राजस्थान की मरुभूमि में मौसम के साथ सियासत भी धीरे धीरे गरमाने लगी है। यहां साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। राज्य मं पिछले कई चुनावों से परंपरा सी बन गई है कि यहां सत्ता बदलती रही है। इस बार कांग्रेस सत्ता में है। ऐसे में उसने इस परंपरा को तोड़ने के लिए पूरी ताकत लगा दी है।
- राजस्थान में राज बदलने का रिवाज
- कांग्रेस ने रिवाज तोड़ने के लिए लगाई पूरी ताकत
- बीजेपी को रिवाज कायम रहने का भरोसा
- गहलोत पायलट के सियासी जंग पर बीजेपी खुश
खत्म नहीं हुई गहलोत और पायलट में जंग
हालांकि सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच जारी सियायी जंग किसी से छुपी नहीं है। ऐसे में कांग्रेसी खेमे में चुनावी सुगबुगाहट तेज दिखाई देने लगी है। जहां सीएम अशोक गहलोत खुद मोर्चा संभालते हुए फ्रंट फुट पर खेलते नजर आ रहे हैं। वहीं पिछले दिनों अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन तक करने वाले पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अब भी चुप्पी साधे हैं।
पायलट पर एक्शन से कांग्रेस घबरा रही
हालांकि सचिन पायलट के अनशन से पहले कई दिनों तक कांग्रेस में शांति रही , लेकिन पायलट ने अनशन कर इस शांति को भंग कर दिया था। उन्होंने गहलोत पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई न किये जाने का मुद्दा उठाया था। पायलट के अनशन के दौरान कांग्रेस नेताओं ने कड़ा रुख दिखाया भी लेकिन अब हालात ये हैं कि पायलट के खिलाफ कोई एक्शन लिया जाता है तो कांग्रेस को चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में एक्शन लेने की बात कहने वाले कांग्रेस के नेता भी मौन साधकर बैठक गए हैं। यही वजह है कि अब तक कोई एक्शन देखने को नहीं मिला।
2018 में सीएम बनते बनते रह गए पायलट
बता दें 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट ने राजस्थान का दौरा किया था। उस समय भी चुनाव से पहले सचिन पायलट के सीएम बनने की चर्चाएं पर सियासत गरमाई थी। हालांकि आलाकमान ने आखरी समय में गहलोत ने नाम पर मुहर लगा दी। इसके बाद से अब तक सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सियासी अदावत जारी है। अब साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। जिसे लेकर सचिन पायलट चाहते हैं कि चुनाव से पहले सीएम का चेहरा घेाषित किया जाए। यही वजह है कि वे लगातार अपनी पार्टी की सरकार के खिलाफ मुखर नजर आते रहे हैं।