नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कहा कि हर महिला की कहानी उनकी अपनी कहानी है। वे महिलाओं की प्रगति में विश्वास करतीं हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने बुधवार को भारतीय महिलाओं के अदम्य जज्बे पर एक लेख में यह बात कही। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के राष्ट्रपति के रूप में मेरा चुना जाना महिला सशक्तिकरण की गाथा का एक हिस्सा है। महिलाओं को जल्द ही एहसास हो जाता है कि उनके पास लड़कों की तुलना में कम अवसर हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा वे बचपन से ही समाज में महिलाओं की स्थिति को लेकर चिंतित रही हहैं। जहां एक ओर एक लड़की को हर तरफ से बहुत प्यार और स्नेह मिलता है और यहाँ तक कि शुभ अवसरों पर उसकी पूजा भी की जाती है। वहीं दूसरी ओर उसे जल्द ही पता चलता है कि उसकी उम्र के लड़कों की तुलना में उसके जीवन में अवसर कम हैं।
मुर्मू ने यह भी कहा कि जहां एक ओर महिलाओं को उनकी सहज बुद्धि के लिए सम्मान दिया जाता है। यहां तक कि परिवार की धुरी के रूप में भी सराहना की जाती है, पूरे परिवार में सभी का ख्याल रखती हैं। लेकिन दूसरी ओर, परिवार से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णयों में, यहाँ तक कि स्वयं के जीवन में भी, यदि कोई हो, तो उसकी बहुत सीमित भूमिका होती है।
उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में, जब हमने हर क्षेत्र में अकल्पनीय प्रगति की है, आज तक कई देशों में कोई भी महिला राज्य या सरकार की मुखिया नहीं बन पाई है।
एक साथ दो क्षेत्रों में साबित करना होगी अपनी क्षमता
मुर्मू ने कहा कि असंख्य महिलाएं अपने चुने हुए क्षेत्र में काम कर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे रही हैं। वे कॉर्पोरेट इकाइयों का नेतृत्व कर रहे हैं और यहां तक कि सशस्त्र बलों में भी काम कर रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि उन्हें दो क्षेत्रों में एक साथ अपने कौशल और उत्कृष्टता को साबित करना होता है। अपने करियर में और अपने घरों में भी। वे शिकायत भी नहीं करते, लेकिन उम्मीद जरूर करते हैं कि समाज उन पर विश्वास करे।
जैसे-जैसे हम ऊपर की ओर बढ़ते हैं, महिलाओं की संख्या धीरे-धीरे कम होती जाती है।
मुर्मू ने कहा कि हमारे पास जमीनी स्तर पर निर्णय लेने वाली संस्थाओं में महिलाओं का अच्छा प्रतिनिधित्व है। लेकिन जैसे-जैसे हम ऊपर की ओर बढ़ते हैं। महिलाओं की संख्या धीरे-धीरे कम होती जाती है। यह तथ्य राजनीतिक संस्थानों के लिए उतना ही सच है।