प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में नवकार महामंत्र का जाप करने के साथ ही देशवासियों को 9 संकल्प दिलाएं। पीएम नरेन्द्र मोदी ने नवकार महामंत्र को एक मार्ग बताया और कहा यह एक ऐसा मार्ग है, जो इंसान को अंदर से शुद्ध करता है। यह मार्ग ऐसा है जो इंसान को सौहार्द की राह दिखाता है। पीएम मोदी ने कहा नवकार महामंत्र सही मायने में मानव, ध्यान और साधना के साथ आत्मशुद्धि का मंत्र है।
- पीएम मोदी ने किया नवकार महामंत्र का जाप
- कहा-जैन धर्म भारत के बौद्धिक वैभव की रीढ़
- ‘स्वयं को जीतने की प्रेरणा देता है’
महावीर जयंती से पहले पीएम नरेंद्र मोदी बुधवार 9 अप्रैल को नवकार महामंत्र दिवस में शामिल हुए। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में “नवकार महामंत्र” का जाप भी किया। बता दें महावीर जयंती के मौके पर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मोत्सव मनाया जाता है। नवकार महामंत्र में 108 देशों के लोग शामिल हुए। पीएम मोदी नवकार महामंत्र कार्यक्रम में श्रद्धा के प्रतीक के रूप में नंगे पैर पहुंचे। साथ ही पीएम मोदी डायस पर नहीं बल्कि सभी लोगों के साथ बैठे दिखाई दिए। पीएम मोदी ने इस मौके पर अपनी बात कही। पीएम ने कहा वे नवकार महामंत्र की आध्यात्मिक शक्ति को अब भी अपने अंदर महसूस कर रहे हैं।
पीएम मोदी ने दिलाए देश को ये 9 संकल्प
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पावन अवसर पर कहा कि आज जब इतनी बड़ी संख्या में विश्व भर में एक साथ नवकार महामंत्र का जाप किया जा रहा है तो वे चाहते हैं कि आज हम सभी मिलकर जो जहां भी बैठा हो वहीं 9 संकल्प लेकर जाएं। इन संकल्पों से हमें नई ऊर्जा मिलेगी ये उनकी गारंटी है।
- पहला संकल्प है पानी बचाने का संकल्प
- दूसरा संकल्प है एक पेड़ मां के नाम
- तीसरा संकल्प है स्वच्छता को मिशन बनाना
- चौथा संकल्प है वोकल फॉर लोकल
- पांचवा संकल्प है देश का दर्शन
- छठा संकल्प है प्राकृतिक खेती अपनाना
- सातवां संकल्प है स्वस्थ्य लाइफस्टाइल को अपनाना
- आठवां संकल्प है योग और खेल को जीवन में स्थान प्रदान करना
- नवां संकल्प गरीबों की मदद का संकल्प है
पीएम मोदी ने कहा कुछ वर्षों पहले वे बंगलुरू के ऐसे ही एक सामुहिक मंत्रोच्चार में शामिल हुए थे। आज एक बार फिर उन्हें वही अनुभूति हुई है और उतनी ही गहराई से हुई है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा नवकार महामंत्र केवल मंत्र नहीं यह हमारी आस्था का केंद्र बिन्दु है। हमारे जीवन का मूल स्वर है इसका महत्व केवल आध्यात्मिक नहीं है। यह स्वयं से लेकर समाज तक सभी को मार्ग दिखाता है। यह जन से जग तक की अहम यात्रा है। प्रकाश कुमार पांडेय