राजधान में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में मची खींचतान ने पार्टी हाईकमान को चिंता में डाल दिया है। राजस्थान कांग्रेस में की खींचतान पर जहां कांग्रेस नेतृत्व चिंतन मंथन कर रहा है। इस बीच राजधानी जयपुर में सीएम अशोक गहलोत ने कांग्रेस और निर्दलीय विधायक से फीडबैक का कार्यक्रम तय किया है। इसके लिए वे तीन दिनी कार्यक्रम करने जा रहे हैं। जिसे पार्टी में शक्तिप्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं जानकारी सामने आ रही है राष्ट्रीय नेताओं से मंथन करने के बाद सचिन पायलट भी दिल्ली से जयपुर आ रहे हैं। पायलट को यहां खेतड़ी में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होंगे।
- सीएम अशोक गहलोत लेंगे विधायकों से फीडबैक
- पीसीसी ने तय किया है फीडबैक लेने का कार्यक्रम
- घोषणाओं का फीडबैक लेंगे सीएम गहलोत
- पहले दिन अजमेर और जोधपुर संभाग की बैठक
- अजमेर संभाग में टोंक जिला भी है शामिल
- टोंक से कांग्रेस विधायक हैं सचिन पायलट
- बैठक में क्या सचिन पायलट शामिल होंगे
- 19 अप्रैल को विधायकों के साथ सेमीनार करेंगे सीएम
दरअसल सीएम गहलोत के इस फीडबैक कार्यक्रम को पार्टी में राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष एक बार फिर शक्तिप्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस के अंदर खुद यह सवाल उठने लगे हैं आखिर किस वजह से विधायकों से फीडबैक लेने का कार्यक्रम किया जा रहा है। वहीं गहलोत और पीसीसी की ओर से जो कार्यक्रम तय किया है। उसके अनुसार राजधानी में मंगलवार से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अलग अलग क्षेत्र के विधायकों के साथ सीएम चर्चा करेंगे। इस दौरान सरकारी योजनाओं और की गई घोषणाओं का फीडबैक लिया जाएगा। पहले दिन अजमेर और जोधपुर संभाग के विधायकों को बुलाया गया है तो इसके अगले दिन यानी 18 अप्रैल को उदयपुर और कोटा के साथ भरतपुर संभाग के विधायक पहुंचेंगे। अंतिम दिन 20 अप्रैल को जयपुर और बीकानेर संभाग के कांग्रेस विधायकों से सरकार की घोषणाओं के बारे में फीडबैक लिया जाने का कार्यक्रम तय किया गया है। इतना ही नहीं दूसरे दिन 19 अप्रैल को बिड़ला सभागार में विधायकों के साथ कांग्रेस पदाधिकारियों का एक सेमीनार भी आयोजित किया जा रहा है। जिसमें विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जानकारियां दी जाएंगी।
सचिन पायलट के बिना चुनाव जीतना आसान नहीं
बता दें अजमेर संभाग में ही टोंक जिला भी शामिल है और टोंक विधानसभा सीट से पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट विधायक हैं। चर्चा है कि पायलट संभाग स्तरीय ऐसे किसी कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवाते हैं। ऐसे में पायलट का इस आयोजन से भी गैर मौजूद रहना तय माना जा रहा है। वहीं राष्ट्रीय नेतृत्व भी इस बात को स्वीकार करता है कि राजस्थान में बिना सचिन पायलट के विधानसभा चुनाव जीतना आसान नहीं नामुमकिन भी है। हालांकि सीएम गहलोत पार्टी हाईकमान की इस राय से सहमत नहीं है। उनका मानना है कि सरकार ने जो योजनाएं लागू की हैं उनका असर भी हो रहा है। जिसकी वजह से राजस्थान की जनता कांग्रेस को ही वोट देगी। हालांकि यह बात अलग है कि अशोक गहलोत के सीएम रहे राजस्थान में कांग्रेस की कभी भी जीत नहीं हो सकी है। विधायकों के फीडबैक के पीछे सीएम गहलोत का राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष शक्ति प्रदर्शन करना भी है। अब यह भी देखना होगा कि क्या गहलोत के फीडबैक में प्रदेश प्रभारी रंधावा उपस्थित रहते हैं या नहीं।
कमलनाथ को सौंपा है तालमेल बैठाने का जिम्मा
बता दें पिछले दिनों 11 अप्रैल को राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर जो अनशन किया उसके चलते दिल्ली में कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व पायलट और गहलोत के बीच तालमेल बैठाने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को जिम्मेदारी दी गई। कमलनाथ ने राहुल गांधी से मुलाकात के बाद कहा था कि जल्द ही गहलोत और पायलट के बीच स्थाई समाधान निकाल लिया जाएगा। कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कांग्रेस आला कमान ने गहलोत और पायलट के विवाद को गंभीरता के साथ लिया है। हाईकमान अभी मशक्कत ही कर रहा था कि सीएम गहलोत की तरफ से विधायकों से फीडबैक लेने के कार्यक्रम की एकतरफा घोषणा की गई है। इसे भले ही फीडबैक का न्योता प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से विधायकों को भेजा गया हो, लेकिन सियासी जानकार कहते हैं कि मौजूदा समय में सीएम गहलोत ही राजस्थान में कांग्रेस हैं। चर्चा है सीएम गहलोत जो निर्देश देते हैं। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा उसी की क्रियान्विति करते हैं।
विधायकों से वन टू वन चर्चा
जानकारी सामने आ रही है कि विधायकों के साथ वन टू वन चर्चा और फीडबैक लेने के दौरान कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी गहलोत के साथ मौजूद रह सकते हैं। सियासी जानकार कहते हैं कि ऐसे में जबकि पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व गहलोत और पायलट के बीच सुलह कराने की मशक्कत में जुटा है तब अपने प्रतिनिधि को फीडबैक के लिए कैसे कह सकते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इस समय किस बात का फीडबैक लिया जाएगा। सरकार ने बजट घोषणा में 19 नए जिले बनाए गए हैं उनकी अभी तक सीमाओं का भी निर्धारण नहीं किया जा सका है। वहीं घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट और किसान को 2000 यूनिट बिजली फ्री देने की घोषणा की है। इस के तहत पहला बिल किसी भी उपभोक्ता के पास अब तक नहीं पहुंचा है, जबकि घोषणा का लाभ 1 अप्रैल से क्रियान्वयन किया गया है। जिस पर अगले मई में ही उपभोक्ता की राय सामने आ सकेगी। बता दें कुछ दिन पहले भी संभाग स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।