पीके जाएंगे नीतीश कुमार के गांव…तलाशेंगे विकास की छांव…आरसीपी सिंह की पार्टी का होगा जनसुराज में विलय
बिहार में साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने है। ऐसे में राज्य में सियासी सरगर्मी बढ़ चुकी है। राजनीतिक पार्टियां अपनी रणनीतियों को तेज करने में जुटी हैं। इस बीच आज रविवार का दिन बिहार की राजनीति में खासा अहम होने जा रहा है। दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कभी सबसे करीबी माने जाने वाले दो चेहरे आज एक साथ एक ही मंच पर नजर आने वाले हैं।। चुनावी रणनीतिकार से नेता का चौला ओढ़ने वाले पीके यानी प्रशांत किशोर बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गांव कल्याण बिगहा पहुंचेंगे। बिहार के नालंदा जिले के हरनौत ब्लॉक में यह गांव शामिल है। प्रशांत किशोर का उद्देश्य नीतीश कुमार के विकास कार्यों के दावों की जमीनी सच्चाई सबके सामने लाना है।
- पीके जाएंगे नीतीश कुमार के गांव…
- तलाशेंगे विकास की छांव…
- आरसीपी सिंह की पार्टी का जनसुराज में विलय
- साल के अंत में होंगे बिहार में विधानसभा चुनाव
- चुनाव से पहले राज्य में सियासी सरगर्मी बढ़ी
- राजनीतिक पार्टियां अपनी रणनीतियों को तेज करने में जुटी
- कभी नीतीश कुमार के सबसे करीबी थे आरसीपी सिंह
- आरसीपी सिंह ने पकड़ा प्रशांत किशोर दामन
- पीके की पार्टी में किया अपनी पार्टी का विलय
रविवार का दिन इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि सीएम नीतीश कुमार के सबसे विश्वासपात्र माने जाने वाले आरसीपी सिंह भी अपनी पार्टी ‘आसा’ का विलय प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में करने वाले हैं। बता दें आरसीपी सिंह एक समय जेडीयू के कोटे से राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। वे संसदीय दल के नेता भी रहे हैं। अब वे प्रशांत किशोर के साथ अपनी नई राजनीतिक पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं।
कभी थे नीतीश के ‘लेफ्ट-राइट हैंड’
बिहार की राजनीति में वैसे तो नीतीश कुमार को सबसे बड़ा पलटूराम कहा जाता है, लेकिन अब चुनाव से पहले एक बड़ा उलटफेर माना जा रहा है। नीतीश कुमार के दोनों करीबी चेहरे अब पीके की जन सुराज पार्टी का हिस्सा होंगे। जन सुराज के बैनर तले एकजुट हो गए हैं। बता दें पीके बिहार में सीधे-सीधे नीतीश कुमार के विकास मॉडल पर सवाल खड़े कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे यह देखेंगे कि नीतीश कुमार के लंबे कार्यकाल में जिन योजनाओं का दावा किया गया था। क्या उनका लाभ उनके स्वयं के गांव में मिला है, मिला है तो कितना मिला है।
बदलते सियासी समीकरण का प्रभाव
बिहार के सीएम नीतीश कुमार के ये दो पूर्व सहयोगी अब उनके ही खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं। RCP सिंह ने नीतीश से दूरी बनाते हुए पिछले साल अक्टूबर 2024 में अपनी ‘आसा’ पार्टी बनाई थी। इसके बाद से ही वे नालंदा में सक्रिय रूप से लगातार जनसंपर्क कर रहे थे। अब जबकि वे जन सुराज में शामिल होने जा रहे हैं तो जनसुराज के साथ ही बिहार में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदलते नजर आ रहे हैं।
प्रशांत किशोर खुले तौर पर दे रहे सीधी चुनौती
प्रशांत किशोर ने बिहार के विधानसभा चुनाव से पहले ही राजनीति में अपनी पारी की शुरुआत कर दी थी। उनकी शुरुआत ही नीतीश कुमार के खिलाफ हल्लाबोल से हुई थी। जन सुराज पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि आज पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान RCP सिंह के जन सुराज में शामिल होने की आधिकारिक घोषणा की जाएगी। पीके की यह चाल बिहार के राजनीति हालात बदलने की कोशिश है। यह नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर में एक नया मोड़ भी है। नीतीश के सबसे करीबी सहयोगियों का एक साथ उनके विरोधी खेमे में जाना अब उनके लिए आने वाले दिनों में बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। प्रकाश कुमार पांडेय