इजराइल में प्रधानमंत्री नेतन्याहू की सरकार इस समय गहरे सियासी संकट में आ घिरी है। इसकी वजह सेना में भर्ती को लेकर अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स यहूदियों यानी हरेदी समुदाय को छूट दी जाना है। इजराइली सेना ने हरेदी युवाओं को जबरिया भर्ती करने की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई है। लेकिन सेना के इस कदम पर नेतन्याहू की सहयोगी पार्टियां भड़क गई हैं। जो सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की धमकी दे रहे हैं।
- संकट में इजराइल की नेतन्याहू सरकार
- प्रधानमंत्री नेतन्याहू की सरकार पर गहरा सियासी संकट
- सेना में भर्ती को लेकर करना पड़ रहा संकट का सामना
- अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स यहूदियों यानी हरेदी समुदाय को दी जा रही छूट
- इजराइली सेना ने की हरेदी युवाओं को जबरिया भर्ती
- सेना के इस कदम पर नेतन्याहू की सहयोगी पार्टियां भड़क गईं हैं
- सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की दे रहे हैं धमकी
- गाज़ा युद्ध में सैनिकों की कमी झेल रहा इजरायल
इजराइल की सत्ता इस समय इस मुद्दे के चलते संकट में घिर गई है। जिसके सियासी परिणाम नेतन्याहू के लिए बेहद सख्त हो सकते हैं। बता दें गाज़ा युद्ध के दौरान इजरायली सेना जहां सैनिकों की भारी कमी का सामना कर रही है रही है तो वहीं प्रधानमंत्री नेतन्याहू को अपने ही सहयोगियों से जूझना पड़ रहा है। मुद्दा सेना में भर्ती का है। जिसे लेकर अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स यहूदियों यानी हरेदी समुदाय को दी गई छूट खत्म करने की मांग की जा रही है।
इस बीच इजराइल में हरेदी युवाओं पर जैसी ही गिरफ्तारी की तलवार लटकी वहां नेतन्याहू सरकार के दो पिलर पार्टी शास और यूनाइटेड टोरा जूडाइज़्म बगावत पर उतर आए हैं। दोनों ने साफ कह दिया है कि अगर येशिवा छात्रों को गिरफ्तार किया जाता है तो वे नेतन्याहू सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेंगे। इस साफ मतलब है अब पीएम नेतन्याहू की कुर्सी भी खतरे में है।
सेना की सख्ती से हरेदी समुदाय नाराज
वहीं इजरायली सेना IDF की ओर से हाल ही में ऐसे युवाओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर गई है, जो अनिवार्य सैन्य सेवा के आदेश के बाद भी रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं। अब सेना पुलिस ऐसे युवाओं को उनके घर से उठाने का काम कर रही है। यह नियम इजराइल के सभी नागरिक पर लागू है। लेकिन हरेदी नेताओं ने आरोप लगाया है कि उनके समुदाय को खासतौर पर निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे में नेतन्याहू सरकार का समर्थन करने वाले शास और यूटीजे ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर येशिवा छात्रों को गिरफ्तार करने का मामला जारी रहता है तो उनकी पार्टी गठबंधन से बाहर हो जाएगी।
एक वरिष्ठ नेता की माने तो छात्रों को अगर अब जबरन उठाया जाता है तो यह नेतन्याहू सरकार के अंतिम दिन होगा। बवाल इतना बढ़ चुका है कि हरेदी पार्टियों ने इजरायली सेना प्रमुख एयाल ज़मीर पर ही सरकार गिराने का षड्यंत्र रचने का आरोप मड़ दिया है। वहीं दूसरी ओर हरेदी कॉल सेंटर्स की ओर से युवाओं को सैन्य सेवा से बचने के कई ‘टिप्स’ दिए जा रहे हैं। यरुशलम के कट्टरपंथी गुट भी अलर्ट मोड पर हैं।
हरेदी कौन है आखिर क्यों हो रहा विवाद?
बता दें साल 1948 में इजराइल की स्थापना के वक्त हरेदी समुदाय को धार्मिक पढ़ाई के चलते सैन्य सेवा से छूट प्रदान की गई थी। लेकिन साल 2023 में हमास की ओर से इजराइल पर किये गये हमले के बाद हालात बदल गए हैं। जब देश युद्ध में झोंका गया ऐसे वक्त में भी हरेदी युवाओं को छूट मिली। जिससे आम इजरायली नागरिकों में असंतोष पनपने रहा है। इस समय इजरायल में हरेदी आबादी करीब 14% तक पहुंच चुकी है। जबकि यह आबादी 1948 में सिर्फ 5% ही थी। औसतन हर परिवार में छह से अधिक बच्चे जन्मलेते हैं तो अगले कुछ दशकों में इजराइल का हर दूसरा बच्चा हरेदी हो सकता है। यही कारण है कि अब ये छूट देश पर भारी बोझ मानी जा रही है।
कोर्ट का दखल और सेना का बुलावा
दरअसल जनता के दबाव के चलते इजरायली सुप्रीम कोर्ट ने हरेदी समुदाय को दी गई छूट को रद्द कर दिया है। सेना की ओर से करीब 10 हजार हरेदी युवाओं को बुलावा भेजा गया था हालांकि महज कुछ ही लोगों की ओर से रिस्पॉन्ड किया गया। अब मिलिट्री पुलिस ने मोर्चा संभाला तो नेतन्याहू सरकार के लिए यह सबसे बड़ा सिरदर्द बन गया।….प्रकाश कुमार पांडेय