नए संसद भवन को उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू करेंगी। इसी मांग पर विपक्षी दल अड़े हुए हैं। इसके लिए कई दलों ने लामबंद होना भी शुरु कर दिया है। इसी बीच खबरें ये भी आ रहीं है कि विपक्ष खुद की ताकत दिखाने के लिए इस तरह की कवायद कर रहा है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा दी गई। देश के शीर्षस्त न्यायालय जो सवालों की बौछार की तो याचिका कर्ता की बोलती बंद हो गई। कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि गनीमत है कि हम कोई जुर्माना नहीं लगा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि हम जानते हैं कि यह याचिका क्यों दाखिल हुई। ऐसी याचिकाओं को देखना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है। कोर्ट ने पूछा कि पहले ये बताएं कि इस याचिका से किसका हित होगा? इस सवाल के जवाब को लेकर याचिकाकर्ता की बोलती बंद हो गई। उनके पास कोई जवाब नहीं था। आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट में नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने की मांग को लेकर याचिका लगाई गई थी। जिसमें कहा गया था कि लोकसभा सचिवालय का बयान और लोकसभा के महासचिव का उद्घाटन समारोह के लिए जारी निमंत्रण भारतीय संविधान का उल्लंघन है।
कौन हैं याचिकाकर्ता
उच्चतम न्यायालय के वकील सीआर जया सुकिन ने यह जनहित याचिका दाखिल की थी।
जिसमें कहा गया था कि उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके केंद्र सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है। इससे संविधान का सम्मान नहीं हो रहा है। संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोकसभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने करने का पॉवर भी राष्ट्रपति के पास ही होता है। ऐसे में संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के द्वारा किया जाना चाहिए।