अपनी ही पार्टी को जीत दिलाने में आखिर नाकाम क्यों रहा पीके का चुनावी मैनेजमेंट..जानें वोट कटवा साबित क्यों हो रही पीके की जनसुराज पार्टी…
चुनावी मैनेजमेंट में माहिर माने जाने वाले प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का पिछले कुछ चुनावों में प्रदर्शन वैसा नहीं रहा जैसी उम्मीद की जा रही थी। उसके उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है। पिछले तीन चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी का जो हाल हुआ है। उससे उसकी छवि अब महज वोटकटवा पार्टी की बन कर रह गई है।
दरअसल बिहार में पांच महीने पहले चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे। इस उपचुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी का हाल शुरू से ही खराब था। उपचुनाव में जन सुराज को कुल चार में से अपने दो प्रत्याशी बदलने पड़े थे। इसके बाद भी उसे करीब 10 प्रतिशत मत ही मिले थे।
- अपनी ही पार्टी को जीत दिलाने में आखिर नाकाम क्यों रहा पीके का चुनावी मैनेजमेंट
- क्या मास्टर स्ट्रैटेजिस्ट पीके अब सिर्फ ‘वोटकटवा साबित होंगे ?
- क्या शुरु होने के साथ ही खत्म हो रहा पीके का राजनीतिक करियर?
जनसुराज पार्टी ने बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम प्रत्याशी खड़ा किया था। लेकिन मुस्लिमों ने जनसुराज को वोट नहीं दिया। केवल इमामगंज ही एक ऐसा क्षेत्र था, जहां पीके की पार्टी जनसुराज ने एनडीए के वोट में सेंधमारी की थी। जिसके चलते वहां से हम पार्टी के उम्मीदवार की जीत का अंतर कम रहा था। इस तरह उपचुनावों में जनसुराज पार्टी महज वोट काटने वाली पार्टी साबित हुई है।
छात्रों के बीच भी नहीं बना सके घुसपैठ पीके
इसके बाद जब बिहार में पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव हुए तो उसमें भी जनसुराज पार्टी की ओर से पूरी ताकत झोंकी थी, लेकिन सभी प्रमुख पदों पर उसे हार का सामना करना पड़ा। अध्यक्ष के पद पर एबीवीपी जीती, जबकि उपाध्यक्ष और महासचिव का चुनाव निर्दलीय ने जीता। कांग्रेस को संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष पद मिले। बावजूद इसके प्रशांत किशोर की पार्टी बेअसर रही।
वैसे तो प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में काफी पहले से सक्रिय थे। ऐसे दो अक्टूबर 2024 से उनकी जन सुराज पार्टी भी अस्तित्व में आ गई। राजनीतिक पार्टी के अस्तित्व में आने से पहले प्रशांत किशोर का आंदोलन पदयात्रा और संवाद तक सीमित था, फिर भी उसका राजनीतिक रंग उभर ही आता था लेकिन जन सुराज पार्टी के साथ उनकी चुनावी यात्रा की शुरुआत कांटों भरी ही रही। अब इसी साल 2025 के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होना हैं। जिसके लिए उपचुनाव में हार के बाद भी हौसला बनाए रखने की चुनौती के साथ पीके आगे बढ़ रहे हैं।…प्रकाश कुमार पांडेय