प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक हुई जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति नाहयान से कहा, हमने तीन महीने के भीतर ऐतिहासिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। यह आपके सहयोग और प्रतिबद्धता के बिना संभव नहीं था। दोनों राष्ट्राध्यक्षों की बैठक के दौरान तीन एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसमें सीमा पार लेनदेन के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक ढांचे की स्थापना के लिए एमओयू हुआ।
मैसेजिंग सिस्टम को जोड़ने पर चर्चा
आरबीआई और यूएई के केंद्रीय बैंक के बीच उनके भुगतान और मैसेजिंग सिस्टम को आपस में जोड़ने पर द्विपक्षीय सहयोग के लिए समझौता हुआ। इसके अलावा आईआईटी दिल्ली का अबू धाबी में कैंपस खोलने को लेकर भारत और यूएई में एक समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने यूएई में इस साल के अंत में कॉप-28 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के अपने फैसले की घोषणा भी की। उन्होंने यूएई के राष्ट्रपति के सम्मान और गर्मजोशी को स्वीकार करते हुए उसे भाइयों के बीच साझा स्नेह के समान बताया।
अबू धाबी में खुलेगा आईआईटी-दिल्ली का कैंपस
भारत और यूएई के बीच हुए समझौतों में से एक आईआईटी दिल्ली का अबू धाबी में कैंपस खोलने को लेकर है। पीएम की यूएई में उपस्थिति के दौरान भारत के शिक्षा मंत्रालय और अबू धाबी के शिक्षा एवं विज्ञान विभाग के बीच इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसे लेकर ट्वीट कर कहा कि आईआईटी दिल्ली का अबू धाबी परिसर पारस्परिक समृद्धि और वैश्विक भलाई के लिए ज्ञान की ताकत का लाभ उठाने का खाका तैयार करेगा। प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में आईआईटी दिल्ली के अबू धाबी परिसर स्थापित करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर से भारतीय शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण का एक नया अध्याय शुरू होगा। ये कैंपस नए भारत के नवाचार और विशेषज्ञता का एक उदाहरण प्रस्तुत करेगा। यह दोस्ती की एक इमारत होगी। एनईपी में की गई पारस्परिक समृद्धि और वैश्विक भलाई दोनों के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के लिए एक नया टेम्पलेट स्थापित करेगा।
अगले साल से शुरू होगा पाठ्यक्रम
प्रधान ने कहा, अगले साल जनवरी 2024 से आईआईटी के अबू धाबी कैंपस में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और सितंबर-24 तक स्नातक पाठ्यक्रम की शुरुआत की जाएगी। अकादमिक कार्यक्रम, पाठ्यक्रम आईआईटी दिल्ली उपलब्ध कराएगी और डिग्री भी उसी के द्वारा प्रदान की जाएगी। शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि इससे दोनों देशों को काफी लाभ होगा। गौरतलब है कि हाल ही में आईआईटी मद्रास ने तंजानिया के जांजीबार में अपना कैंपस खोलने की घोषणा की है। यह देश के बाहर स्थापित होने वाला आईआईटी संस्थान का पहला विदेशी कैंपस है।
साझा बयान के मुख्य बिंदु
उधर विदेश मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति नाहयान के बीच हुई वार्ता के बाद जारी किए गए साझा बयान में बताया गया कि दोनों देशों की व्यापक सामरिक भागीदारी को और अधिक मजबूत बनाने को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की गई है। भारत-यूएई कट्टरपंथ, आतंकवाद और उसके सभी प्रकारों के खिलाफ क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लड़ने के लिए साझा रूप से प्रतिबद्ध हैं। इसे लेकर द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाया जाएगा। दोनों नेताओं ने एक नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था की वकालत की है। ऊर्जा क्षेत्र में (तेल, गैस और नवीकरणीय ऊर्जा शामिल) भागीदारी बढ़ाने को लेकर भारत और यूएई सहमत हैं। दोनों देशों के बीच तेजी से बढ़ते व्यापार को लेकर भी दोनों नेताओं ने अपनी बातचीत के दौरान संतुष्टि जाहिर की है। व्यापार में बढ़ोतरी के पीछे 2022 में हुए व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते का काफी योगदान है। दोनों देशों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भूमिका भी काफी बढ़ गई है, आई2यू2 में भी सहयोग बढ़ा है। दोनों देश एक भरोसेमंद और लचीली सप्लाई चेन को बढ़ावा देने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।