नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कार विजेताओं के नामों का ऐलान किया गया और हमेशा की तरह कुछ नामों पर एक धड़े ने सवाल खड़े किए, तो एक धड़े ने इसके पीछे की राजनीति को साफ कर दिया है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और ORS के खोजकर्ता डॉ. दिलीप महलानाबिस को मरणोपरांत देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया है।
कुछ नामों पर सोशल मीडिया में सवाल
पद्म पुरस्कारों की घोषणा के साथ ही इनके विजेताओं को राजनीतिक चश्मे से जायज या गलत ठहराने की कवायद शुरू हो गयी है। सबसे अधिक सवाल यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के नाम पर हो रहा है। हम बता दें कि 1990 में मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया था, जिसके लिए कई बार उन्हें मौलाना मुलायम भी कहा जाता है।
मुलायम के मुख्यमंत्री रहते ही कुख्यात रामपुर तिराहा कांड भी हुआ था, जब उत्तराखंड आंदोलन के दौरान महिलाओं के साथ मारपीट और छेड़खानी हुई थी। मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर 1 अक्टूबर की रात और 2 अक्टूबर 1994 के दिन में जो हुआ उसके घाव आज भी लोगों को सन्न कर देते हैं।
उत्तराखंड आंदोलन और रामपुर तिराहा कांड
1 अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर आंदोलनकारियों और पुलिस में कहासुनी हुई कि तभी अचानक नारेबाजी और पथराव शुरू हो गया। इस पथराव में तत्कालीन डीएम अनंत कुमार सिंह घायल हो गए। इसके बाद पुलिस ने क्रूरता से लाठीचार्ज किया और करीब ढाई सौ आंदोलनकारियों को हिरासत में ले लिया गया। इसी झड़प के बीच कथित तौर पर पुलिस पर छेड़खानी और रेप के भी आरोप लगे, जिनमें बाद में कई सालों तक मुकदमा भी चला।
2 अक्टूबर 1994 के दिन मामला ज्यादा संघर्षपूर्ण स्थिति में पहुंच गया। इसमें यूपी पुलिस ने करीब 24 राउंड फायरिंग की जिसमें 7 लोगों की जान चली गई और डेढ़ दर्जन लोग घायल हो गए। इस कांड में दो दर्जन से अधिक पुलिसवालों पर रेप, डकैती, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ जैसे मामले दर्ज हुए।
इसके बाद, साल 2003 में फायरिंग के मामले में तत्कालीन डीएम को भी नामजद किया गया और उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक पुलिसकर्मी को सात साल जबकि दो अन्य पुलिकर्मियों को दो-दो साल की सजा सुनाई।
अखिलेश को साधने की तैयारी
रामपुर तिराहा और 1990 की फायरिंग की वजह से मुलायम को पद्म पुरस्कार देने की कटु आलोचना की जा रही है। हालांकि, इसके पीछे राजनीतिक विश्लेषक एक कारण तो यह बताते हैं कि अगले साल होनेवाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह यादव वोटर्स को साधने की कोशिश है तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव को भी साधने की तमन्ना। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस एम कृष्णा को भी पद्म विभूषण दिया गया है, जिसके पीछे राजनीतिक विश्लेषक यही कारण बताते हैं कि वहां भी लोकसभा चुनाव नजर पर है।
इनके अलावा तबला वादक जाकिर हुसैन, आर्किटेक्ट बालकृष्ण दोषी और भारतीय मूल के अमेरिकी मेथेमेटिशियन श्रीनिवास वर्धन को भी पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है। कुमार मंगलम बिड़ला और सुधा मूर्ति समेत 9 हस्तियों को पद्म भूषण से नवाजा गया है। 91 हस्तियों को पद्मश्री सम्मान दिया गया है।
पूरी सूची देखने पर पता चलता है कि पद्म पुरस्कारों में राजनीति और सामाजिक समीकरणों का पूरा ख्याल रखा गया है।