मोदी के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव राजस्थान में सक्रिय,क्योंकि राज्य में उठ रही ब्राम्हण वर्ग से सीएम बनाने की मांग

Railway Minister Ashwini Vaishnav active Rajasthan

राजस्थान में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना हैं। कांग्रेस मौजूदा सीएम अशोक गहलोत के चेहरे पर ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी। हालांकि सचिन पायलट और उनका खेमा भी सक्रिय है। वहीं बीजेपी में वसुंधरा राजे सिंधिया, कैबिनेट मंत्री केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया पुरजोर कोशिश में जुटे हैं कि विधानसभा चुनाव में उनका नाम आगे किया जाए। इस बीच राजस्थान बीजेपी में एक नया नाम उभर कर सामने आ रहा है। ये हैं अश्विनी वैष्णव। राजस्थान के जोधपुर से ताल्लुक रखने वाले ​अश्विनी वैष्णव फिलहाल मोदी कैबिनेट में बतौर रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

दरअसल राजस्थान के गुलाबी शहर जयपुर स्थित विद्याधर नगर स्टेडियम में रविवार को ब्राह्मण महापंचायत बुलाई गई थी। इस महापंचायत में ब्राह्मण सीएम की मांग उठी। साथ ही कांग्रेस और बीजेपी से 30-30 टिकट बाह्मण समाज ने अपने लिए मांगे हैं। इस महापंचायत को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव समेत कई नेताओं ने संबोधित किया। महापंचायत में देशभर के ब्राह्मण समाज के लोग शामिल हुए।

अश्विनी बोले- सर मत कहो, मैं तो आपका भाई हूं

जयपुर विद्याधर नगर स्टेडियम में बुलाई गई इस ब्राह्मण महापंचायत से करीब दो सप्ताह पहले इसी जगह परर जाट महाकुंभ भी किया गया था। जिसमें जाट समाज ने राजनीति शक्ति प्रदर्शन किया था। अब ब्राह्मण महापंचायत में ब्राह्मण वर्ग के लोगों ने अपने लिए राजनीति में हिस्सेदारी मांगी है। मांग की जा रही है कि राजस्थान में ब्राम्हण समाज के व्यक्ति को सीएम बनाया जाए। इस दौरान मौजूद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपने समाज के लोगों से कहा कि जो एकता आपने दिखाई है। इस एकता को ऐसा ही हमेशा बनाए रखना होगा। उन्होंने कहा आज ऐतिहासिक काम यह हुआ है कि भगवान परशुराम पर डाक टिकट जारी किया गया। यह सब समाज की एकता का परिणाम है। समाज की यह एकता राष्ट्र के निर्माण में और अधर्म को दूर करने में लगेगी। आप लोग धर्म को धारण करने वाले हो। आप धर्म की रक्षा करने वाले हो। परशुरामजी ने भगवान शिव से विराट तपस्या के बाद धर्म की रक्षा के लिए फरसा हासिल किया था। सब में यही ऊर्जा और एकता रहनी चाहिए। अश्विनी ने कहा उन्हें सर कहकर संबोधित न करें, मैं तो आपका भाई हूं। आप मुझे कभी सर मत बोलना। मुझे कभी अश्विनी जी मत बोलना, मुझे केवल अश्विनी भाई बोलना।

जोधपुर के रहने वाले हैं अश्विनी वैष्णव

अश्विनी वैष्णव का जन्म 1970 में जोधपुर में एक बैरागी यानी वैष्णव ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने 1991 में एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज जेएनवीयू जोधपुर राजस्थान से इलेक्ट्रॉनिक और संचार इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में स्वर्ण पदक के साथ स्नातक किया। फिर आईआईटी कानपुर से एम.टेक पूरा किया। साल 1994 में आईएएस की अखिल भारतीय 27वीं रैंक हासिल की। 2008 में वे पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से एमबीए करने के लिए अमेरिका चले गए| अश्विनी वैष्णव एक भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी रह चुके हैं। आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में सक्रिय हुए अश्विनी वैष्णव 8 जुलाई 2021 से भारत के रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वे एक भारतीय राजनीतिज्ञ और बीजेपी के सदस्य हैं। 28 जून 2019 से वे राज्यसभा में ओडिशा राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह केंद्रीय मंत्री बने और उन्हें 07 जुलाई 2021 को रेल मंत्रालय और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री का पद दिया गया। वह मूल रूप से राजस्थान के पाली जिले में रानी के जीवनंद कलां गांव के रहने वाले हैं। बाद में उनका परिवार जोधपुर में बस गया।

कई समाज के नेता भी रहे मौजूद

महापंचायत में कई समाज के नेता भी शामिल हुए। जिसमें ब्राह्मण समाज के जनप्रतिनिधियों के अलावा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा की पत्नी गोलमा देवी सहित कई समाजों के नेता इस महापंचायत में मौजूद रहे। आयोजकों का कहना है कि इस महापंचायत में चिंतन और मनन करके समाज के भविष्य की योजनाओं पर निर्णय किया गया है।

कांग्रेस नेता पुष्पेन्द्र भारद्वाज ने उठाई मांग

दरअसल कांग्रेस नेता पुष्पेन्द्र भारद्वाज ने महापंचायत में कहा कि ब्राह्मण समाज के किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा पिछले दिनों जाट समाज की ओर से महाकुंभ का आयोजन किया गया। महाकुंभ में जाट समाज ने अपने समाज से मुख्यमंत्री की मांग उठाई थी तो ब्राह्मण समाज में कोई कमी है क्या। भारद्वाज ने कहा हम इतनी बड़ी तादात में जो सरकारों को हिला सकते हैं। हमें अपने राजनैतिक प्रतिनिधित्व की बात खुलकर करनी होगी। एक समय था जब राजस्थान में ब्राह्मण समाज के 60 विधायक हुआ करते थे। अब केवल 17 विधायक बचे हैं। उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों से विधानसभा चुनावों में 30-30 टिकट यानी कुल 60 टिकट ब्राह्मणों को देने की मांग की है।

राजस्थान में 85 लाख ब्राह्मण आबादी

महापंचायत के जरिए ब्राह्मण समाज ने अपनी एकजुटता और ताकत का प्रदर्शन किया। आयोजकों का कहना है कि राजस्थान ब्राह्मण समाज की आबादी 85 लाख से अधिक है। लेकिन जनसंख्या के हिसाब से उन्हें राजनैतिक प्रतिनिधित्व का मौका नहीं मिला। किसी भी पार्टी ने मौका नहीं दिया है। जबकि राजस्थान की 50 से अधिक विधानसभा सीटों पर ब्राह्मण वोटर हार जीत का फैसला करते हैं।

आखिर क्यों  उठ रही राजस्थान में ब्राम्हण वर्ग से सीएम बनाने की मांग

 

Exit mobile version