नहीं रहीं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय

नहीं रहीं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को भारत से था गहरा लगाव

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 96 साल की उम्र में निधन हो गया। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ब्रिटेन की सबसे लंबे वक्त तक शासन करने वाली शासक रहीं। एलिजाबेथ ने 70 साल शासन किया। उनके शासनकाल में ब्रिटेन को 15 प्रधानमंत्री मिले। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद अब उनके बेटे 73 वर्षीय चार्ल्स को ब्रिटेन का नया राजा बनाया गया है। बता दें एलिजाबेथ द्वितीय सिर्फ ब्रिटेन ही नहीं बल्कि 14 और देशों की रानी थीं।

भारत के साथ महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का संबंध बहुत पुराना रहा है। महज 25 साल की छोटी उम्र में ब्रिटेन की गद्दी संभालने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के साथ भारत के रिश्त मधुर थे। वे तीन बार भारत का दौरा कर चुकी थीं। महारानी एलिजाबेथ 1961, 1983 और 1997 में भारत आई थीं। बता दें पहली बार भारत को आजादी मिलने के लगभग 15 साल बाद 1961 में अपने पति ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग के साथ भारत दौरे पर आई थीं। यह उनका भारत का पहला शाही दौरा था। उस समय भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने दिल्ली हवाईअड्डे पर शाही जोड़े का स्वागत किया था। एलिजाबेथ द्वितीय अपने दौरे के दौरान करीब एक महिने भारत में रहीं। भारत प्रवास के दौरान उनहोंने पाकिस्तान और नेपाल का दौरा भी किया। महारानी जहां भी जाती थीं बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम उनकी एक झलक देखने के लिए सड़कों पर जमा हो जाते थे।

1952 में संभाली थी राजगद्दी

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने अपने पिता किंग जॉर्ज षष्ठम के निधन के बाद 6 फरवरी 1952 को गद्दी संभाली थीं। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ब्रिटेन की सबसे लंबे वक्त तक शासन करने वाली शासक रहीं। एलिजाबेथ ने 70 साल शासन किया। उनके शासनकाल में ब्रिटेन में 15 प्रधानमंत्री बदले। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद अब उनके बेटे चार्ल्स को ब्रिटेन का नया राजा बनाया गया है। बता दें 1961 में भारत के गणतंत्र दिवस के मौके पर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय गेस्ट ऑफ ऑनर थीं। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनका स्वागत करने के लिए रामलीला मैदान में एक कार्यक्रम रखा। जहां उन्होंने भाषण दिया। उन्होंने अपने इस संबोधन में इस बेहतरीन मेहमाननवाजी के लिए भारत का आभार जताया था। वहीं दिल्ली कॉरपोरेशन ने उस समय हाथी दांत से बने कुतुब मीनार का मॉडल भेंट किया था। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 27 जनवरी को ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की इमारतों का उद्घाटन भी किया था। जहां उन्होंने परिसर में कुछ पौधे भी लगाए थे। इससे से पहले महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और ड्यूक फिलिप ने जयपुर का दौरा भी किया।  जहां उनका शाही स्वागत किया गया था। तब उन्होंने महाराजा पैलेस के आंगन में जयपुर के महाराजा संवाई मान सिंह द्वितीय के साथ हाथी की सवारी भी की थी।

ताजमहल देख बहुत खुश हुईं थी महारानी

साल 2961में गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने के बाद बाद महारानी एलिजाबेथ द्वितीय आगरा पहुंचीं थीं। जहां खुली जीप में सवार होकर उन्होंने ताजमहल तक का सफर किया। इस दौरान उन्होंने सड़कों पर उमड़ें हजारों लोगों की ओर हाथ हिलाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया। यह शाही जोड़ा उदयपुर भी पहुंचा। जहां मेवाड़ के महाराज भगवत सिंह ने उनकी मेजबानी की।

बनारस में की गंगा नदी में नौका सवारी

अपने एक महीन के के दौरे के दौरान महारानी एलिजाबेथ द्धितीय ने पाकिस्तान के कराची में भी समय गुजारा। पाकिस्तान में वे पंद्रह दिन रहीं। इसके बाद भारत लौटीं और दुर्गापुर स्टील प्लांट का दौरा किया। इस प्लांट को ब्रिटेन की मदद से ही तैयार किया गया था। क्वीन ने यहां प्लांट के कर्मचारियों से मुलाकात की। जहां से वे कलकत्ता पहुंचीं। कलकत्ता में उनका जोरदार स्वागत हुआ। हवाईअड्डे से लेकर राजभवन तक के रास्ते में लोगों की भीड़ उनकी एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़ी। कलकत्ता प्रवास के दौरान शाही दंपति ने विक्टोरिया मेमोरियल का भी दौरा किया। जिसे लॉर्ड कर्जन ने तैयार किया था। कलकत्ता के बाद महारानी एलिजाबेथ और उनके साथ आए शाही अतिथि बेंगलुरु पहुंचे। मैसूर के महाराजा और बेंगलुरु के मेयर ने उनका स्वागत किया। उन्होंने बॉटेनिकल गार्डन लाल बाग में पौधे भी लगाए। अपने दौरे के अंतिम चरण में वे बॉम्बे और बनारस भी गईं। बनारस में उन्होंने गंगा घाट पर नाव की सवारी भी की। इसके बाद महारानी एलिजाबेथ द्वितीय 1983 में भारत दौरे पर आईं। इस दौरान उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात की। साथ ही वे मदर टेरेसा से भी मिलीं थीं। महारानी ने मदर टैरेसा को मानद आर्डर आफ मैरिट प्रदान किया।

ताज में जड़ा है भारत का कोहेनूर

महारानी एलिजाबेथ शाही आयोजन में जिस ताज को पहना करती थं उसमें प्रसिद्ध कोहेनूर हीरा जड़ा है। भारत जिसे ब्रिटिश द्वारा ज्वैल इन द क्राऊन के तौर पर पेश किया गया था। शाही दम्पति का पहला भारत दौरा तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के निमंत्रण पर 1961 में था। वे मुम्बई, चेन्नई, जयपुर, आगरा कोलकाता गई। वे गणतंत्र दिवस परेड में सम्मानीय मेहमान भी थीं। उनका दूसरा दौरा तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के आमंत्रण पर 1983 में था। इस बार वह राष्ट्रपति भवन में ही ठहरीं। सबसे हालिया घटनाक्रम 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा था। उन्होंने उन्हें उनके विवाह के तोहफे के तौर पर महात्मा गांधी द्वारा भेजी गई क्रोशिया कॉटन की लेस भेंट की थी।

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