कर्नाटक में कभी भी विधानसभा चुनावों का ऐलान हो सकता है। ऐसे में सत्तारूढ़ बीजेपी दक्षिण के इस राज्य में मोदी लहर का फायदा उठाकर सत्ता में वापसी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 मार्च को एक बार फिर चुनावी राज्य कर्नाटक का दौरा करने वाले हैं। पीएम मोदी 25 मार्च को दावणगेरे शहर में विजय संकल्प यात्रा के समापन समारोह में शामिल होंगे। आदर्श आचार संहिता की घोषणा के आधार पर बीजेपी 28 मार्च को भी एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने पर विचार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर कर्नाटक की ओर रवाना हो रहे हैं। बीजेपी की यह तैयारी मिशन दक्षिण के लिहाज से अहम मानी जा रही है। दरअसल दक्षिण भारतीय राज्यों में सियासी राह तलाश रही बीजेपी का फिलहाल कर्नाटक ही एकमात्र ठिकाना है। इस राज्य में मई में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं।
- दक्षिण के राज्यों में कर्नाटक में बीजेपी की सत्ता
- बीजेपी के मिशन दक्षिण के लिहाज से अहम हैं कर्नाटक चुनाव
- खड़गे के राज्य में सत्ता बचाना जरुरी है
- मई में हो सकते हैं कर्नाटक चुनाव का ऐलान
- 3 बड़ी चुनौतियां, जिनसे बीजेपी को पाना है पार
बता दें प्रधानमंत्री मोदी 25 मार्च की सुबह करीब पौने 11 बजे चिक्काबल्लापुर में श्री मधुसूदन साईं आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद वे दोपहर 1 बजे के आसपास बेंगलुरु मेट्रो की कृष्णराजपुरा मेट्रो लाइन के लिए व्हाइटफील्ड कादुगोडी का उद्घाटन करेंगे और मेट्रो में सवारी भी करेंगे। कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है, लेकिन उसके सामने तीन बड़ी चुनौतियां भी हैं। जिनसे उसे पार पाना है। सीएम बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में चल रही कर्नाटक बीजेपी सरकार के सामने सबसे बड़ी भ्रष्टाचार के मुद्दा की है, जो चुनाव से पहले खासा गर्माया हुआ है। पिछले दिनों विधायक मदल विरुपक्षप्पा के बेटे प्रशांत मदल को घूसखोरी के आरोप में लोकायुक्त संगठन पुलिस ने अरेस्ट किया था। अब कांग्रेस इसे मुद्दा बनाकर बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने में जुटी है। कांग्रेस प्रदेश प्रमुख डीके शिवकुमार इसे लेकर सड़क पर भी उतर चुके हैं।
येदियुरप्पा की गैरमौजूदगी
चुनाव से पहले पूर्व सीएम और राज्य में बीजेपी को स्थापित करने वाले बीएस येदियुरप्पा की गैरमौजूदगी भी बीजेपी के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। 2023 के चुनावी मैदान से वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की गैरमौजूदगी भी पार्टी महसूस कर रही है। बता दें येदियुरप्पा का लिंगायत मतदाताओं में खासा वर्चस्व है। हालांकि संन्यास ले चुके इस नेता ने बीजेपी के लिए प्रचार की बात कही है। वहीं कई मौकों पर अमित शाह और पीएम नरेन्द्र मोदी भी येदियुरप्पा के नाम का उल्लेख करते नजर आ रहे हैं। पार्टी उनकी गैर मौजूदगी में उनके नाम का सहारा लेने की कोशिश में है। वहीं इस बार कांग्रेस भी कर्नाटक में खासी सक्रिय नजर आ रही है। राहुल गांधी भी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस में उत्साह देखा गया था। राहुल ने तब अच्छा खासा समय यहां गुजारा था। हालांकि कांग्रेस में भी पूर्व सीएम सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच सीएम चेहरे को लेकर खिंचतान की खबरें आ रही हैं। कर्नाटक कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का होम स्टेट भी है। ऐसे में कांग्रेस भी यहां सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत लगा रही है जो बीजेपी के लिए बड़ी चुनाती साबित हो रही है।
2024 के लिए जरूरी है कर्नाटक
बीजेपी के लिए दक्षिण भारत में अपनी मौजूदगी बनाए रखने के लिए 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा में जीत बेहद जरूरी है। कर्नाटक के अलावा बीजेपी अभी तक दक्षिण के राज्यों में चुनावी सफलता का स्वाद नहीं चख सकी है। 2021 में केरल विधानसभा चुनाव में उसने 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव तो लड़ा लेकिन वहां बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था। ऐसे में बीजेपी दक्षिण के राज्य में अपनी सत्ता गंवाना नहीं चाहती क्योंकि उसकी नजर अब कर्नाटक के साथ तेलंगाना पर भी है। बता दें बीजेपी सीएम के चंद्रशेखर राव की अगुवाई वाली भारत राष्ट्र समिति शासित तेलंगाना पर भी नजर जमाए हुए है। हालांकि पिछले साल मुनुगोडे उपचुनाव में कांग्रेस के पूर्व नेता को मैदान में उतारकर भी बीजेपी कोई खास फायदा नहीं उठा सकी थी।