हरियाणा और जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव की मतगणना मंगलवार 8 अक्टूबर को होगी। दोपहर बार खुलासा होगा कि दोनों राज्य में किस दल की सरकार बन रही है। हालांकि इससे पहले एग्जिट पोल के अनुमान सामने आए थे। जिसमें हरियाणा में कांग्रेस को बढ़त मिलती दिखाई थी, लेकिन असली नतीजे मंगलवार को ही सामने आएंगे।
EVM की थ्री लेयर सिक्योरिटी
मतगणना से पहले ईवीएम 53 स्ट्रॉन्ग रूमों में रखी गईं हैं। EVM को सुरक्षित रखने के लिए त्रिस्तरिया सुरक्षा घेरा बनाया गया है। पुलिस के मुताबिक पहले सुरक्षा घेरे में पैरामिलिट्री, दूसरे में आर्म्ड फोर्स और तीसरे सुरक्षा घेरे में हरियाणा पुलिस के जवान तैनात हैं। साथ ही सभी स्ट्रॉन्ग रूम पर सीसीटीवी कैमरे की मदद से भी नजर रखी जा रही है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे रहे विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशियों और इनके अधिकृत एजेंट भी कंट्रोल रूम में CCTV के जरिए पूरे हालात पर नजर रखे हुए हैं। बता दें कई जिलों में तो कांग्रेस और दूसरे छोटो दलों की ओर से EVM की सुरक्षा को लेकर अपने अपने स्तर पर भी सुरक्षा के प्रबंध किए गए हैं।
90 स्ट्रांग रूम पर सीसीटीवी कैमरे
राज्य के डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने बताया राज्य में स्थापित किए गए सभी मतगणना केन्द्र पर पर्याप्त संख्या में पुलिसबल तैनात किया गया है। इसके अतिरिक्त प्रदेश भर में स्थापित किए गए मतगणना केन्द्र पर सीएपीएफ की 30, आईआरबी और एचएपी की 30— 30 टुकड़ियों सहित जिला पुलिस बल अन्य पुलिसकर्मियों को भी ड्यूटी पर तैनात किया गया है। उन्होंने बताया मतगणना केंद्र से 100 मीटर तक की परिधि में पर्याप्त संख्या में नाके लगा दिये गय हैं। मतगणना के लिए बनाए गए सभी 90 स्ट्रांग रूम पर सीसीटीवी कैमरे की मदद से नजर रखी जाएगी।
हरियाणा विधानसभा के चुनाव में इस बार मुख्य मुकाबला सत्ताधारी बीजेपी का कांग्रेस, जेजेपी, आईएनएलडी के बीच रहा। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने 90 में से 89 विधानसभा सीटों पर अपने अपने उम्मीदवार उतारे थे। इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प रहा। दरअसल हरियाणा में जहां बीजेपी हैट्रिक लगाने की कोशिश करती नजर आई तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी कांग्रेस इस बार अपने 10 साल के वनवास को खत्म करने के लिए सियासी दांव खेलते हुई नजर आ रही थी। इस बार के विधानसभा चुनाव में राज्य के मुख्यमंत्री सीएम नायब सैनी के साथ-साथ कांग्रेस नेता भूपेंद्र हुड्डा ही नहीं विनेश फोगाट, अनिल विज समेत कई दिग्गज नेताओं की किस्मत किस्मत भी दांव लगी नजर आई नजर आई।
सत्ता के लिए निर्दलीय और छोटे दल पर नजर
हरियाणा में पिछले 15 साल के जो आंकड़े सामने आए हैं। उसके अनुसार हरियाणा में जब-जब निर्दलीय और छोटे दलों ने अधिक सीटें जीती हैं, तब-तब राज्य में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हो सका है। 2009 की बात करें तो हरियाणा में उस समय विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। ऐसे में सबसे बड़ी पार्टी के रुप में कांग्रेस उभरी और उसे 40 सीट मिली थीं। 2009 के चुनाव में साल निर्दलीय जते तो हजका के 6 ,शिअद के 2 और एक बीएसपी के विधायक जीते। इसके अतिरिक्त 4 सीट पर बीजेपी को प्रत्याशियों को जीत मिली थी। इसके बाद साल 2014 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय और छोटे दल के विधायकों की संख्या में गिरावट आई। 2014 के चुनाव में 5 निर्दलीय जीते और हजका की संख्या में भी सिर्फ 2 रही।
बीएसपी और शिअद के खाते में भी एक-एक सीटों गई। वहीं निर्दलीय और छोटे दलों के परफॉर्मेंस में गिरावट के चलते से बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाई थी। पिछले 20 साल के चुनावी रिकॉर्ड देखा जाए तो साल 2005 से लेकर 2024 तक हरियाणा में चार बार विधानसभा के चुनाव संपन्न हुए। 2005 की बात करें तो इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी। उस 90 में से 67 सीट मिली थी। इसके पांच साल बाद 2009 के विधानसभा चुनाव मेंं कांग्रेस बहुमत के आंकड़े के करीब नहीं पहुंच सकी।
पांच साल बाद 2014 में चुनाव हुए तो बीजेपी ने चौंकाते हुए राज्य में पूर्ण बहुमत हासिल किया, और कांग्रेस 10 साल बाद सत्ता से दूर हो गई। बीजेपी 90 में से 47 सीट जीत चुकी थी। हालांकि 2019 के चुनाव में बीजेपी भी बहुमत के आंकड़ों से दूर हो गई। 2019 में बीजेपी 40 सीट पर ही जीत हासिल कर सकी। बीजेपी की सत्ता का अब तक का जो ट्रैक रिकॉर्ड रहा है वो कांग्रेस के ही समान है। ऐसे में अब 2024 के चुनाव परिणाम से पहले कहा जा रहा है कि इस साल बाद बीजेपी की सत्ता पलट भी सकती है।