राहुल गांधी ने सोमवार को बाबा साहेब अंबेडकर की जन्मस्थली इंदौर के महू में बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। राहुल गांधी ने कहा कि आजादी से पहले भारत में गरीब, दलित, आदिवासी और पिछड़ों के कोई अधिकार नहीं थे। अधिकार थे तो केवल राजा महाराजाओं के थे। आजादी के बाद संविधान ने गरीबों दलितों को उनका अधिकार दिलाया। राहुल गांधी के इस बयान पर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से ट्वीट करते हुए पलटवार किया गया है।
- राहुल गांधी संविधान को समझते हैं पॉकेट डायरी
- राजघरानों को लेकर राहुल गांधी ने कही थी बड़ी बात
- महू में राहुल गांधी ने साधा था राज घरानों पर निशाना
- कहा था आजादी के बाद राजा महाराओं के ही थे अधिकार
- संविधान ने गरीब दलित और पिछड़ों को दिलाये उनके अधिकार
सोशल मीडिया पर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लिखा है कि संविधान को अपनी ‘पॉकेट डायरी’ समझने वाले नेता राहुल गांधी की ओर से आजादी से पहले भारत के राजपरिवारों की भूमिका को लेकर दिया गया बयान राहुल गांधी की संकीर्ण सोच और समझ को उजागर करता है। सिंधिया ने लिखा है कि सत्ता और कुर्सी की भूख में वे यह भूल गए हैं कि वर्षों पहले भारत में समानता और समावेशी विकास की नींव इन राजपरिवारों ने ही रखी थी।
बयानबाजी से पहले इतिहास को पढ़ लें राहुल गांधी
सिंधिया ने लिखा है कि यह भूल गये हैं कि बड़ौदा महाराज सयाजीराव गायकवाड़ ने संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर को शिक्षा हासिल करने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई थी। यह भूल गये कि छत्रपति साहूजी महाराज ने 1902 में पहली बार देश के बहुजनों को अपने शासन व्यवस्था में 50 प्रतिशत आरक्षण देकर सामाजिक न्याय की बुनियाद को रखा था। यह भूल गये कि ओबीसी को शैक्षणिक रूप से मजबूत बनाने के लिए ग्वालियर के माधव महाराज प्रथम की ओर से पूरे ग्वालियर और चंबल में शिक्षा के साथ रोजगार के केंद्र खुलवाये थे।
सिंधिया ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि तानाशाही विचारधारा को जन्म देने वाली कांग्रेस थी। जिन्होंने दलित, वंचित और ओबीसी के अधिकारों पर कुठाराघात करने का काम किया था। राहुल गांधी, पहले इतिहास पढ़ लें फिर बयानबाजी करें।
ग्वालियर राजघराने को दिये जाते थे करोड़ों रुपये
वहीं इसे लेकर कांग्रेस पार्टी की ओर से भी केंद्रीय मंत्री और पूर्व कांग्रेसी ज्योतिरादित्य सिंधिया पर तीखा हमला किया गया है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर तंज कसते हुए कहा अगर संविधान का 26 वां संशोधन नहीं किया गया होता तो आज भी भारत सरकार की ओर से ग्वालियर राजघराने को करोड़ों रुपए टैक्स फ्री दिए जा रहे होते।
क्या था प्रिवी पर्स, जो रियासतों के शासकों को दिया जाता था
दरअसल आजादी के बाद भारत के संविधान में रियासतों के शासकों, नरेशों और राजप्रमुखों के लिए अपनी शक्तियां छोड़ने के बदले भारत सरकार के कोष से प्रिवी पर्स के रुप में एक निश्चित राशि हर साल देने का प्रावधान किया गया था। भारत सरकार के राज्यों के मंत्रालय की ओर से जारी श्वेत पत्र के अनुसार 284 शासकों के लिए प्रिवी पर्स के रूप में सालाना 5.65 करोड़ रुपए की राशि की व्यवस्था रखी गई थी। इसमें काटोडिया शासक के लिए 192 रुपए से लेकर मैसूर के राजा के लिए 26 लाख रुपए दिये जाते थे। वहीं ग्वालियर महाराज के लिए 25 लाख रुपए तो भोपाल के नवाब के लिए 11 लाख रुपए और हैदराबाद के शासक के लिए 50 लाख रूपए के प्रिवी पर्स का प्रावधान किया गया था।