दिल्ली में अब तक आठ बार हुए चुनाव…BJP को एक बार ही मिली दिल्ली की गद्दी…जानें क्या कहता है अब तक का चुनावी समीकरण

Politics heated up with the announcement of assembly elections in Delhi

दिल्ली में विधानसभा चुनाव का ऐलान होने के साथ ही सियासत गरमा गई है। यह दिल्ली का आठवां चुनाव है। आठ बार हुए चुनाव में बीजेपी को केवल एक बार ही दिल्ली की गद्दी मिली है। उसके बाद लगातार तीन बार कांग्रेस सत्ता में रही। अब पिछले तीन बार से आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सत्ता पर कब्जा किया है। इस बार बीजेपी की कोशिश है कि पिछले 31 साल का रिकॉड ध्वस्त करते हुए फिर जीत का स्वाद चखा जाए। वहीं कांग्रेस का प्रयास है कि आम आदमी पार्टी से 11 साल पुराना हिसाब बराबर किया जाए और ठीक वैसे ही आप से सत्ता छीनी जाए जैसे 11 साल अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को दिल्ली की सत्ता से बेदखल किया था।

1993 में हुए थे दिल्ली में पहले चुनाव

दिल्ली में 1993 में विधानसभा का गठन होने के साथ ही पहली बार चुनाव हुए थे। 1993 में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल करते हुए 49 सीट पर जीत दर्ज की थीं। कांग्रेस को केवल 14 सीट ही मिली थीं। दिल्ली विधानसभा में कुल 70 सीट हैं।

पांच साल में बीजेपी ने तीन सीएम बदले

बीजेपी को पांच कार्यकाल के कार्यकाल में अपने तीन सीएम बदलना पड़ गये थे। उसके बाद से ही बीजेपी एक अदद जीत की तलाश में है। बीजेपी की ओर से सबसे पहले मदन लाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। वे महज 27 महीने ही सीएम के पद पर रहे और इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद साहिब सिंह वर्मा को सीएम बनाया। वे भी 31 माह से अधिक समय तक सीएम रहे। अंत में सुषमा स्वराज को सीएम की कुर्सी पर बैठाया, जो 52 दिन के लिए दिल्ली की सीएम बनीं थीं। इसके बाद हुए चुनाव के नतीजे आए तो कांग्रेस ने बीजेपी से सत्ता छीन ली थी।

शीला दीक्षित का एकक्षत्र रहा 15 साल राज

1998 में कांग्रेस ने बीजेपी को दिल्ली की सत्ता से हटाया था। उस समय शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी। इसके बाद कांग्रेस को लगातार दो चुनाव 2003 और 2008 में भी जीत मिली। शीला दीक्षित लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने हर किसी को चौंकाते हुए दिल्ली की सत्ता पर कब्जा किया। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सत्ता में 15 साल से काबिज रही कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंका। पहली बार चुनाव में उतरी AAP को विधानसभा की 28 सीटें मिलीं थी। जबकि कांग्रेस 8 सीट पर सिमटकर गई थी। बीजेपी को सबसे ज्यादा 32 सीट मिली थी,जेडीयू और शिअद को एक एक सीटें मिली थी।

तब बीजेपी के हाथ से चली गई थी कुर्सी

यह वो साल था जब बीजेपी सत्ता के बेहद करीब पहुंचने के बाद भी लेकिन कांग्रेस ने BJP की राह रोकने के लिए अपनी ही प्रतिद्वंदी AAP से हाथ मिलाया और बाहर से समर्थन देकर केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली की सरकार बनवा दी। कांग्रेस आप की जुगलबंदी के बीच बीजेपी बेबस नजर आई। हालांकि गठजोड़ वाली सरकार अधिक दिन तक नहीं चली। कांग्रेस समर्थित AAP सरकार 49 दिन में ही गिर गई।

कांग्रेस के वोट बैंक में AAP की सेंध

AAP ने दिल्ली में 2013 के चुनाव में 29.70 फीसदी वोट शेयर हासिल किये थे। कांग्रेस के बड़े वोट बैंक में आप ने सेंध लगाई थी। राजनीति के जानकार कहते हैं अरविंद केजरीवाल का पहला कार्यकाल भले कम दिन का रहा था लेकिन सीएम रहते केजरीवाल ने बिजली, पानी और स्वास्थ्य से जुड़े बड़े और कड़े फैसले लिए। दिल्ली के भविष्य को लेकर अपने इरादे केजरीवाल ने जाहिर कर दिए थे।

दो चुनाव…कांग्रेस का डिब्बा गुल रहा

अरविंद केजरीवाल की सरकार ने बिजली पर सब्सिडी देकर 400 यूनिट तक दाम आधे कर दिए थे। इसके साथ ही हर घर में हर माह 20 हजार लीटर पानी मुफ्त देने का ऐलान किया। सीवर चार्ज भी खत्म कर दिया था। अधिक फीस के लिए 200 प्राइवेट स्कूलों को नोटिस भेजा तो दिल्ली की जनता का जुड़ाव गहरा गया। साल 2015 में हुए चुनाव के नतीजे आए तो आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीट जीतकर दिल्ली में इतिहास रच दिया। बीजेपी को तीन सीट मिली तो कांग्रेस खाता भी नहीं खोल सकी। केजरीवाल ने एक बार फिर कांग्रेस के ही वोट बैंक में सेंध लगाते हुए मतदाताओं को अपने पाले में किया और करीब 54.5 फीसदी वोट शेयर हासिल किया। यह दिल्ली के चुनाव में अब तक की सबसे बड़ी जीत थी। फ्री बिजली के साथ पानी के वादे आज भी सियासी मुद्दे के रुप में राजनीतिक दल के घोषणा पत्रों में चर्चा का विषय बने रहते हैं।

दो महीने की सीएम आतिशी

2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता नहीं खोल सकी थी। AAP ने चुनाव में एकतरफा मुकाबले में बीजेपी को हराया था। उस समय AAP का 62 सीटें मिली थीं। 55 फीसदी वोट शेयर भी आप ने हासिल किया था। बीजेपी को विधानसभा की 8 सीट पर जीत मिली। उसका वोट शेयर 38.70 फीसदी रहा। कांग्रेस को महज 4.30 प्रतिशत ही वोट मिले। अरविंद केजरीवाल तीसरी बार लगातार सीएम बने लेकिन साल 2020 के मार्च में दिल्ली शराब घोटाले में सीएम अरविंद केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार किया थथा। केजरीवाल ने जेल से करीब पांच महीने तक सरकार चलाई। लेकिन जमानत पर बाहर आने के बाद उन्होंने 15 सितंबर को सीएम की कुर्सी छोड़ दी और दिल्ली में 21 सितंबर को आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया गया।

(प्रकाश कुमार पांडेय)

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