विधायकों पर कारवाई की मांग की है जो पिछले साल विधायक दल की बैठक में नहीं थे। इस बैठक में अशोक गहलोत की जगह राजस्थान के लिए विधायक दल का नया नेता चुना जाना था। बहरहाल सचिन के बयान के बाद राजस्थान कांग्रेस में फिर बवाल मच गया है।

सचिन पायलट ने कहा है कि सितंबर से लेकर अब तक आलाकमान ने किसी पर कोई कारवाई नहीं की है। उल्टा इन विधायकों ने अपने इस्तीफे भी वापस ले लिए हैं। दरअसल सचिव पायलट गहलोत गुट के विधायकों पर कारवाई की मांग कर रहे थे जो सितंबर में विधायक दल की बैठक मे नही पहुंचे। पायलट ने यह तक कहा कि राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा बदलनी है तो राजस्थान में कांग्रेस से जुड़े मामलों पर जल्द फैसला करना होगा। साथ ही पायलट ने कहा विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान में आक्रामक ढंग से प्रचार कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस को अब मैदान पर उतरकर कार्यकर्ताओं को लामबंद करना होगा। जिससे हम लड़ाई के लिए तैयार रहें।

पार्टी के नियम सभी के लिए बराबर

उन्होंने कहा कि व्यक्ति बड़ा हो या छोटा, पार्टी के नियम सभी के लिए समान हैं। बत दें सचिन पायलट ने एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में CM अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले तीन नेताओं को चार महीने पहले दिए गए शोकॉज नोटिस का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, एके एंटनी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि मामले में देरी क्यों को रही है।

मुख्यमंत्री ने बुलाई थी विधायक दल की बैठक

सचिन सचिन ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक बुलाई थी, लेकिन यह बैठक नहीं हो सकी। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देशों का पालन नहीं किया गया। बैठक में जो भी होता वो अलग मुद्दा था, लेकिन बैठक ही नहीं होने दी गई। जो लोग बैठक नहीं होने देने और समानांतर बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार थे उन्हें अनुशासनहीनता को लेकर नोटिस दिए गए थे। सचिन ने कहा उन्हें मीडिया के माध्यम से यह जानकारी मिली कि इन नेताओं ने नोटिस के जवाब दे दिए हैं। वहीं कांग्रेस कमेटी की ओर से अब तक इसे लेकर कोई फैसला नहीं लिया है। सचिन पायलट ने कहा कि राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने हाई कोर्ट में एक शपथ पत्र पेश कर 81 विधायकों के इस्तीफे मिलने की बात कही थी। जबकि कुछ विधायकों ने व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफे सौंपे थे। शपथ पत्र में यह भी कहा गया कि कुछ विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए क्योंकि वे मर्जी से नहीं दिए गए थे। ऐसे में पायलट का कहना है अगर विधायक अपनी मर्जी से नहीं गए थे तो किसके दबाव में उन्होंने इस्तीफे दिए थे? क्या कोई धमकी थी? लालच दिया गया था या कोई दबाव उन पर था। इस मामले की जांच कांग्रेस को जांच कराने की जरूरत है। पायलट ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने हाई कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है। इसमें बताया गया है कि उन्हें 81 विधायकों के इस्तीफे मिले थे जबकि कुछ विधायकों ने व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफे सौंपे थे। हलफनामे में यह भी कहा गया कि कुछ विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए क्योंकि वे मर्जी से नहीं दिए गए थे। पायलट ने कहा कि अगर विधायक अपनी मर्जी से नहीं गए थे तो वे किसके दबाव में दिए गए थे? क्या कोई धमकी थी? लालच था या दबाव था? इस मामले की पार्टी को जांच कराने की जरूरत है। उन्होंने कहा राजस्थान में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना हैं। राज्य सरकार की ओर से बजट भी पेश किया जा चुका है। कांग्रेस नेतृत्व ने कई बार कहा कि वह फैसला करेगा कि कैसे आगे बढ़ना है।

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Sachin Pilot ने बताया Modi का डर

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