PM Modi In Rajasthan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भाजपा हमेशा इलेक्शन मोड में रहने को लेकर जानी जाती है। साथ ही, वे किसी भी चुनाव को पूरी तैयारी से लड़ने के लिए भी जाने जाते हैं। दिल्ली के मेयर का इलेक्शन हो या लोकसभा का चुनाव, भाजपा अपनी स्ट्रेटेजी और तैयारी मुकम्मल रखकर ही उतरती है। शायद पीएम मोदी ने आज राजस्थान के भीलवाड़ा से 2024 चुनाव का यलगार कर दिया है।
- मोदी राजस्थान के भीलवाड़ा में भगवान देवनारायण की 1111वीं जयंती समारोह में शामिल हुए
- पीएम यहां एक जनसभा को संबोधित कर रहे हैं और बीते चार महीने में प्रधानमंत्री का यह तीसरा राजस्थान का दौरा है
- पीएम मोदी ने कहा कि यहां वह एक यात्री के रूप में आशीर्वाद लेने आए हैं
- उन्होंने कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे अनगिनत सेनानियों को हमारे इतिहास में वह स्थान नहीं मिल पाया, जिसके वे हकदार थे
- मोदी ने कहा कि आज का नया भारत बीते दशकों में हुई उन भूलों को भी सुधार रहा है और अब देश के विकास में जिसका भी योगदान रहा है, उसे सामने लाया जा रहा है
- पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का यह कालखंड भारत के विकास के लिए, राजस्थान के विकास के लिए बहुत अहम है
- मोदी ने कहा कि पूरे देश को विकास के लिए काम करना है क्योंकि आज पूरी दुनिया भारत की ओर बहुत उम्मीदों से देख रही है
देशप्रेम का जज्बा जगाकर किया यलगार
पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत को सामाजिक और वैचारिक रूप से तोड़ने की खूब कोशिश की गई लेकिन कोई सफल नहीं हुआ। उन्होंने कहा- भारत एक भूभाग नहीं है, बल्कि संभावना की अभिव्यक्ति है। भारत अटल, अजर और अमर है। यह हमारे देश की, समाज की शक्ति है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने जिस तरह से पूरी दुनिया को अपना सामर्थ्य दिखाया है, अपना दमखम दिखाया है, उसने शूरवीरों की इस धरती का भी गौरव बढ़ाया है। आज भारत दुनिया के हर बड़े मंच पर अपनी बात डंके की चोट पर कहता है।आज भारत दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है। मोदी के भाषण पर जनता ने जोरदार तालियां बजाईं। जाहिर है, पीएम मोदी जनता की नब्ज पकड़ना जानते हैं। तो, अभी से उन्होंने देशप्रेम और राष्ट्रवाद को अपने ऑडिएंस तक पहुंचाना शुरू कर दिया है।
पाकिस्तान से सिंधु जल संधि पर भी सोचेगा भारत
पीएम मोदी राष्ट्रवाद और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबदबे को प्रचारित कर अगले साल के चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। भारत ने सितंबर 1960 की सिंधु जल संधि की समीक्षा और उसमें संशोधन के लिए पाकिस्तान को नोटिस भेजा है। पाकिस्तान को पहली बार यह नोटिस छह दशक पुरानी इस संधि को लागू करने से जुड़े विवाद निपटारा तंत्र के नियमों को न मानने और अपने रुख पर अड़े रहने के कारण भेजा गया।
- हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2016 में उरी हमले के बाद ही पाकिस्तान को संकेत दे दिया था।
- PM ने 11 दिनों तक चली संधि समीक्षा बैठक में भाग लेने वाले अधिकारियों से कहा था, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते”
- दो साल से भी कम समय के बाद यानी मई 2018 में प्रधानमंत्री ने बांदीपोर में 330 मेगावाट किशनगंगा पनबिजली परियोजना का उद्घाटन किया और जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में 1,000 मेगावाट के पाकल-दुल संयंत्र की आधारशिला रखी
- वहीं, दो अन्य बड़ी पनबिजली परियोजनाओं, 1,856 मेगावाट सावलकोट और 800 मेगावाट बरसर को भी सितंबर 2016 की संधि समीक्षा बैठक के तुरंत बाद तेजी से पूरा करने पर जोर दिया गया
पाकिस्तान पर दबाव देश में काम देगा
प्रधानमंत्री बार-बार नए भारत की बात करते हैं, जो वैश्विक मंच पर बराबरी से बात करता है, अपनी बात कहता है। कुशल प्रशासन, देश में शांति, आर्थिक मोर्च पर ठीकठाक प्रदर्शन के अलावा पाकिस्तान को पटखनी और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बराबरी, ये ही वे बाण हैं, जिनके जरिए मोदी सत्ता में तीसरी बार वापसी के स्वप्न को साकार करना चाह रहे हैं।
स्पष्ट रूप से लंबित पनबिजली परियोजनाओं और भंडारण बुनियादी ढांचे को गति देना भारत की सिंधु रणनीति का प्रमुख अंग है, क्योंकि संधि अपने वर्तमान स्वरूप में भारत को घरेलू उपयोग सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए पश्चिमी नदियों पर 3.6 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) तक भंडारण क्षमता बनाने की अनुमति देती है। इससे पाकिस्तान तो दबाव में आएगा ही, भारत में भी घरेलू वोटर्स मोदी के साथ आएंगे।