भाजपा में शामिल होने की चर्चा को लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने भले ही खुद जवाब दिया हो , लेकिन इस जवाब के बाद भी उनके या नकुल नाथ के बीजेपी में शामिल होने को लेकर अटकलों का बाजार अब भी गर्म ही बना हुआ है है।
चर्चा है कि लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ कमल के फूल वाली बीजेपी का दामन थाम सकते हैं।
- लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को लग सकता है बड़ा झटका
- कमलनाथ के बीजेपी में शामिल होने अटकलें गर्माई
- राहुल की न्याय सभा से पहले ले सकते हैं कमलनाथ बड़ा फैसला
- मार्च में राहुल गांधी रतलाम में करेंगे आदिवासियों के हक में न्याय सभा
- अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद से ही नाराज हैं कमलनाथ
- पीसीसी से दूरी बनाने की क्या हैं कमलनाथ की मजबूरी !
कमलनाथ ने स्वयं को छिंदवाड़ा तक किया सीमित
दरअसल कमलनाथ पार्टी हाईकमान की ओर से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद से ही नाराज बताए जा रहे हैं। उन्होंने अपने को प्रदेश से दूर कर लिया है। यहां तक वह विधानसभा सत्र में भी शामिल नहीं हुए। इतना ही नहीं जब कांग्रेस अयोध्या में राममंदिर कार्यक्रम से दूरी बना रही थी तो कमलनाथ छिंदवाड़ा में भगवान राम से जुड़े कार्यक्रम में शामिल हुए थे। 77 वर्षीय कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस की राजनीति से अपने आप को दूर कर छिंदवाड़ा में ही सीमित कर लिया है। वहीं इन दिनों बीजेपी नेताओं के सुर कमलनाथ के लिए कुछ नरम पड़ते हुए दिख रहे हैं। मध्यप्रदेश बीजेपी के नेता जो कमलनाथ के खिलाफ मुखर होकर बयान देते रहते थे। वे इन दिनों मौन साधे हुए हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले एमपी की राजनीति में कमलनाथ का अगला कदम क्या होगा इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि राहुल गांधी की रतलाम झाबुआ में आदिवासी न्याय सभा ंसे पहले कमलनाथ कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं।
स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक से ही रहे गायब
मध्यप्रदेश कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के लिए पिछले दिनों भोपाल में स्क्रिनिंग कमेटी की बैठक बुलाई थी। पीसीसी में हुई इस बैठक में अभा कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी प्रमुख रजनी पाटिल खुद शामिल हुईं थीं। लेकिन बैठक में हैरान करने वाली बात यही रही की इससे प्रदेश कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता गैरमौजूद रहे। पूर्व पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ मप्र में ही थे लेकिन भोपाल आने की बजाय वे चार दिन के लिए छिंदवाड़ा दौरे पर चले गए। ऐसे में कांग्रेस की इस बड़ी बैठक से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का गैरमौजूद रहना पार्टी में अंतर्कलह होेने के संकेत तो दे ही रहा है। सियासी जानकारों की माने तो कमलनाथ पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं। जीतू पटवारी को मध्यप्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपने के बाद से ही कमलनाथ और पटवारी के बीच कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा है। वे लगातार पार्टी की अहम बैठकों से गायब हो रहे हैं। बता दें पूर्व पीसीसी चीफ कमलनाथ कांग्रेस के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही राजधानी से दूर हो गए थे। उन्होंने विधानसभा में पार्टी के विधायकों के साथ शपथ भी ग्रहण नहीं की। बाद में अकेले उन्होंने शपथ ली।