बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी जब 1997 में मुख्यमंत्री बनीं थीं। तब उन्हे बहुत संभलकर बोलना पड़ता था,कई बार मीडिया के कैमरे देखकर शर्मा जातीं थी। आज वही राबड़ी देवी अच्छे अच्छे दिग्गज नेताओं की क्लास लेने से नहीं चूकतीं हैं। जब भी उन्हे मौका मिलता है वे विरोधियों की न केवल घेराबंदी करती हैं बल्कि सवाल दागकर उन्हे निरुत्तर भी कर देती हैं। हाल ही में विधानमंडल के मानसून सत्र में कुछ इसी तरह का नजारा देखा गया है। जब राबड़ी देवी के बेटे और राज्य के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को विपक्षी दल भाजपा ने घेरा तो राबड़ी देवी ने मोर्चा संभाल लिया।
इस तरह बढ़ा विवाद
बिहार विधानमंडल का पांच दिवसीय मानसून सत्र सोमवार से शुरु हुआ है। सत्र के पहले ही दिन राज्य का मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने सदन की कार्यवाही शुरु होते ही सत्तारूढ़ दल पर हमला बोल दिया। नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को निशाने पर लेते हुए कहा कि तेजस्वी को तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देना चाहिए। चार्जशीटेड डिप्टी सीएम अपने पद पर कैसे रह सकते हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं आज इस गंभीर मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। उन्हे इस मुदृे पर जवाब देना होगा। विवाद इतना बढ़ा कि मात्र 16 मिनिट में ही सदन की कार्यवाही स्थगित करना पड़ी।
फिर राबड़ी देवी ने संभाला मोर्चा
बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य की डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की मां राबड़ी देवी ने अपने बेटे को सदन में घिरता देखा तो उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने बिना किसी देरी के अपने बेटे की तरफ से मोर्चा संभाल लिया और विपक्षी दल भाजपा पर हमला शुरु कर दिया। राबड़ी ने कहा कि जो भी भाजपा के खिलाफ बोलता है उसके पीछे सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसिया पीछे पड़ जाती है। बिना किसी बात के चार्जशीट दाखिल कर दी जाती है। ऐसी चार्जशीट का क्या करें जिसकी सच्चाई का ही पता ठिकाना न हो। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए यहां तक कह दिया कि जनता की गाढ़ी कमाई से भाजपा हर जिले में अपने आलीशान कार्यालय बनवा रही है।